फलों का राजा आम व्यापारियों के आगमन का कर रहा इंतजार

फलों का राजा आम व्यापारियों के आगमन का कर रहा इंतजार

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हरदोई

फलों का राजा आम व्यापारियों के आगमन का कर रहा इंतजार, बागवान के समय से लेट होती जा रही टूट

संवादाता अरविन्द मौर्या


हरदोई। सदियों से फलों का राजा आम कहा जाता रहा है लेकिन इन दिनों आम की मिठास लोगों से दूर है जबकि हमेशा 20 मई से आम की टूट शुरू हो जाया करती थी लेकिन इस बार मौसम बागवान का भी साथ न दे सका जिसके चलते पहले ओलावृष्टि की मार झेल रहा बागवान फिर आंधी और तूफान की मार से गुजर कर जो कुछ बागानों में फसल बची है उसको बिक्री करने के लिए अब व्यापारियों का इंतजार बागवान को करना पड़ रहा है जिससे आम की मिठास अभी आम जनमानस से काफी दूर बनी हुई है

बताते चलें कि काफी समय से 20 मई से आम की फसल की टूट शुरू हुआ करती थी लेकिन इस बार मौसम ने साथ न दिया जिसके चलते अभी तक आम की टूट की शुरूआत नहीं हो सकी यहां तक कि दैवीय आपदा का प्रकोप लगातार जलते हुए जो कुछ फसल बची हुई है कोविड-19 करो ना वायरस महामारी का भय अब बागवानों को काफी सता रहा है जिसके चलते व्यापारी नहीं आ पा रहे हैं, इससे बागवान काफी चिंतित नजर आ रहे हैं 

कई बागवानों ने बताया की इस बार बहुत ऐसे परिवार हैं जिनके केवल जीवन यापन बागानों पर ही निर्भर रहा करता है लेकिन इस बार दैवीय आपदा का प्रकोप भारी पड़ गया जिसके चलते बिक्री किए गए बागानों के बागवानों के द्वारा बगीचा छोड़कर चले गए क्योंकि आंधी तूफान और लगातार ओलावृष्टि से भारी नुकसान हुआ जिससे बागवान को फसल का सहारा खत्म हो गया इसके चलते काफी बागवान फसल छोड़ कर चले गए

अब कोविड-19 कोरोनावायरस महामारी के चलते यहां से आम की सप्लाई देश के कोने कोने को हुआ करती थी जिससे फसल का अच्छा पैसा बागवान को मिल जाता था लेकिन इस बार बाहर से व्यापारी ना आने के कारण बागवान को फसल की बिक्री करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है हरदोई जनपद से दशहरी आम कि टूट होकर रहीमाबाद संडीला अथवा  मलिहाबाद को सप्लाई हुआ करती थी वहां से देश के कोने कोने तक व्यापारियों के माध्यम से आम पहुंचते थे जबकि मलिहाबाद का आम पूरे भारत में मशहूर है लेकिन इस बार व्यापारियों के ना आने के चलते भगवानों के माथे पर चिंता की लकीरें झलक रही है

बाग मालिक मुकेश सिंह सोमवंशी ने बताया की इस बार हमारे बाग में अच्छी फसल आई हुई थी लेकिन लगातार पहले ओलावृष्टि बाद में आंधी तूफान के चलते काफी फसल को नुकसान हुआ और हमारे बाद में जो बागवान फसल को बचा रहा थावह बगीचा छोड़कर चला गया ऐसी स्थिति में अब वह व्यापारियों का इंतजार कर रहे हैं उन्होंने बताया कि लगभग ₹1000000 की आम की फसल प्रतिवर्ष हम बिक्री करते थे लेकिन इस वर्ष पहले फसल देखकर बागवान के द्वारा ₹1000000 की बागवानी तय हुई लेकिन ओलावृष्टि के बाद 500000 रुपए तय हुई उसके बाद आंधी तूफान आ जाने से फसल 80 परसेंट तक क्षतिग्रस्त हो गई जिसके बाद बागवान बगीचा छोड़कर चला गया

इस बार उनकी फसल की कोई कीमत ही नहीं रही अब वह व्यापारियों का इंतजार कर रहे हैं उन्होंने बताया कि 20 मई से टूट शुरू हो जाया करती थी लेकिन इस बार मौसम साथ ना देने के कारण यह टूट लेट होती जा रही है इस प्रकार से इस बार अब तक आम का स्वाद आम जनमानस से काफी दूर बना हुआ है।

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