शासन-प्रशासन की आंखों में दारोगा ने झोकी धूल, पीड़िता का बचाव करने वाले हुए फर्जी मुकदमे में नामजद

शासन-प्रशासन की आंखों में दारोगा ने  झोकी धूल, पीड़िता का बचाव करने वाले हुए फर्जी मुकदमे में  नामजद

प्रतापगढ 



06.01.2022



रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी



शासन प्रशासन की आंखों में दारोगा ने झोकी धूल, पीड़िता का बचाव करने वाले हुए फर्जी मुकदमें में नामजद




प्रतापगढ। पुलिस हाथी को चींटी तो चींटी को हाथी साबित करने का महारत रखती है इसका अनुभव हर असहाय व गरीब को है। उनके द्वारा शतरंज के मोहरों की तरह चली गयी चाल में अक्सर असहज व बेगुनाह लोग ही फंसते रहे है। ऐसा ही एक सनसनीखेज मामला जेठवारा थाना क्षेत्र का सुर्खियों में बना हुवा है। थाना क्षेत्र की मामला भुवालपुर, डोमीपुर (गौरबारी) निवासी श्रीमती मिथिलेश पाल और उसके नाबालिग लड़के से जुड़ा है। शक्ल सूरत में साधारण दिखने वाली मिथलेश पाल को हमेशा हमेशा के लिए मारपीट कर भगा देना चाहते थे। इसी के चलते दहेज की आड़ में एक दशक से आये दिन ससुरालीजन आएदिन मारने पीटने लगे। थकहार कर दहेज प्रकरण में घरेलु हिंसा की शिकार मिथिलेश पाल ने अपने ऊपर हो रहे अत्याचारो के लिए न्यायालय की शरण में है। इसी मामले को वापस लेने के लिए उन पर 25 नवम्बर 2021 को उनके परिवारिजनों व पट्टीदारों के द्वारा बेवजह हमला किया गया। किसी ने डंडे से तो किसी ने ईंट से मारा तो दर्जन भर से अधिक महिलाओं व पुरुषों ने पटक पटक कर लात, घूंसा से बर्बरता पूर्ण पीटा। किसी तरह जान बचाकर वह घर मे भागी तो घर मे घुसकर दोनों तांगे पकड़ कर घसीटते हुए बाहर लाकर जान लेवा हमला कर व उसके गुप्तांगों पर लातों से मार मारकर मरणासन कर दिया। गुहार सुनकर दौड़े गांव वालों के प्रयास से उसकी जान बची।  उनका नाबालिग लड़का इस घटना का वीडियो बना रहा था उसको भी पीटकर उसका मोबाइल छीन लिया गया। किसी तरह महिला उसी दिन जेठवारा थाने जाकर एसओ रवीन्द्र त्रिपाठी को तहरीर दी। प्रकरण संगीन देख एसओ ने तहरीर बदल कर दूसरी देने व अगले दिन रिपोर्ट दर्ज करने की बात कही। वही हमलावरों की ओर से उर्मिला देवी की तहरीर पर उसी दिन इसी पीड़िता व चार बचाने वाले को नामजद एनसीआर दर्ज कर ली। अगले दिन एसओ छुट्टी पर जाने पर प्रभारी एसओ रमेश यादव ने पीड़िता को यह कहकर थाने से वापस कर दिया कि एसओ अवकाश पर है आने के बाद तुम्हारा मेडिकल होगा व रिपोर्ट दर्ज होगी। थाने के दरोगा की भूमिका संदिग्ध देखते हुए उसने उच्च अधिकारियों से न्याय के लिए गुहार लगाई। थाना से सीओ, फिर एसपी को तहरीर देकर आप बीती बताकर रिपोर्ट दर्ज कराने को लेकर चक्कर लगाते लगाते थक हार कर लखनऊ में जनता दर्शन में माननीय मुख्यमंत्री से मिली जहां से उसे न्याय का आश्वासन मिला। इस मामले