देशवा म आई महंगाई गुजारा कैसे होये भाई--

देशवा म आई महंगाई गुजारा कैसे होये भाई--

प्रतापगढ 




21.03.2022




रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी




देसवा म आई महंगाई,गुजारा कैसे होये भाई--



प्रतापगढ़।प्रतापगढ जनपद के पश्चिमांचल में साहित्य की अलख जगाने वाली सामाजिक एवं साहित्य संस्था स्वतंत्र कवि मंडल सांगीपुर की नियमित मासिक गोष्ठी ग्राम मंगापुर स्थित बाल गोविंद मार्केट सभागार में अर्जुन सिंह की अध्यक्षता एवं डॉ अजित शुक्ल के संचालन में संपन्न हुई।

      विश्व गौरैया /प्रसन्नता दिवस के अवसर पर आयोजित गोष्ठी को संबोधित करते हुए मंडल अध्यक्ष अर्जुन सिंह ने कहा कि यह संयोग है कि आज विश्व प्रसन्नता दिवस के साथ ही विश्व गौरैया दिवस भी है। हमें आजीवन प्रसन्न रहकर अदृश्य होती जा रही गौरैया पक्षी को संरक्षण देना होगा। जिस घर में गौरैया रहती है, वहां बड़ा शुभ होता है।

     समस्त साहित्यकारों का स्वागत करते हुए संयोजक परशुराम उपाध्याय सुमन ने होली के पावन अवसर की शुभकामना देते हुए पढ़ा___


होली के मिलन में जो आओगे सुमन गीत,

 भांग भरी गुजिया मैं तुझको खिलाऊंगा ।

प्यारे देशवासी जब एकता में झूमेंगे,

 तो नाचि नाचि वंदे मातरम गीत गाऊंगा।

       गोष्ठी को आगे बढ़ाते हुए ग़ज़लकार अरविंद "सत्यार्थी" ने___


देखा भी, समझा भी, कुछ बात थी ।

बहुत खूबसूरत मुलाकात थी।

आदि गजल की कुछ पंक्तियां पढ़ा, तो छंदकार रघुनाथ यादव ने _____

ऐ नववर्ष हर्ष के बरस संग संग होली आई है।

 है प्रकृति सजी बहु ढंग अंग अंग किसलाई है

 पढ़कर श्रोताओं को होली के रंग में डुबो दिया।

साहित्यकार गीतेश यादव "जन्नत" ने होली का मुक्तक यूं पढ़ा____

खेलें होली और लगाएं गुलाल। दिल में न रखें कोई मलाल। फागुन के मदमस्त मौसम में, खूब करें मस्ती और धमाल।

      नवोदित रचनाकार रामजी आसमां ने पढ़ा___

देसवा म आई महंगाई गुजारा कैसे होए भइया।

 नहीं है कौनौ कमाई गुजारा कैसे होए भइया।

जहां,वरिष्ठ रचनाकार गुरुबचन सिंह "बाघ" ने पढ़ा___

ये आंधी ये तूफान ये बवंडर।

बना सकते हैं बस किसी का घर खंडहर।

वहीं, युवा गीतकार रवि कांत मिश्र 'शून्य" ने __

उड़े जो रंग चढ़ा के भंग करे हुड़दंग संग  होली।

 गुलाबी रंग हो चहुंओर चलो खेलें सभी होली।

 पढ़कर गोष्ठी को सार्थक बनाया।

चर्चित रचनाकार अशोक "विमल" ने 

हे माई कागा न बोलै मुड़े्र।

  खेत खरिहनवां न जागै सबेर।

 आदि पंक्तियों का गीत पढ़कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

   गोष्ठी में कृष्ण नारायण लाल श्रीवास्तव, अनूप त्रिपाठी,राजकुमार सिंह, डॉ अजित शुक्ल एवं अर्जुन सिंह ने विविध रचनाएं पढ़कर कार्यक्रम को ऊंचाइयों प्रदान की।

       अंत में राष्ट्रगान के साथ गोष्ठी का समापन हुआ।

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