किसान भाई धान की फसल में लगने वाले 05 कीटों/रोगों से अपनी फसल को बचाएं
- Posted By: MOHD HASNAIN HASHMI
- राज्य
- Updated: 8 September, 2020 18:38
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प्रतापगढ़
08. 09. 2020
रिपोर्ट --मो. हसनैन हाशमी
किसान भाई धान की फसल में लगने वाले 05 कीटों/रोगों से अपनी फसल को बचाये -------------------
जिला कृषि रक्षा अधिकारी डा0 अश्विनी कुमार सिंह ने अवगत कराया है कि वर्तमान समय में मौसम के दृष्टिगत धान में कीट/रोग की प्रकोप की सम्भावना बनी हुई है, अतः नितान्त आवश्यक है कि इस समय कीट/रोगों को पहचानकर इनसे होने वाले क्षति से बचाव हेतु सुझाव एवं एडवाइजरी जारी की जा रही है, कृषक भाई फसलों मेंं लगने वाले दीमक, जड़ की सूड़ी, पत्ती लपेटक, गाल मिज व तना बेधक रोगों की पहचान कर एवं उसका उपचार कर अपनी फसल को खराब होने से बचायें। उन्होने दीमक कीट के विषय में बताया है कि दीमक की एक कालोनी में 90 प्रतिशत श्रमिक कीट होते है जो पीलापन लिये हुये सफेद रंग के पंखहीन होते है जो पौधों की जड़ों को खाकर क्षति पहुॅचाते है, इस रोग के नियंत्रण हेतु क्लोरेन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 प्रतिशत एस0सी0 200 मिली0 प्रति एकड़ मात्रा को 400 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिये। इसी प्रकार इमिडाक्लोरपप्रिड 17.8 प्रतिशत एस0एल0 की 100-125 मिली0 मात्रा को 400 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करना चाहिये। जड़ की सूड़ी कीट की पहचान हेतु बताया गया है कि इस कीट की गिडार उबले हुये चावल के सफेद रंग के होते है। सूड़ियॉ जड़ के मध्य में रहकर हानि पहुॅचाती है, इसके नियंत्रण हेतु कारटाप हाइडोक्लोराइड 4 प्रतिशत दानेदार रसायन 20-25 किग्रा0 मात्रा 3 से 4 सेमी स्थिर पानी में बुरकाव अथवा क्लोरोपायरीफास 20 प्रतिशत 2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से सिंचाई के पानी के साथ किया जाना चाहिये।
इसी प्रकार पत्ती लपेटक कीट के पहचान हेतु बताया गया है कि इस कीट की सूड़ियॉ प्रारम्भ में पीले रंग की होती है जो पत्तियों की लम्बाई में मोड़कर अन्दर से उनके हरे भाग को खुरच कर खा जाती है, इसके नियंत्रण हेतु धान के खेत में दो व्यक्तियों द्वारा लम्बी रस्सी के दोनो सिरे पकड़ कर पौधों के ऊपर गुजारने से कीड़े नीचे गिर जाते है। क्यूनालफास 25 प्रतिशत ई0सी0 1.25 ली0 प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें या ट्राएजोफास 40 प्रतिशत ई0सी0 500 मिली0 प्रति एकड़ की दर से 500-600 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। गाल मिज कीट के पहचान हेतु बताया गया है कि इस कीट की सूड़ी गोभ के अन्दर मुख्य तनों को प्रभावित कर प्याज के तनों के आकार की रचना बना देती है, जिसे सिल्वर सूट या ओनिअन शूट कहते है। ऐसे ग्रसित पौधों में बाली नही बनती है। इसके उपचार हेतु बताया गया है कि कार्बोफ्यूरान 3 प्रतिशत 20 किग्रा0 अथवा फिप्रोनिल 0.3 प्रतिशत 20 किग्रा0 प्रति हेक्टे0 3-5 सेमी0 स्थिति पानी में प्रयोग करना चाहिये। तना बेधक रोग की पहचान के विषय में बताया गया है कि इस कीट की मादा पत्तियों पर समूह में अण्डा देते है। अण्डों से सूड़ियॉ निकल कर तनों में घूसकर मुख्य शूट को क्षति पहुचाती है जिससे बढ़वार की स्थिति में मृतगोभ दिखाई देता है, इसके नियंत्रण हेतु बताया गया है कि तनाबेधक कीट के पूर्वानुमान एवं नियंत्रण हेतु 5 फैरोमोन टै्रप प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिये या रासायनिक नियंत्रण हेतु कार्बोफ्यूरान 3 प्रतिशत 20 किग्रा0 अथवा कारटाप हाइड्रोक्लोराइड 4 प्रतिशत की 18 किग्रा0 मात्रा को 3-5 सेमी0 पानी में बुरकाव करें।
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