बेटियों की डोली उठने से पहले उठी पिता की अर्थी, घर में छाया मातम

बेटियों की डोली उठने से पहले उठी पिता की अर्थी, घर में छाया मातम

प्रतापगढ 


28.11.2020


रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी 



बेटियों की डोली उठने से पहले उठी पिता की अर्थी,घर में छाया मातम




प्रतापगढ़ जिले के कुंडा तहसील क्षेत्र के बाघराय थाना क्षेत्र के टेकीपट्टी से एक घटना सामने आई है जहां एक बाप की दो बेटियों की एक साथ शादी कर डोली उठाने की तमन्ना अधूरी रह गई। बेटियों की डोली उठाने के पहले पिता की अर्थी उठ गई।बताते चलें कि बाघराय थाना क्षेत्र के लालमन शर्मा बेटी की शादी का निमंत्रण बांटकर अपने घर को वापसी कर रहे थे कि झंझवारा रामदासपट्टी के पास उनकी तबियत ख़राब होने से या अन्य किसी कारण से उनकी मौत हो गई। मौत की सूचना मिलते ही बाघराय थाने के प्रभारी मय हमराही मौक़े पर पहुंचे और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।बाघराय के चौबरियन का पुरवा टेकीपट्टी निवासी लालमन शर्मा के दो बेटियां रूपा (20), मोनी (18) एवं दो बेटे हिमांशु (12) व सूरज (11) हैं। बालिग होते ही बेटियों के हाथ पीले करने की चिंता सताने लगी। रिश्ता मिला तो दोनों की शादी भी तय कर दी। आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण दोनों की शादी एक साथ करने की तैयारी की। आने वाले आठ दिसंबर को दोनों बेटियों की बारात आनी है। दोनों की डोली एक साथ उठाकर उन्हें विदा करने की तैयारी चल रही थी, लेकिन ईश्वर को शायद यह मंजूर नहीं था। बेटियों की डोली उठाने से पहले ही लालमन शर्मा की अर्थी उठ गई। लालमन की मौत कैसे हुई यह अभी कोई नहीं बता पा रहा है अब तो यह पता पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के बाद ही पता चल पायेगा। उसकी बहन का कहना है कि लालमन जब घर से निकला तो कोई दिक्कत नहीं थी। हादसे से उसकी पत्नी बिटोला, बेटी रूपा, मोनी व बेटे हिमांशु और सूरज बदहवास हैं।बिटोला यही सोचकर बेहाल है कि अब उसकी बेटियों के फेरे कैसे लगेंगे। उनकी डोलियां कैसे और कौन उठाएगा? दोनों बेटे अभी नामसझ हैं। ऐसे में बेटियों के हाथ कैसे पीले होगें? आसपास के लोग और रिश्तेदार बिटोला और उसके बच्चों को सांत्वना देने के लिए डटे रहे। घटना की जानकारी होते ही दोनों बेटियों के ससुरालवाले भी पहुंचे।नेशनल मीडिया न्यूज़ एजेंसी कुंडा की टीम क्षेत्र के सम्भ्रांत लोगों से अपील करती है कि मृतक लालमन के परिवार की मदद कर क्षेत्र व समाज में एक मिसाल कायम करें।अब देखने वाली बात यह है कि पीड़ित परिवार की मदद को कौन आगे आता है?

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