केंद्रीय श्रम संगठनो एवं कर्मचारी संगठनों ने सरकार की नीतियों के विरोध में सौंपा ज्ञापन

केंद्रीय श्रम संगठनो एवं कर्मचारी संगठनों ने सरकार की नीतियों के विरोध में सौंपा ज्ञापन

प्रतापगढ़



26 11 2020


रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी 



  केंद्रीय श्रम संगठनो एवं कर्मचारी संगठनों ने सरकार की नीतियों के विरोध में सौंपा ज्ञापन 


केंद्रीय श्रम संगठनों एवं कर्मचारी संगठनों के आह्वान पर जनपद प्रतापगढ़ में खासा प्रभाव रहा डाक विभाग, एलआईसी, बैंक विभिन्न प्रतिष्ठान पूरी तरह,और  अन्य में  हड़ताल का प्रभाव आंशिक दिखा,  कार्य बहिष्कार और विरोध प्रदर्शन तक सीमित रहा।

सभी कार्यालयों विभागों व क्षेत्रों में विरोध सभा कार्य बहिष्कार हड़ताल करते हुए 1:00 बजे जिला कलेक्ट्रेट प्रतापगढ़ में एक सभा का आयोजन जिला ट्रेड यूनियन काउंसिल के अध्यक्ष हेमंत नंदन ओझा की अध्यक्षता में आयोजित हुआ जिसे प्रमुख रूप से खेत मजदूर यूनियन के नेता एवं ट्रेड यूनियन के संरक्षक रामबरन सिंह, डाक विभाग के नेता स्वतंत्र कुमार तिवारी एवं अनूप श्रीवास्तव, आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष माधुरी सिंह, राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष विश्राम सिंह, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष राधे मोहन मिश्रा,  उत्तर प्रदेश किसान सभा के जिला महामंत्री निर्भय प्रताप सिंह, असंगठित मजदूर यूनियन के राजमणि पांडेय, निर्माण मजदूर यूनियन के अध्यक्ष संजय शुक्ला, जल निगम लाल झंडा मजदूर यूनियन के मंत्री अजय श्रीवास्तव, पल्लेदार मजदूर यूनियन के मंत्री महेश सरोज, उत्तर प्रदेश बिजली कर्मचारी संघ के जिला मंत्री रामसूरत ने संबोधित किया। सभा का संचालन उत्तर प्रदेश बैंक एंप्लाइज यूनियन के जिला मंत्री नरेंद्र प्रसाद मिश्रा ने किया। सभा में वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों व मजदूरों के विरुद्ध लोकसभा में बिल पारित करके और कानून बनाकर उनके अधिकार और हितों की जिस तरह की उपेक्षा कर रही है। इससे देश को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। वक्ताओं ने कहा कि सरकार सार्वजनिक उद्यमों, रेल, बैंक, बीमा, रक्षा, बिजली, बंदरगाह, एयरपोर्ट जैसी सभी सेवाओं व उद्यमों में निजी करण कर रही है, जिससे देश और कर्मचारियों की अपूरणीय क्षति होगी। केंद्र सरकार केवल अपने हितैषी पूजीपतियों के हित में काम कर रही है। इसे जनता के हितों का कोई ख्याल नहीं रह गया है। जनता को केवल धर्म और जाति के नाम पर बांटकर हासिल की गई सफलता और सत्ता हमेशा नहीं रहेगी। सरकार को इससे बाज आना चाहिए। वक्ताओं ने उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार द्वारा एस्मा लागू करके कर्मचारियों को डराने धमकाने का जो प्रयास किया जा रहा है वह पूरी तरह अलोकतांत्रिक है, और इस तरह के कानून लागू करके श्रमिकों, कर्मचारियों और किसानों के हितों पर सरकार हमला बोल रही है। जिसके लिए अब इस देश के मजदूरों किसानों कर्मचारियों को एकजुट होकर इस सरकार से सड़कों पर उतर कर के लड़ना होगा क्योंकि मोदी और योगी सरकार ने छल छदम से जो सत्ता हासिल की है उसके चलते सदन में इनका बहुमत है सरकार इसी बहुमत के बल पर दमन के रास्ते पर आगे बढ़ रही है और हिटलर वादी रवैया अपना रही है। सभा के अंत में प्रधानमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन जिसमें नव पारित किसान विरोधी कानून और मजदूर विरोधी श्रम संहिता को वापस लिए जाने, वित्तीय क्षेत्र सहित सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण रोके जाने ,रेलवे आयुध कारखाना, बिजली, बंदरगाह आज जैसे सरकारी विनिर्माण उपक्रम और सेवा संस्थानों का निगमीकरण बंद किए जाने, सभी को पेंशन दिए जाने, एनपीएस को खत्म करने, पहले की पेंशन बहाल करने सभी स्कीम और यथा आंगनबाड़ी, रोजगार सेवक, रसोईया, आशा आदि को राज्य कर्मचारी का दर्जा दिए जाने व उसकी सुविधाएं दिए जाने, अस्थाई कार्यों के सापेक्ष संविदा अथवा आउट सोर्स के माध्यम से नियुक्ति न किए जाने और संविदा पर कार्यरत कर्मियों को नियमित किए जाने ,बैंक बीमा सहित सार्वजनिक क्षेत्र के सभी उपक्रमों का मजबूती करण किए जाने, सभी गैर आयकर दाता परिवारों के लिए ₹75 का नगद स्थानांतरण किए जाने सभी जरूरतमंदों को प्रति व्यक्ति प्रति माह 10 किलो राशन मुफ्त दिये जाने, सभी जरूरतमंद को प्रति व्यक्ति प्रति माह 10 किलो राशन मुक्त दिए जाने ,मनरेगा के अंतर्गत 100 के स्थान पर 200 दिन रोजगार की गारंटी दिए जाने व मनरेगा का शहरों में विस्तार करने मासिक मजदूरी कम से कम रुपये 21,000/- किए जाने की मांग की गई। सभा के अंत में उप जिलाधिकारी ने सभा स्थल पर आकर ज्ञापन प्राप्त किया।

Comments

Leave A Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *