मामूली बरसात से खुली गाँवों में हुए विकास कार्यों की पोल

मामूली बरसात से खुली गाँवों में हुए विकास कार्यों की पोल

प्रतापगढ़

20. 07. 2020

रिपोर्ट --मो. हसनैन हाशमी


मामूली बरसात से खुली गाँवों में हुए विकास कार्यों की पोल

प्रतापगढ़ जनपद के कुंडा तहसील के हजारों गरीब परिवारों के पास रहने के लिए घर नही है लोग खप्पर और छप्पर में जीवन निर्वहन कर रहे हैं। टूटे-फूटे मिट्टी के मकान,इंसानों की निर्धनता के साथ-साथ सरकार और अफसरशाही की भ्रष्टता की गाथा गा रहे हैं।गरीबों को दी जाने वाली प्रधानमंत्री आवास योजना,मुख्यमंत्री आवास योजनाएँ भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी हैं।वंचित पात्र होते हुए अपात्र दिखाये जा रहे हैं।

आवास योजनाओं का बंदरबाट बड़े पैमाने पर हो रहा है जिस पर सरकार का कोई अंकुश नही है । वोट बैंक की राजनीति ने प्रधानों के अंदर की इंसानियत की हत्या कर उन्हें संवेदनहीन बना दिया है। जिसके कारण उन्हें न गरीबों की दुर्गति का एहसास होता हैं न ही अपनी जिम्मेदारियों का।भौतिक संसाधनों के संग्रह की महत्वाकांक्षा व धन कमाने की लोलुपता ने उनकी बुद्धि पर बुल्डोजर चला कर पैसे के लिए उन्हें अंधा बना दिया है।सरकारी अधिकारियों का भी वेतन से काम नहीं चल रहा है।

जन कल्याण योजनाओं में घूस खाते खाते उनके आँखों में मोतियाबिंद हो गया हैं,कानों में नोट के बंडल ऐसे घुसे है कि गरीबों की आह उनकी आत्मा तक नही पहुँच पा रही है।इस लिए सही शिकायत पर भी वो इंसाफ जैसा अपराध क्यूँ करें? सरकारी दावे ढोल के पोल साबित हो रहे हैं।भ्रष्टाचार के आगोश में सरकारी योजाएँ वास्तविक धरातल पर रेंग रही है। इस स्थित में सुधार शायद तब तक संभव नही है जब तक ग्राम प्रधान व ग्राम विकास संबधित अधिकारियों को अपने अधिकार के साथ-साथ अपने उत्तरदायित्व का बोध नही होता।

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