हाईकोर्ट ने रचा इतिहास, सभी अदालतों में बहस व सुनवाई आदेश सब हिंदी में

Prakash Prabhaw News

 रिपोर्ट :ज़मन अब्बास

 हाईकोर्ट ने रचा इतिहास, सभी अदालतों में बहस व सुनवाई आदेश सब हिंदी में

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रचा इतिहास, सभी अदालतों में बहस व सुनवाई आदेश सब हिंदी में हिंदी दिवस के मौके इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सभी अदालतों में बहस और सुनवाई हिंदी में किए जाने की घोषणा की है।

मंगलवार को एक्टिंग चीफ जस्टिस एमएन भंडारी सहित सभी खंडपीठों और एकल पीठों में मुकदमों की सुनवाई हिंदी में पूरी की गई। इलाहाबाद हाईकोर्ट  ने सभी अदालतों में बहस और सुनवाई हिंदी में किए जाने की घोषणा की है। मंगलवार को एक्टिंग चीफ जस्टिस एमएन भंडारी सहित सभी खंडपीठों और एकल पीठों में मुकदमों की सुनवाई हिंदी में पूरी की गई। निबंधक शिष्टाचार आशीष कुमार श्रीवास्तव के मुताबिक इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायालय सहित अन्य न्यायालयों में मंगलवार को सुनवाई व बहस हिन्दी में की गई। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सहित अन्य न्यायाधीशों ने भी याचिकाओं आदि में अपने आदेश व निर्णय हिन्दी में ही पारित किए। बता दें कि इससे पहले भी हिंदी दिवस के मौके पर अधिवक्ता हिंदी में ही बहस करते थे लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है जब सभी न्यायालयों में हिन्दी का ही प्रयोग किया गया।

17 मार्च, 1866 से न्याय दिला रहे ऐतिहासिक इलाहाबाद हाईकोर्ट में हिंदी में फैसले की शुरुआत जस्टिस प्रेम शंकर गुप्त ने की थी। उन्होंने अपने 15 वर्ष के न्यायाधीश कार्यकाल में चार हजार से अधिक फैसले हिंदी में दिए थे। उनके बाद कई अन्य न्यायाधीशों ने भी इस परम्परा को आगे बढ़ाने का काम किया। उनकी ही तरह जस्टिस गौतम चौधरी ने भी कई फैसले हिंदी में दिए हैं।

गौतम चौधरी ने अब तक 2200 फैसले हिंदी में सुना चुके हैं. हाल में गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की सलाह संबंधी फैसला भी जस्टिस शेखर कुमार यादव ने हिंदी भाषा में दिया। शादी के लिए धर्म परिवर्तन अपराध होने और साइबर ठगी में बैंक और पुलिस की जिम्मेदारी तय करने का भी फैसला उन्होंने हिंदी में दिया।

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