अदृश्य रुप में कण-कण में विद्यमान हैं प्रभु--कथाव्यास देवव्रत
- Posted By: MOHD HASNAIN HASHMI
- राज्य
- Updated: 27 March, 2021 17:58
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प्रतापगढ
27.03.2021
रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी
अदृश्य रूप में कण-कण में विद्यमान हैं प्रभु ----कथाव्यास देवव्रत
प्रतापगढ़ जनपद के ब्लॉक सांगीपुर के ग्राम ननौती (पूरे भोला पांडे) में चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन कथाव्यास आचार्य देवव्रत जी महाराज ने महाभारत के प्रमुख पात्र श्रीकृष्ण को अवतारी मानते हुए कुंती और कृष्ण के बीच में हुए संवाद को विस्तृत रूप से समझाया। उन्होंने धन की प्रमुख तीन गतियों का उल्लेख करते हुए बताया कि दान, भोग व नाश में सर्वोत्तम दान है। धन की पवित्रता दान देने से होती है। व्यास जी ने द्रोपदी चीर हरण एवं बलि, बामन आदि प्रसंगों का उद्धरण देते हुए बताया कि बड़ा बनने के लिए अपने को छोटा प्रदर्शित करना उचित है। क्योंकि अदृश्य रूप में प्रभु तो कण-कण में विद्यमान हैं।उन्होंने बताया कि कृष्ण का अवतार नहीं हुआ था बल्कि वह अवतारी थे। अपने भक्तों को सुख देने के लिए ही समय-समय पर प्रभु अवतार लेते हैं। आचार्यों के वैदिक मंत्रों एवं संगीतज्ञों की मधुर आवाज मैं प्रस्तुत भजनों ने बड़ी संख्या में उपस्थित श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।मुख्य यजमान श्रीमती कलावती तिवारी सहित उनके परिजन, कथा को बड़ी तन्मयता से सुन रहे हैं।मुख्य आयोजक राजकुमार तिवारी उर्फ राज तिवारी के संयोजन में सुव्यवस्थित चल रही कथा में विश्व बंधुत्व मिशन प्रयाग संस्था के पदाधिकारी पवन जी एवं अनिल जी सहित स्वाध्याय केंद्र रांकी के संस्थापक शिक्षाविद पंडित भवानी शंकर उपाध्याय, सेवानिवृत्त शिक्षक मनो विश्राम मिश्र, वरिष्ठ अधिवक्ता परशुराम उपाध्याय सुमन, प्रेमचंद्र मिश्र, महावीर सिंह, राम अभिलाष शुक्ला, राम मिलन मिश्र, शिवदत्त सिंह दरोगा प्रधान, फौजी यंत्री प्रसाद पांडेय,प्रेम नारायण शुक्ला प्रधान,पंडित अंबिका प्रसाद पांडेय, लालबाबू, के के सिंह,राजापुर व्यापार मंडल के महामंत्री शेष कुमार रावत मोनू,शारदा प्रसाद तिवारी, राजेश सिंह डेली, ओंकार नाथ ओझा, रघुनाथ चतुर्वेदी, हरिहर प्रसाद तिवारी, कु. पंकज सिंह एवं श्रीमती रेखा तिवारी, दिशा सहित परिवारी जन के अलावा क्षेत्र के कोने-कोने से आए हुए भारी संख्या में श्रोताओं की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
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