क्या क्या आप जानते हैं कि क्रोनोमेडिसन क्या होती है ?

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नोएडा

एपीआई के तीन दिवसीय वार्षिक सम्मेलन में क्रोनो मेडिसिन पर चर्चा के लिये जुटेंगे दुनियाभर के फिजीशियन, डॉक्टर और बायोलॉजिस्ट


नोएडा के सेक्टर- 18 स्थित रेडीसन होटल में फिजीशियन एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया ( एपीआई) द्वारा होने वाले तीन दिवसीय वार्षिक सम्मेलन में देश और दुनिया के फिजीशियन डॉक्टर और बायोलॉजिस्ट डॉक्टर जुटेंगे।

यह तीन दिवसीय सम्मेलन का आयोजन 17 दिसंबर से 19 दिसंबर के बीच होगा। जिसमें क्रोनो मेडिसिन पर चर्चा होगी। यह जानकारी आज नोएडा के सेक्टर-11 स्थित मेट्रो हॉस्पिटल में एक प्रेसवार्ता के दौरान दी गई। वही इस दौरान उत्तर प्रदेश एपीई के संयुक्त सचिव व मेट्रो अस्पताल के इंटरनल मेडिसिन एक्सपर्ट डॉ एस चक्रवर्ती, डॉ0 समीर गुप्ता ( कार्डियोलोजिस्ट ) मेट्रो हॉस्पिटल, सहित कई सीनियर डॉक्टर मौजूद थे।

मेट्रो हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसन एक्सपर्ट डॉ0 एस चक्रवर्ती ने बताया कि चौथे वार्षिक सम्मेलन में यूनाइटेड स्टेट अमेरिका (यूएसए), यूनाइटेड किंगडम (यूके), मिस्त्र, यूनाइटेड अरब अमीरात (यूएई), मलेशिया, फ्रांस, जर्मनी, जापान समेत कई देशों के डॉक्टर और बायोलॉजिस्ट हिस्सा लेंगे।

सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य क्रोनोमेडिसिन पर चर्चा है। इसमें क्रोनो का मतलब समय से है वहीं मेडिसिन का मतलब दवा से है। बदलती जीवनशैली के कारण लोगों को कई तरह की बीमारियां हो रही है। इनमें मल्टीनेशनल कंपनियों में काम करने वाले लोगों को अधिक समस्या हो रही है। वही उनका खानपान और जीवनशैली का तरीका सामान्य लोगों की तुलना में बदला हुआ था।

डॉ0 एस चक्रवर्ती ने बताया कि मानव शरीर की दिनचर्या पर दिन में निकलने वाले सूरज की किरणों से अधिक प्रभाव अधिक होता है। जहां सामान्य व्यक्ति बिना अलार्म लगाए भी सुबह सही समय पर उठ जाता है, लेकिन जैसे ही इसमें परिवर्तन आता है। लोगों को बीमारियां घर करने लगती है। कार्डियोलॉजिस्ट डॉ समीर गुप्ता ने बताया कि समय के साथ लोगों में बीमारियों का परिवर्तन हो रहा है। सुबह और रात को शरीर बदलता है।

उन चीजों को नजर में रखते हुए जो बीमारियां होते ही उन्हें क्रोनोमेडिसन बढ़ता है। मसलन जब व्यक्ति सुबह के समय उठता है तो उसका ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ होता है। वहीं रात के समय बीपी कम होता है। इससे सुबह के समय दिल के दौरे ज्यादा पड़ते हैं। मानव शरीर बना ही इसी तरह होता है कि रात को जब उसका बीपी कम होता  है। 

डॉ0 समीर गुप्ता ने बताया कि बदलती जीवन शैली, तनाव, मोटापा तथा शारीरिक निष्क्रियता इसके प्रमुख कारणों में से हैं। लोगों में जंक फूड का क्रेज बढ़ता जा रहा है। इस कारण मोटे बच्चों के बड़े होने पर उनमें हाइपरटेंशन की आशंका बढ़ जाती है। यदि समय पर उपचार न किया जाए तो यह जानलेवा साबित हो सकता है।

उच्च रक्तचाप के कारण हृदय रोग, गुर्दे का फेल होना व लकवे के मामले बढ़ रहे हैं। कई बार लोगों को इस बात का पता ही नहीं चलता कि वे उच्च रक्तचाप से ग्रस्त है।


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