भगवान के प्रति निश्छल श्रद्धा से प्रशस्त होता है जीवन में पुण्य का मार्ग- आचार्य गोपाल कृष्ण
प्रतापगढ़ जिले के पटटी क्षेत्र के वारीकलां गांव मे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ मे मंगलवार को श्रद्धालुओं ने कथा का रसास्वादन किया। कथाव्यास आचार्य गोपाल कृष्ण जी महराज ने कहा कि भगवान के प्रति मन की श्रद्धा मनुष्य को जीवन मे जीने की कला प्रदान किया करती है। उन्होनें कहा कि मन की वितृष्णा को दूर करने के लिए कलयुग के कलिकाल मे श्री राधे का भजन व स्मरण ही एक मात्र साधन है। आचार्य गोपाल कृष्ण जी महराज ने कहा कि भगवान कृष्ण ने अपने सांसारिक अवतार के जरिए यह शाश्वत संदेश दिया कि जीवन मे नीति पथ ही विजय पथ का मूलमंत्र है। आचार्य प्रवर ने कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि आस्था सदैव स्वार्थ से मुक्त होनी चाहिए। भगवान के प्रति समर्पण का उददेश्य सदैव निश्छल और निष्काम ही होने से जीवन मे पुण्य स्वतः मुदित हुआ करते है। आचार्य गोपाल कृष्ण जी ने कहा कि कलियुग के कलिकाल मे भागवत महात्म्य को सुनने का अवसर भी जीव को उसके समस्त मंगल अभिषेक के पक्ष को मजबूत बना दिया करता है। कथा व्यास ने कहा कि पूजा और भक्ति का मार्ग इसलिए कठिन है क्योंकि इस मार्ग पर संस्कार और चरित्र बल को तपाना पड़ता है। उन्होनें कहा कि भक्ति की निर्मलता स्वयं भगवान के भजन की पुण्यता है। भावपूर्ण कथा के दौरान महिला श्रद्धालुओं द्वारा श्रीराधे संकीर्तन से कथास्थल पर आध्यात्मिक वातावरण सुमधुर गंुजायमान हो उठा दिखा। कथा का संयोजन करते हुए समाजसेवी रामअचल सिंह ने आचार्य पीठ का अभिषेक करते हुए गोपाल कृष्ण जी का सारस्वत श्रीतिलक किया। सह संयोजक अरूण कुमार सिंह व हरिकेश बहादुर सिंह तथा राजपति सिंह ने श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया। कथा संयोजन मे रामसिंह, राजकुमार सिंह, रमेश सिंह, उमेश सिंह, बलराम सिंह, श्याम सिंह, त्रिभुवन सिंह, घनश्याम, विकास, वैभव, अभिनीश, अभिमन्यु, आयुष, आर्यन, अधिराज आदि का सराहनीय योगदान दिखा। इसके पूर्व श्रीमदभागवत कथा ज्ञानयज्ञ को लेकर श्रद्धालुओं द्वारा भव्य कलश यात्रा भी निकाली गई। कलश यात्रा के दौरान ग्रामीण श्रद्धालुओं के पुष्पवर्षा व श्रीराधे नाम स्मरण के जयघोष से वातावरण सुगंधित हो उठा।
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