जिस डाल पर बैठे हो उसी को मत काटो, समझदारी में ही भलाई है-- रीना त्रिपाठी

जिस डाल पर बैठे हो उसी को मत काटो, समझदारी में ही भलाई है-- रीना त्रिपाठी

प्रतापगढ 


13.02.2022


रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी



जिस डाल पर बैठे हो उसी को मत काटो,समझदारी में ही भलाई है--रीना त्रिपाठी




सर्वजन हिताय संरक्षण समिति महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष एवं भारतीय नागरिक परिषद की महामंत्री ने कहा है कि यह खबर राजनैतिक नहीं है बल्कि 01.04.2005 के बाद नियुक्त कर्मचारियों/शिक्षकों अधिकारियों के बुढ़ापे कि लकड़ी पेंशन और उनका बुढ़ापा अच्छे से बीत सके उसके दृष्टि से प्रदेश नेतृत्व द्वारा भेजी गई है।फिर भी आप स्वतंत्र है अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए।समझदारी से ही मतदान करें।वर्तमान में हो रहे विधान सभा के चुनाव में एक पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में पुरानी पेंशन को रखकर, अगर सरकार बनाने में असमर्थ हो गयी तो याद रखना आगे किसी भी पार्टी के घोषणा पत्र में पुरानी पेंशन का मुद्दा शामिल नही होगा।देश के सबसे ज्यादा कर्मचारियों वाले राज्य में पुरानी पेंशन का मुद्दा उठाकर एक पार्टी असफल हो जाएगी, तो छोटे-छोटे राज्यों में कर्मचारी पुरानी पेंशन केलिए संगठित होने का साहस नही करेगें।किसी न्यूज़ चैनल में पुरानी पेंशन पर चर्चा नही होगी, पुरानी पेंशन किसी पार्टी के घोषणापत्र का मुद्दा नही बनेगा। कोई पुरानी पेंशन देने की बात कह रहा है , जाति, धर्म से ऊपर उठकर उसको एक मौका तो  दो।एक पार्टी ने घोषणा पत्र में शामिल किया है तो कर्मचारी का भी दायित्व बनता है कि उसका साथ पूर्ण समर्थन से दें।अगर इनकी सरकार बनी और ये पुरानी पेंशन बहाल नही करते हैं तो फिर 2024 और 2027 में चुनाव होगा। झूठे वादे करने वालों को मिट्टी में मिला देना।कुछ लोगों का कहना है 2005 में मुलायम ने नई पेंशन क्यों लागू की और 2012-2017 तक अखिलेश ने पुरानी पेंशन क्यों नही लागू की?उस समय अधिकतर पुरानी पेंशन वाले कर्मचारियों का संगठन था, आज अधिकतर नई पेंशन से पीड़ित कर्मचारियों का मजबूत संगठन है। जिन्हें पुरानी पेंशन की जरूरत है।किसी पार्टी को पसंद करना या न करना तो आपका अधिकार है, लेकिन स्वयं की पेंशन का ही विरोध करना तो मूर्खता की पराकाष्ठा है।चुनाव तो कल 2024, 2027, 2029 में भी आएंगे  लेकिन पुरानी पेंशन की जंग अबकी फीकी हो गयी तो फिर पुरानी पेंशन कभी नही आएगी..एक बार पुरानी पेंशन बहाल करा लो।फिर उसके बाद खूब राजनीति करना,अपनी पार्टी का समर्थन करना।सवाल  बुढ़ापे का है।सवाल जीवन का है।कालिदास न बनो।।जिस डाल पर बैठे हो उसी को क्यों काट रहे हो..।

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