हत्या और आत्महत्या में अंतर निकालना कौशाम्बी पुलिस के लिए बना मुश्किल का विषय

हत्या और आत्महत्या में अंतर निकालना कौशाम्बी पुलिस के लिए बना मुश्किल का विषय

Prakash prabhaw news


हत्या और आत्महत्या में अंतर निकालना कौशाम्बी पुलिस के लिए बना मुश्किल का विषय


कौशाम्बी। जनपद कौशाम्बी में कुछ दिनों से लगातार आए दिन हो रही हत्याओं का सिलसिला जारी है जो बिकुल ही थमने का नाम नहीं ले रहा है।पंद्रह दिन से लगातार हर दूसरे दिन जनपद कौशाम्बी में किसी न किसी थाना क्षेत्र में एक या दो हत्या हो ही जाती है इसी का नजारा है पंद्रह दिन में हत्याओं का आंकड़ा दहाई की संख्या को छूने के लिए आतुर है। जनपद कौशाम्बी में हत्यारे इतने ज्यादा एडवांस हो गए हैं कि हत्यारों के द्वारा हत्या करने के बाद हत्या और आत्महत्या का अंतर निकालना कौशाम्बी पुलिस के लिए मुश्किल हो जाता है। अंततः कौशाम्बी पुलिस हत्या को आत्महत्या मानकर फाइल बंद कर देती है।

पुलिस को गुमराह करने के लिए हत्यारे हत्या करने के बाद लाश को ऐसी जगह ठिकाने लगाते हैं कि पुलिस भी हत्या को आत्महत्या मानकर अपना पल्ला झाड़ लेती है।मास्टरमाइंड हत्यारे हत्या करने से पहले अपने बचाव का रास्ता भी निकाल लेते है। मास्टरमाइंड हत्यारे हत्या करने के बाद लाश को आत्महत्या का रूप देने के लिए लाश को रेलवे ट्रैक पर फेक देते हैं या तो किसी सुनसान जगह पेड़ से फांसी का फंदा लगाकर टांग देते हैं लेकिन मौके की दास्तां कुछ और ही चिल्ला - चिल्ला कर बयां करती है। जिसको जनपद कौशाम्बी की पुलिस घटनास्थल की हकीकत मानने के लिए कतई तैयार नहीं होती और झूठी लकीरें पीटती हुई नजर आती है।

जिसका ताजा उदाहरण दो दिन पहले कोखराज थाना क्षेत्र में अलग - अलग जगह के दो व्यक्तियों की लाश एक ही जगह रेलवे ट्रैक पर मिलना हत्या की कहानी गढ़ रही है और एक दिन पहले पिपरी थाना क्षेत्र के गेरिया गांव के बाहर सुनसान जगह पर एक युवक की लाश पेड़ से झूलती हुई मिली इसी तरह एक दिन पहले पुरामुफ्ती थाना क्षेत्र के पनभरवा गांव में नवविवाहिता की लाश फांसी के फंदे से झूलती हुई मिली उसमे भी लोगों ने दबी हुई आवाज में हत्या की ओर इशारा किया। घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने तीनों जगह की लाशों की हत्या की आशंका जताई है। 

जिले में हत्या आत्महत्या के बीच सैकड़ो मामलों का राज अभिलेखो में दफन हो कर रह गया है हत्या और आत्महत्या में अंतर ना निकाल पाना ही कौशाम्बी पुलिस के लिए कार्यकुशलता का परिचायक बन गया है। जिससे अपराधियों के ऊपर अंकुश लगा पाना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन हो गया है। इसी के चलते हत्यारे हत्या करने से गुरेज भी नहीं करते हैं।

संवादाता- अनिल कुमार कौशाम्बी

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