हिंगलाज मंदिर में श्रद्धालुओं का उमड़ा जनसैलाब।

प्रकाश प्रभाव न्यूज
संवाददाता राकेश कुमार
चढ़ता हलवा पूड़ी का भोग...
हिंगलाज मंदिर में श्रद्धालुओं का उमड़ा जनसैलाब।
अमेठी/मुसाफिरखाना क्षेत्र के दादरा स्थित हिंगलाज मंदिर का पौराणिक महत्व है। साल के बारहों मास मंदिर पर श्रद्वालु पहुंचते हैं। आसपास के जिले से लोग मन्नतों की पूर्ति के लिए देवी के दरबार में माथा टेकते हैं। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी भी इस दरबार में माथा टेक चुके हैं। हिंगलाज मंदिर की स्थापना करीब 600 वर्ष पूर्व बाबा पुरुषोत्तम दास ने की थी। पुरुषोत्तम दास तुलसीदास के समकालीन थे।
बताते हैं कि तुलसीदास जी बाबा से मिलने के लिए दादरा में उनकी कुटिया में आते रहते थे। मंदिर के पुजारी शेषराम मिश्र के मुताबिक बाबा पुरुषोत्तम दास ने हिंगलाज नदी के किनारे हींगल पर्वत (अब पाकिस्तान में) पर 12 वर्षों तक कठोर तपस्या कर देवी को प्रसन्न किया था। बाबा ने क्षेत्र के सुख शांति के लिए देवी से दादरा चलने की प्रार्थना की थी।
बाबा की प्रार्थना पर देवी ने प्रतीक स्वरूप उन्हें एक त्रिशूल दिया जो आज भी मंदिर में स्थापित है। दूर-दराज से आने वाले भक्त मंदिर के हवन कुंड में आहुति डालकर प्रसाद ग्रहण करते हैं। नवरात्र में रात-दिन श्रद्धालु जमे रहते हैं। लोगों का मानना है नवरात्र के समय माता किसी न किसी रूप में मंदिर में साक्षात उपस्थित रहती हैं। पुजारी पं मिश्र ने यह भी बताया कि मंदिर में मास्क और दाे गज की दूरी का ध्यान रखने को लेकर श्रद्धालुओं के लिए विशेष हिदायत जारी की गई है।
हिंगलाज सेवक अंजनी श्रीवास्तव का कहना है कि हिंगलाज मंदिर में नवरात्र व अन्य अवसरों पर महिलाएं देवी मां को हलवा-पूड़ी का भोग लगाती हैं। कड़ाही चढ़ाने का पूजन विधान यहां बहुत पुराना है। देवी मां को भोग लगाने के बाद भक्तों में प्रसाद वितरण किया जाता है।
Comments