नहीं निकला डेढ़ सौ साल पुराना परंपरागत हज़रत अली का ताबूत

प्रकाश प्रभाव न्यूज़
लखनऊ
रिपोर्ट अली अब्बास
नहीं निकला डेढ़ सौ साल पुराना परंपरागत हज़रत अली का ताबूत।
सदियों से चली आ रही परंपरागत जुलूस पर करोंना की मार का असर देखने को मिला है हजरत अली की शहादत का जुलूस थाना सहादतगंज के नजफ़ रोजे से बड़ी अकीदत के साथ निकाला जाता था यह जुलूस 21 रमजान की सुबह 4:00 बजे निकलता था जिसमें शिया समुदाय के हजारों लोग नम आंखों से शिरकत करते थे और हजरत अली के ताबूत को कंधा देते थे लेकिन इस बार करोना महामारी की वजह से जुलूस नहीं निकला।
आपको बता दें कि आज 21 रमजान की सुबह पैगंबर हजरत अली के शहीद हुये थे जिसका शोक ताबूत के रूप में देखने को मिलता था थाना सहादतगंज के नजफ़ रोजे से शिया समुदाय के हजारों लोग नम आंखों से हजरत अली के ताबूत को कंधा देते थे लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो पाया कोरोना महामारी की वजह से प्रशासन ने यह जुलूस निरस्त कर दिया है वही धर्मगुरुओं ने भी इसका समर्थन किया है और करोना जैसी महामारी को फैलने से रोकने के लिए इस जुलूस को स्थगित कर दिया है हर साल हजारों की तादात में शिया समुदाय के लोग इस ताबूत में शिरकत करते थे और मातम कर नम आंखों से हजरत अली को विदा करते थे।
वही आज नजफ़ रोजे को पुलिस ने छावनी में तब्दील कर दिया है खुद देर रात एडीसीपी राजेश श्रीवास्तव, एसीपी बाज़ार खाला विजय राज सिंह और इंस्पेक्टर सआदतगंज बृजेश कुमार यादव ने मौके पर पहुंचकर वहां का जायजा लिया और सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर आरआरएफ, पीएससी, महिला फोर्स के साथ यूपी पुलिस भी तैनात कर दी है वही एडीसीपी राजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि करोना महामारी की वजह से प्रशासन और धर्मगुरुओं ने इसका समर्थन किया है और इस ताबूत पर रोक लगाई है हम उन तमाम लोगों का धन्यवाद देते हैं जिन्होंने इस बड़ी महामारी में इतना बड़ा फैसला लिया है ताकि करोना जैसी बीमारी से सब मिलकर आपस में लड़ सके ।
वही जनाब हसन मिर्ज़ा जो कि सदियों से इस ताबूत को उठाते चले आ रहे हैं उन्होंने नम आंखों से बताया कि 2 साल से हम लोग इस ताबूत को स्थगित कर रहे हैं पिछले साल करोना महामारी की वजह से भी हम लोग हजरत अली का ताबूत नहीं उठा पाए और हमने अपने कौम से वादा किया था कि इंशा अल्लाह अगले साल इस ताबूत को उठाएंगे लेकिन इस साल भी इतनी बड़ी करोना महामारी जो कि पिछले साल से ज्यादा देखने को मिली जिसमें काफी लोगों अपनी जिंदगी से जंग हार गए इस वजह से इस साल भी इस ताबूत को स्थगित करना पड़ रहा है हसन मिर्ज़ा ने नम आंखों से जायरीनों से माफी मांगी और दुआ की कि हम लोग अगले साल इस ताबूत को फिर से उसी अकीदत के साथ उठाएंगे।
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