करपात्री जन्मस्थली भटनी में बही काव्य रस की अनुपम धार

करपात्री जन्मस्थली भटनी में बही काव्य रस की अनुपम धार

Prakash prabhaw news

प्रतापगढ 


रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी 



करपात्री जन्मस्थली भटनी में बही काव्यरस की अनुपम धार


 धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी की जन्मस्थली भटनी मे रविवार को काव्यचेतना जागृत किये जाने का अनूठा संगम दिखा। भटनी गांव मे श्रृंगार के युवा कवि सौरभ ओझा के संयोजन मे आयोजित हुए कवि सम्मेलन मे गीतकार पवन कश्यप का गीत-प्रेम में तुम पगी पावनी हो गई को श्रोताओं ने जमकर सराहा। वहीं लखनऊ से आयी कवयत्री अनुजा मनु ने जब पढ़ा-नदी के सामने हिम को नही झुकते हुए देखा तो भी श्रोताओं की तालियां जोश मे आ गई दिखी। इसके पूर्व आयोजक समाज सेवी एवं शिक्षक राकेश त्रिपाठी तथा सौरभ ओझा ने कवि सम्मेलन के ध्येय पर प्रकाश डाला। राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का शुभारंभ मुख्यअतिथि अध्यक्ष नगर पंचायत लालगंज के प्रतिनिधि सन्तोष द्विवेदी व मीडिया प्रभारी ज्ञानप्रकाश शुक्ल तथा शिक्षक नेता विकास पाण्डेय ने दीप प्रज्ज्वलन व मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर किया। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता युवा इंका जिलाध्यक्ष सुधीर तिवारी ने किया। इधर अखिल भारतीय कवि सेवा संस्थान के तत्वाधान में आयोजित चतुर्थ राष्ट्रीय कवि सम्मेलन के उदघाटन सत्र मे विशिष्ट अतिथि जिपंस पुष्पा देवी व समापन अतिथि समाजसेवी बृजकिशोर शुक्ल रहे। वहीं विशिष्टवक्ता जय कौशल, अति विशिष्ट अतिथि एस एन त्रिपाठी, समाजसेवी राजा शुक्ला, अजय आशीष एवं भूपेन्द्र तिवारी काजू ने भी कवि सम्मेलन के ध्येय पर प्रकाश डाला। मीडिया प्रभारी ज्ञानप्रकाश शुक्ल ने साहित्य पर प्रकाश डालते हुए आभार प्रदर्शन किया। शुभारंभ हरदोई के प्रसिद्ध गीतकार पवन कश्यप की वाणी वंदना से हुआ। हास्य कवि छंदकार आशुतोष आशु ने पढ़ा-भरत राणा के निशदिन वीरता के गीत गाते है व धन्नजय शाश्वत ने जब मुर्दे भी मनरेगा से तनख्वाह ले रहे है की प्रस्तुति दी तो लोग वाह वाह करने लगे। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे फतेहपुर के सुप्रसिद्ध शायर शिवशरण बंधु ने रहते-रहते घर मे घर हो जाते है का मनोहारी काव्यपाठ किया। कवि सम्मेलन को ऊंचाईयां देते हुए ओजकवि अंजनी अमोघ ने ललकारा-दिल्ली से लेकर बींजिग तक रंग तिरंगा कर देगे, वहीं मशहूर शायर अनूप प्रतापगढी चलो और मजबूती से रिश्ता सम्भाला जाए के जरिए भी श्रोताओं पर छाप छोड़ा। श्रृंगार के कवि सौरभ ओझा ने हथेली पर लिखकर अपना नाम, जब से तुम चली गईं पढा। कार्यक्रम के प्रमुख व्वस्थापक सुरेंद्र तिवारी सागर रहे। सम्मेलन में करपात्री धाम भटनी प्रधान अशोक सिंह एवं प्रधान राकेश चतुर्वेदी ने कवियों व साहित्यकारों का सम्मान किया। वहीं आयोजन मे भुवनेश्वर शुक्ल, आशीष तिवारी, शास्त्री सौरभ त्रिपाठी, सोनू मिश्र, शिवम पांडेय, शिवकुमार कनौजिया, विक्रांत पांडेय, अनूप सिंह, रवि शुक्ल, रमेश तिवारी, बेदानन्द, दुर्गाप्रसाद ओझा, प्रेम नारायण तिवारी, संजय ओझा, सौजय, संतोष, नन्हे, देवेंद्र मणि, अभिनाष चन्द्र, रामदत्त, राव वीरेंद्र, गट्टे मिश्रा, सोनू पाण्डेय, शुभम श्रीवास्तव, शिवकुमार ओझा, डा. राज, सुनीत मिश्रा, बीरू मिश्रा का प्रबंधन मे विशिष्ट योगदान दिखा।

Comments

Leave A Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *