काश! कभी इधर भी हो जाती जनप्रतिनिधियों की नजरें इनायत ।

काश! कभी इधर भी हो जाती जनप्रतिनिधियों की नजरें इनायत ।

प्रतापगढ़

07. 07. 2020

रिपोर्ट --मो. हसनैन हाशमी 

काश! कभी इधर भी हो जाती जनप्रतिनिधियों की नजरें इनायत --------------------------------------- ग्राम पंचाय बैरागीपुर(फतूहाबाद) में आज़ादी के बाद से आज तक नही बनी सड़क ग्रामीण पैदल चलने पर मजबूर हैं बाबागंज विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत कई गाँवो का यही हाल है। कोई सुनने को तैयार नहीं है ।ग्राम सभा बैरागीपुर (फतूहाबाद) में भष्टाचार इतना है कि आज भी लोग कीचड़ में चलने के लिए मजबूर हैं ।नरेगा काम कागज के बजाय धरातल पर होता तो कम से कम रास्ता तो बन ही जाता साफ सुथरा। ऐसे रास्ते मे कब कोई गिर जाए पता नही पर लोग शांत हैं और दुर्घटना के इंतजार में हैं ।सभी जनप्रतिनिधियों से सांसद' विधायक,ब्लाक प्रमुख , प्रधान आदि से शिकायत के बाद भी बैरागीपुर ग्राम सभा में सड़क नहीं बनवायी गयी फिलहाल विधानसभा बाबागंज की ग्राम सभा में कोई सुनवाई नही है योगी सरकार के तमाम कोशिश के बावजूद भी आम जनता की दिक्कतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही आम जनता को सड़क, विजली और पानी जैसी तमाम समस्या को कम करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हों किन्तु उनके सरकार के ही कई विभाग और सम्बंधित अधिकारी उनके इस मिशन को फेल करने में लगे हुए हैं।इस वजह से जनता की समस्या ज्यों की त्यों बरकरार है और लोगों में रोष व्याप्त है। बाबागंज विधान सभा क्षेत्र का कुछ ऐसा ही हाल है। कई साल बाद भाजपा की सरकार सत्ता में आई तो यहाँ लोगों की उम्मीद जगी की अब शायद उनकी तमाम दिक्कतें कम होंगी।किन्तु सरकार के आदेश और निर्देश के बाद भी यहाँ धरातल पर कुछ नया होता नहीं दिख रहा है जो लोगों के परेशानी और चिंता का सबब बना हुआ है।यहाँ पर जनता की मुख्य समस्या सड़क, विजली और पानी है जो पहले की अपेक्षा अब और अधिक खराब लोगों द्वारा बतायी जा रही है।यदि ग्रामीणों की मानें तो बाबागंज विधानसभा क्षेत्र में तमाम सड़कें तालाब में तबदील हैं,कागजों में भले वे गड्ढा मुक्त हों किन्तु हकीकत में ऐसा कुछ भी नहीं है।उक्त विकास क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले विजली उपकेंद्र बहोरिकपुर से जुड़े हजारों उपभोक्ताओं को न ठीक से दिन में विजली मिलती है और न ही रात में।सरकार द्वारा ऊपर से भले ही ग्रामीणों को 18 घंटे की निर्बाध बिजली आपूर्ति के निर्देश जारी हैं किन्तु यहाँ के लोगो की माने तो उन्हें बमुश्किल 8 से 10 घंटे ही विजली आपूर्ति तमाम किस्तो में ट्रिपिंग के साथ उपलब्ध होती है।इसके पीछे यहाँ की अतिजर्जर और पुरानी लाइन बताई जा रही है।दिन में इनकी मरम्मत की जाती है और यदि लाइन ठीक रही तो रात में आंशिक विजली लोगों को मिलती है क्योंकि इसी दौरान घंटो की अघोषित कटौती भी ऊपर से की जाती है। विकासक्षेत्र अंतर्गत सैकड़ो ग्रामों में लोगो को शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से हजारों इंडिया मार्का हैण्ड पम्प लगे हैं।ग्रामीणों की माने तो यहाँ भारी संख्या में हैण्ड पम्प खराब पड़े हुए धूल चाट रहे हैं जिनकी मरम्मत करवाने वाला कोई नही है।ग्रामीण पेयजल की मुसीबत को झेलते हुए छोटे नल के अशुद्ध पानी को पीने के लिए मजबूर हैं।क्षेत्रीय लोगों के अनुसार सड़क,विजली,पानी की समस्या ख़त्म होने की जगह दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है जिसके लिए कहीं न कहीं सम्बंधित विभाग के अधिकारी जिम्मेदार हैं।सड़को को गड्ढा मुक्त करने का दावा यहाँ पूरी तरह खोखला साबित हो रहा है और यहाँ की अनेक सड़के तालाब में तब्दील हो गई हैं।बैरागीपुर -फतूहाबाद मार्ग का हाल बारिश में जलभराव से बेहाल है, मुख्य सड़क के पास अनेक जगहों पर गड्ढों में तब्दील हो जाने के कारण भारी मात्रा में गन्दा पानी जगह जगह भरा हुआ है। जिससें आम लोगों को आने-जाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जल निकासी और नाली न होने से सड़क पर कीचड़ व गंदगी भरा रहता है खैलरपुरवा- बैरागीपुर मार्ग में कई जगह तालाब बन चुका है जो आवागमन को बाधित करता है।लोगों का कहना है कि इसी सड़क से हजारों की संख्या में लोग प्रतिदिन आते जाते हैं।कीचड़ से छात्र छात्राओं के कपड़े अक्सर खराब हो जाते हैं। साईकिल व दो पहिया वाहन चालक इन गढ्ढों में गिर कर चोटिल हो जाते हैं।इस सड़क के खराब होने से यहाँ के तमाम गांव प्रभावित हैं जिनके निवासियों को आवागमन में असुबिधा होती है ऐसी सड़कें हैं जो चलने के लायक नही हैं अपने गांव तक पक्की सड़क को तरस रहे लोग अभी भी विकास के पहुंच से कोसों दूर है।जैसा की पूर्व सरकारों द्वारा एवं वर्तमान सरकार द्वारा प्रत्येक गाँवों को पक्की सड़क द्वारा राज्यमार्ग से जोड़ने तथा प्रदेश में सड़कों का जाल बिछाने का दावा किया जा रहा है।वहीं कुण्डा- प्रतापगढ़ और बाबागंज- प्रयागराज मुख्य मार्ग से महज एक किलोमीटर दूर स्थित इस गांव तक पहुंचने के लिये मात्र एक कच्चा मार्ग है किन्तु बरसात आते ही इस मार्ग पर चलना काफी मुश्किल हो जाता हैं।पांच वर्ष बाद जब भी कोई प्रत्याशी इस गांव में वोट मांगने आता है तो ग्रामीणों की सिर्फ एक मांग पक्की सड़क होती है।लेकिन चुनाव जीतने के बाद कोई जनप्रतिनिधि इधर देखने भी नहीं आता जो ग्रामीणों के परेशानी का सबब बन चुका है।रिपोर्ट --मो. हसनैन हाशमी 

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