में जेठवारा थाने के दरोगा सीताराम यादव ने विरोधी उर्मिला पाल द्वारा फर्जी दर्ज एनसीआर को आधार बनाकर दूसरे गांव कटकावली के निवासी केशव सिंह पुत्र रामधन सिंह, व इसी ग्राम सभा के बार्डर पर स्थित राजेंद्र सिंह सुत शिवमूरत, मनीराम सिंह सुत बैजनाथ की गवाही पर पीड़िता मिथलेश पाल की प्रकरण को फर्जी बताकर कोई भी कार्यवाही न करने की आवश्यकता बताकर रिपोर्ट एसपी को सौप दी। वही इसके पूर्व तत्कालीन प्रभारी एसओ रमेश यादव ने विपक्षी की एनसीआर पर ताबड़तोड़ कार्यवाही करते हुये दो दिनों में पांच बार अपने मातहतों के साथ पीड़िता व बचाव करने वालों की गिरफ्तारी के लिये दबिश देते रहे। पुलिस की इस ताबड़तोड़ से गांव में दहशत का माहौल बन गया। इधर सीएम के द्वारा मांगी गई जांच आख्या में दरोगा सीताराम यादव ने फर्जी आख्या लगाकर एसपी की तरह सीएम की आंखों में भी धूल झोंक दी। प्रकरण को मुख्यमंत्री के द्वारा संज्ञान में लेने की जानकारी होते ही जेठवारा थाना प्रभारी रविन्द्र त्रिपाठी ने महीने भर तक रिपोर्ट न लिखने के लिए टालमटोल करते रहने के बाद उसी प्रकरण को गम्भीर प्रकरण मानकर पन्द्रह महिला पुरूष ज्ञात एवं दर्जनभर अज्ञात लोगों के ऊपर संगीन धाराओं में मुकदजा दर्ज कर थाने के दरोगा रमेश यादव व सीताराम यादव को चौका दिया। जिसकी विवेचना रविन्द्र कुमार यादव को सौपी गयी है। 25 दिसम्बर को मय फोर्स विवेचक रवीन्द्र यादव पीड़िता के घर पहुंचे दर्जन भी से अधिक लोगों के बयान लिये। लोगों ने अपने बयान में प्रकरण को सत्य व संगीन बताया जिसे विवेचक ने वीडियों बनाकर सभी के बयान भी दर्ज किये। वही एक महिला ने उक्त लोगों के द्वारा दो वर्ष पूर्व पड़ोस की एक महिला को भी मिथलेश पाल की तरह बर्बरता से पिटाई करने की बात बताई जिसमें राम नरेश पाल की पत्नी का हाथ भी टूटने की बात विवेचक से साझा किया। जिसे सुनकर सभी पुलिस कर्मी हैरत में पड़ गये। इतना कुछ होने व आरोपी मौजूद होने के बावजूद उनकी गिरफ्तारी करने के बजाय विवेचक बेरंग वापस चले गये। जिले तेज तर्राक एसपी के रूप में अपनी ख्याति जुटाये जिले के कप्तान ने गर इस प्रकरण को गम्भीरता से ले लेते है तो ऐसा चौकाने वाला तथ्य सामने आयेगा जिससे एक बार एसपी की आंखे खुली की खुली रह जायेगी। गर एसपी ने प्रकरण को तीसरी बार नजर अंदाज करते है तो यह प्रकरण सीएम के संज्ञान में जाना तय है। जिसकी आख्या एसपी को दे पाना अब आसान नहीं होगा। वही थाने के तीनों दरोगा रमेश यादव, सीताराम यादव व रविन्द्र यादव की कार्यशैली व मनमानी को देख जहां आम जनमानस में भारी आक्रोश व्याप्त है वही पुलिस महकमें के एक अधिकारी की माने तो इन निरीक्षकों पर गाज गिरने से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। 

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