सच्चे मन से प्रभु से प्रार्थना स्वंय हुआ करती है फलवती---आचार्य गोपाल कृष्ण
- Posted By: MOHD HASNAIN HASHMI
- राज्य
- Updated: 22 January, 2021 17:44
- 548

प्रतापगढ
22.01.2021
रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी
सच्चे मन से प्रभु से प्रार्थना स्वयं हुआ करती है फलवती- आचार्य गोपाल कृष्ण
प्रतापगढ़ जनपद के पटटी क्षेत्र के वारीकलां गांव मे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ मे शुक्रवार को कथाश्रवण के लिए बडी संख्या मे श्रद्धालु जुटे दिखे। श्रीमद्भागवत ज्ञानयज्ञ को आगे बढाते हुए कथाव्यास आचार्य गोपाल कृष्ण जी महराज ने कहा कि प्रभु से बड़ा दयालु त्रिलोक मे कोई नही है। भगवान अपने भक्त की दशा और दिशा की देखभाल हर क्षण किया करते है। सच्चे मन से भगवान से की गई प्रार्थना सहश्र पुण्य के रूप मे फलवती हुआ करती है। उन्होनें माधवबिहारी गोविंद श्रीकृष्ण की दयालुता का बखान करते हुए कहा कि मैत्रीय धर्म मे भगवान ने सुदामा को न केवल गले लगाया बल्कि उसकी दीनता को भी सदा सर्वदा के लिए दूर कर भक्ति के प्रेमभाव के चलते सम्पन्नता मे बदल दी। उन्होनें कहा कि भगवान सत्य के प्रिय है और अधर्म को पूरी तरह से नष्ट करने के लिए अपने अवतार की उन्होनें समय समय पर सार्थकता सिद्ध की। आचार्य गोपाल कृष्ण जी ने कहा कि वैराग्य लोभ के संवरण को मिटाया करता है। जिस मनुष्य के मन मे लोभ तथा अहंकार का पटाक्षेप हो जाया करता है वह तत्क्षण अपनी भक्ति साधना के मोक्ष द्वार से मंजिल की ओर बढ़ने लगता है। उन्होनें कहा कि मनुष्य को जीवन का श्रंृगार सद्भाव और प्रकृति के प्रति भी प्रेम तथा संरक्षण के अलंकार से अंलकृत बनाये रखना चाहिये। आचार्य गोपाल कृष्ण जी ने कहा कि भगवान कृष्ण का शाश्वत चिंतन का मूल लोक कल्याण है। धर्म के प्रति विषवमन करने वाली नकारात्मक शक्तियों के विध्वंस मे भी भगवान का लोक पक्ष के प्रति करूणा तथा संरक्षण सदैव अभ्युदित हुआ है। कथाव्यास ने कहा कि कथा का श्रवण और उसका अनुश्रवण ही श्रद्धा को विश्वास का भी फल दिया करता है। कथा ज्ञानयज्ञ मे सुधी श्रोताओं के साथ महिला श्रद्धालुओं द्वारा हरे कृष्ण हरे राधे के भावपूर्ण संकीर्तन से आध्यात्मिक समां परवान पर चढ़ी दिखी। कथा का संयोजन करते हुए समाजसेवी रामअचल सिंह ने आचार्य पीठ का अभिषेक करते हुए गोपाल कृष्ण जी का सारस्वत श्रीतिलक किया। सह संयोजक अरूण कुमार सिंह व हरिकेश बहादुर सिंह तथा राजपति सिंह ने श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया। कथा संयोजन मे रामसिंह, राजकुमार सिंह, रमेश सिंह, उमेश सिंह, बलराम सिंह, श्याम सिंह, त्रिभुवन सिंह, घनश्याम, विकास, वैभव, अभिनीश, अभिमन्यु, आयुष, आर्यन, अधिराज आदि का सराहनीय योगदान दिखा। इसके पूर्व श्रीमदभागवत कथा ज्ञानयज्ञ को लेकर श्रद्धालुओं द्वारा भव्य कलश यात्रा भी निकाली गई। कलश यात्रा के दौरान ग्रामीण श्रद्धालुओं के पुष्पवर्षा व श्रीराधे नाम स्मरण के जयघोष से वातावरण सुगंधित हो उठा।
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