चेकिग के दौरान बिना मास्क लगाये राहगीरो को मास्क का पढा रहे पाठ,वाह रे जनता के ऱखवाले।

चेकिग के दौरान बिना मास्क लगाये राहगीरो को मास्क का पढा रहे पाठ,वाह रे जनता के ऱखवाले।

चेकिग के दौरान बिना मास्क लगाये राहगीरो को मास्क का पढा रहे पाठ,वाह रे जनता के ऱखवाले।


बहादुरपुर/अमेठी इन दिनों पूरा देश कोरोना महामारी को लेकर हाई अलर्ट पर है , लेकिन कुछ दबंग पुलिस कर्मियों की लापरवाही की वजह से आम जनमानस को भी वैश्विक महामारी का सामना करना पड़ रहा है । पूरा मामला जनपद अमेठी के कोतवाली जायस के अंतर्गत बहुचर्चित आये दिन सुर्खियो मे रहने वाले बहादुरपुर चौकी क्षेत्र का है जहां गुरुवार को शाम 5 बजे बहादुरपुर चौकी पुलिस व जायस कोतवाली पुलिस संघन चेकिंग अभियान को लेकर हर एक मुसाफिर की गाड़ी रोकर बिना हेलमेट , बिना कागजात व बिना माक्स लगाने के जुर्म में गाड़ियों का चालान करते नजर आए , तो वही सबसे चौकाने वाली बात यह हुई कि पूर्णतः लाकडाउन के समय हीरो का खिताब जीतने वाली पुलिस आज समाज के बीच बिना माक्स लगाए विलेन का रोल क्यो अदा कर रही है । सवाल यह है कि क्या इनके लिए कोई अलग से नियम कानून पारित है या फिर कुछ दिन सक्रिय होने के बाद पूर्व की भांति फिर से ये अपने आलस्य भरी कार्यशैली को अंजाम देने में कोई गुरेज नही कर रहे है ।आखिर इनकी कौन सी मजबूरी है जो समाज को दर्पण दिखाना तो दूर ये खुद ही उस दर्पण के दुश्मन बन बैठे है । क्या इनके लिए भारत का संविधान लागू नही होता है , जो एक बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह बन कर उभर रहा है । जिसका जवाब सरकार व सरकारी कर्मचारी देना मुनासिब नही समझते । ऐसा कई बार हुआ जब कई मीडिया कर्मियों ने पुलिसकर्मियों की आलास्यभरी कार्यशैली को उजागर किया लेकिन आज तक उन पर विभागीय डंडा नही चल पाया है। कार्यवाही के नाम पर उनको लाइन हाजिर कर इतिश्री कर ली जाती है ।जब कि वही किसी गरीब वर्ग के व्यक्ति को तोड़ने के जुर्म में बिना जांच किये हुए तुरंत मुकदमा लिख जेल की रोटियां खाने के लिए मजबूर कर दिया जाता है । दबंगो को बोलती नही, गरीबो को छोडती नही।

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