जिला अस्पताल गेट पर घंटों तड़पती रही गर्भवती महिला प्रसव के दौरान हुई नवजात की मौत

जिला अस्पताल गेट पर घंटों तड़पती रही  गर्भवती महिला प्रसव के दौरान हुई नवजात की मौत

प्रकाश प्रभाव न्यूज़

कमलेन्द्र सिंह, 

जिला अस्पताल गेट पर घंटों तड़पती रही  गर्भवती महिला प्रसव के दौरान हुई नवजात की मौत


जिलाधिकारी का सदर अस्पताल का बार बार औचक निरीक्षण बेअसर नहीं सुधर रही स्वास्थ्य ब्यवस्थाएं

फतेहपुर ।

वैसे तो स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर अक्सर ही उंगलियां उठती रहती हैं और उठे क्यों ना जिले के सदर अस्पताल प्रशासन और उनकी स्वास्थ्य ब्यवस्था की सच्चाई जानने के लिये हो रहे आये दिन तमीरदारो से बवाल लेकिन हद तो जब हो जाती है कि इंसानी जिंदगियों को बचाने वाले भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर ही हैवान बन जाए तो आम जनता का क्या होगा? कोरोना महामारी को लेकर जहां समूचा विश्व त्राहिमाम कर रहा है वहीं कोरोना जैसी अदृश्य बीमारी से बचने के लिए अभी कोई वैक्सीन या दवाई नहीं बन सकी है । अदृश्य बीमारी की आड़ मे संवेदनहीन व्यवहार प्रशासन की नाकामी उजागर करता है।

जानकारी साझा करते हुए ऐसा ही एक मामला रविवार को घोर लापरवाही का देखने को मिला जहाँ जिला अस्पताल के गेट के सामने थरियांव क्षेत्र के बसावन गांव निवासी जसवीर सिंह की पत्नी सुनीता देवी की प्रसव की पीड़ा होने पर आशाबहू को जानकारी देते हुए एम्बुलेंस को फोन किया लेकिन अधिक देर तक एंबुलेंस ना आने पर जसवीर ने आशा बहू की मदद लेते हुए गर्भवती पत्नी को मोटरसाइकिल में बैठा कर जिला सदर अस्पताल आनन फानन में लेकर आये और पत्नी को मोटर साइकिल से उतारा तभी प्रसव की अधिक पीड़ा होने से पति ने तुरंत देर किये बिना अस्पताल के अंदर जाकर डाक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों से पूरा हाल बया कर मदद की गुहार लगाई।लेकिन वहां के कर्मचारी टाल मटोल कर इधरउधर टहलाते रहे और तमासबीन बन कर महिला को तड़पता देखते रहे किसी ने कोई मदद नही की तभी प्रसव की अधिक पीड़ा के कारण महिला ने अस्पताल के गेट के सामने बच्चे को जन्म दे दिया।और अभी कुछ ही देर हुए थे कि नवजात शिशु की मृत्यु हो गई।इस तरह की जिला अस्पताल के स्टाफ की घोर लापरवाही से एक जिंदगी काल के गाल में समा गई।वहीं जसवीर ने बताया कि अगर सरिता को तुरंत भर्ती कर लिया जाता तो बच्चे को बचया जा सकता था। नवजात की मृत्यु के बाद अस्पताल का स्टाफ बाहर आया और महिला को ले जाकर भर्ती कराया।इसी तरह जिले मे लाँक डाउन के दौरान जब प्रवासी कामगार मजदूर अपने घरों को बाहर से वापस आ रहे थे तब पर भी जिला अस्पताल प्रसाशन की घोर लापरवाही दिखी बाहर से आये हुए मजदूरों को सिर्फ टेंपरेचर नाप कर और एक रूपये का पर्चा बनाकर उनको अपने-अपने घरों में स्वयं आइसोलेट कर रहने की सलाह तो दे दी लेकिन वहीं मजदूर अपने आप को 14 दिनों तक कोरनटाइन मे न रहकर गांवों मे इधर उधर बजार हाट मे घूमते हुए नजर आए और यही कारण हैं कि जिले मे महामारी के केश बढ़ते जा रहे है।और इसकी रोकथाम करना अब मील का पत्थर साबित हो रहा है।

वहीं गर्भवती के प्रसव के दौरान जिला अस्पताल स्टाफ द्वारा बरती गई घोर लापरवाही को देखते हुए जिलाधिकारी ने जांच के आदेश दिए हैं और कड़ी कार्य वाही की बात कही है लेकिन देखना यह है कि आदेश का पालन कहाँ तक सच साबित होता है यह आने वाला वक्त ही बतायेंगा या फिर ये भी जांच ठंडे बस्ते में पडी़ की पडी़ रह जायेगी।

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