गजल संग्रह " कब आयेगा सवेरा " का हुआ भव्य लोकार्पण
- Posted By: MOHD HASNAIN HASHMI
- राज्य
- Updated: 10 December, 2020 19:30
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प्रतापगढ
10.12.2020
रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी
ग़ज़ल संग्रह " कब आयेगा सवेरा " का हुआ भव्य लोकार्पण
सृजना साहित्यिक संस्था उत्तरप्रदेश के तत्वावधान में उदीयमान शायर संतोष कुमार तिवारी 'आनन्द सुजान' की कुल 47 उम्दा ग़जलों का संग्रह " कब आयेगा सवेरा " का शानदार लोकार्पण सृजनाकुटीर, अजीतनगर, प्रतापगढ़ ( उ.प्र. ) में हुआ। शुभारंभ भगवान बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन, वंदना, त्रिशरण एवं पंचशील के वाचन से हुआ। अध्यक्ष डॉ० दयाराम मौर्य 'रत्न' एवं मुख्य अतिथि मौलाना अब्दुल्ला सलमान द्वारा संग्रह के लोकार्पण के उपरांत संग्रह के रचनाकार संतोष कुमार तिवारी 'आनन्द सुजान' को इस उपलब्धि के लिए " साहित्य गौरव सम्मान " से अलंकृत किया गया।
समारोह की अध्यक्षता एवं संग्रह की समीक्षा करते हुए वरिष्ट कवि-साहित्यकार तथा बाल न्यायाधीश डॉ० दयाराम मौर्य 'रत्न' ने कहा कि " कब आयेगा सवेरा " की सभी 47 ग़जलें भाषा, भाव, शैली तथा रचना-शिल्प की दृष्टि से उच्च स्तरीय हैं। बोधगम्यता और गेयता ग़जलों की प्रमुख विशेषता है। ज़्यादातर ग़जलों में वियोग, संयोग, श्रृंगार, उलाहना तथा मिलन की तीव्र उत्कण्ठा को प्रकट किया गया है।
मुख्य अतिथि के रूप में उर्दू के जाने-माने लेखक एवं समीक्षक मौलाना अब्दुल्ला सलमान ने कहा कि शायर आनन्द सुजान की ग़जलों का प्रधान गुण उनकी मौलिकता है। उर्दू ज़ुबान की मिठास सभी ग़जलों में बरकरार है। संग्रह " कब आयेगा सवेरा " उर्दू-हिन्दी अदब का कीमती ख़जाना है।
एलायंस क्लब इंटरनेशनल के अंतरराष्ट्रीय एडवाइजर रोशनलाल ऊमरवैश्य ने कहा कि इस ग़ज़ल की पुस्तक को बुक स्टालों पर रखा जाना चाहिए क्योंकि ग़जलों के चाहने वाले बहुत हैं। उर्दू लेखक-शिक्षक डॉ० मो० अनीस नाजिश ने कहा कि आनन्द सुजान की ग़ज़लों से देश में एकता और सद्भाव बढ़ेगा।
संचालन युवा कवि-शिक्षक अनिल कुमार 'निलय' ने बेहतरीन ढंग से किया। इस अवसर पर डॉ० संतोष कुमार शुक्ल, डॉ० दिनेश कुमार द्विवेदी, ट्रस्टी आनंद मोहन ओझा, डॉ० चन्द्रेश बहादुर सिंह 'ध्रुव', मौलाना अब्दुल्ला सलमान, डॉ० मो० अनीस, दीप चन्द्र तिवारी को भी साहित्य गौरव सम्मान दिया गया।
पुस्तक की समीक्षा तथा काव्य पाठ करने वालों में प्रेम कुमार त्रिपाठी 'प्रेम',श्रीनाथ मौर्य 'सरस', जितेन्द्र कुमार मौर्य, सिद्धांत शेखर मौर्य, कुंज बिहारी लाल मौर्य 'काकाश्री' सहित बड़ी संख्या में हिन्दी-उर्दू के जानकार उपस्थित रहे।
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