इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश- परिवार रजिस्टर में जिलाधिकारी को नाम दर्ज करने का अधिकार नहीं है।

प्रकाश प्रभाव न्यूज़

रिपोर्टर :ज़मन अब्बास

दिनांक :02/04/2021

प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि कानून अगर किसी कार्य का तरीका तय करता है तो उसको उसी के अनुरूप किया जाना चाहिए। ऐसा न करने पर वह कार्य विधि के विरुद्ध माना जाएगा। अदालत ने कहा है कि परिवार रजिस्टर में नाम दर्ज अथवा संशोधित करने का जिलाधिकारी को अधिकार नहीं है। कोर्ट ने जिलाधिकारी व ग्राम विकास अधिकारी के आदेशों को अधिकार क्षेत्र से बाहर करार देते हुए रद्द कर दिया है। इसके साथ ही नियमानुसार अर्जी दाखिल होने पर संबंधित पक्षों को सुनकर छह हफ्ते में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी व न्यायमूर्ति एसके ओझा की खंडपीठ ने दोस्तपुर, मैनपुरी की राममूर्ति देवी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया गया है।

जिलाधिकारी ने चार मार्च, 2020 को तीन विपक्षियों का नाम याची के परिवार रजिस्टर में दर्ज करने का आदेश दिया था। साथ ही याची को संशोधित परिवर्तित जन्म प्रमाणपत्र जारी किया। ग्राम विकास अधिकारी ने 18 मार्च, 2020 को परिवार रजिस्टर में विपक्षियों का नाम शामिल कर लिया। इसको याचिका में चुनौती दी गई। कहा गया कि जिलाधिकारी को ऐसा आदेश जारी करने का अधिकार नहीं है। परिवार रजिस्टर में नाम दर्ज करने के आदेश के खिलाफ अपील सुनने का अधिकार एसडीओ को है, उन्हीं का फैसला अंतिम होगा।

कोर्ट ने याची के तर्कों से सहमत होते हुए कहा कि नियम-6 के तहत सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) अर्जी मिलने पर जांच करेंगे। उनकी रिपोर्ट व आदेश पर सचिव ग्राम सभा परिवार रजिस्टर में नाम दर्ज करेगा। असंतुष्ट होने पर एसडीओ के समक्ष अपील होगी। ऐसे में डीएम को परिवार रजिस्टर में नाम शामिल करने का आदेश देने का वैधानिक अधिकार नहीं है।

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