हिन्दुओं की आस्था का प्रतीक है महरौड़ धाम --सावन में दूर -दूर से श्रद्धालु आते हैं जलाभिषेक करने ।

हिन्दुओं की आस्था का प्रतीक है महरौड़ धाम --सावन में दूर -दूर से श्रद्धालु आते हैं जलाभिषेक करने ।

Prakash prabhaw news

प्रतापगढ

रिपोर्ट --मो. हसनैन हाशमी


हिन्दुओं की आस्था का प्रतीक है महरौड़ धाम---सावन में दूर -दूर से श्रद्धालु आते हैं जलाभिषेक करने ।


प्रतापगढ़ जनपद के मान्धाता विकास क्षेत्र के उड़ी डीह ग्रामसभा में सकरनी नदी के किनारे स्थित प्राचीन शिव धाम महरौड़ धाम क्षेत्रीय लोगों के आस्था का केंद्र है।प्रत्येक मंगलवार व सावन के महीने में यहां दूर दूर से लोग भगवान भोलेनाथ को जलाभिषेक करने आते हैं। क्षेत्र के गाजीपुर, बरिस्ता ,अचीतपुर,सीधापुर, टिकरी, डोड़पुर, शीतालपटी, बेलखरी के भक्त कांवर लेके आते हैं और जलाभिषेक करते हैं ।इस बार कोविड 19 के कारण शासन के निर्देशानुसार भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कार्य किया जा रहा है।प्रत्येक तीन वर्ष बाद लगने वाले पुरुषोत्तम मास/अधिमास/मलमास में जलाभिषेक के लिए भक्तों की लंबी लाइनें लगी रहती हैं और अंत में विशाल भंडारे का आयोजन क्षेत्रीय सहयोग से किया जाता है जिसमें लगभग 50 हजार से ज्यादा भक्त प्रसाद ग्रहण करते हैं।इस प्राचीन धाम के बारे में बुजुर्गों से मिली जानकारी के अनुसार यह धाम बहुत प्राचीन है कहते हैं कि यह पांडव कालीन धाम है अज्ञात वास के समय पांडवों के शिवलिंग की स्थापना की होगी ।एक समय यहां टीला की बचा था मंदिर गिर चुके थे प्राथमिक विद्यालय के निर्माण के दौरान हुई खुदाई में पुरानी मंदिर की नींव दिखाई पड़ी थी जो एक लाइन में पांच मंदिर की नींव थी साथ ही खुदाई के दौरान पुरानी मूर्तियां,तलवार और पहले के शस्त्र भी मिले थे ,जी की अभी मुख्य मंदिर के सामने विशालकाय नीम के वृक्ष के चारों तरफ बने चाबूतरे पर रखी हैं। इसके बाद ग्रामीणों की सहायता से भगवान भोलेनाथ का मंदिर बनवाया गया और जलाभिषेक होने लगा ।बाबा महरौड़ धाम की महिमा के बारे में कहते हैं कि एक बार प्रयागराज के कोरांव नामक स्थान से पटेल की बारात जा रही थी जाते समय धाम के नजदीक ही दूल्हा अचानक बीमार हो गया और उसकी तबीयत बिगड़ती ही का रही थी ,कुछ लोग तो दूल्हे को मृत मानने लगे थे ,पटेल परिवार ने भोलेनाथ से जीवन रक्षा की गुहार लगाई और बोले कि जीवन दान के उपरांत मै यहां मंदिर निर्माण करवाऊंगा कुछ देर बाद ही दूल्हे को होश आया वह उठ बैठा फिर बारात आगे गई विवाह संपन्न हुआ ।उसके बाद से वह पटेल परिवार सावन व अधिमास में पूरे एक महीने यहां रुककर भोलेनाथ की सेवा करने लगे और तीन मंदिरों का निर्माण भी कराया ।इस पवित्र धाम से आजतक कोई निराश होकर नहीं लौटा हैै ऐसी बाबा की कृपा है । धाम में मुख्य मंदिर का पुनः निर्माण सन 1992 में क्षेत्र वासियों ने कराया ।आज यह धाम प्राकृतिक रूप से बहुत सुन्दर है ,धाम का सौंदर्यीकरण भी व्यक्तिगत प्रयास से होता रहता है ।वर्तमान में यहां एक युवा मंडल सक्रिय रूप से समाज हित में कार्य कर रहा है जिसका मुख्य उद्देश्य ,पौधारोपण ,जल संरक्षण,गरीबों की सहायता ,सफाई अभियान आदि कार्य किए जा रहे हैं जिसके प्रेरणास्रोत जल पुरुष के नाम से मशहूर ,प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता डॉ समाज शेखर जी हैं।

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