गरीब ग्रामीणों को सता रहा है डर, इस बरसात में गिर न जाये घर

गरीब ग्रामीणों को सता रहा है डर, इस बरसात में गिर न जाये घर

प्रतापगढ़

05. 08. 2020

रिपोर्ट --मो. हसनैन हाशमी

गरीब ग्रामीणों को सता रहा डर,इस बरसात में गिर न जाये घर

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प्रतापगढ़ जनपद के विकास क्षेत्र विहार के ग्राम सभा बारौं में चार दर्जन से भी अधिक गरीब परिवार ऐसे हैं जो मिट्टी व घास-फूस के बने कच्चे मकानों में रहने को मजबूर हैं। जिन्हें आज तक सरकारी आवास नहीं मिल सका है जो पात्र होते हुए भी राजनैतिक, रंजिशन अपात्र दिखा दिये जाते हैं।महामारी के इस युग में जहाँ लोगों को कमाने-खाने के लाले पड़ गये हैं वहीं आवास के लिए ब्लाक मुख्यालय का चक्कर लगाते लगाते पैरों में छाले पड़ गये हैं और प्रयास वर्षों से निष्फल ही रहा है।भ्रष्टाचार के इस युग में जिम्मेदार लोग दीमक की तरह सरकारी योजनाओं को चट कर रहे हैं और सरकार की बड़े-बड़े दावे यथार्थ की दुनिया में हास्यपद बन कर रह गये हैं।शिकायतों का अंबार लगा हो पर जिम्मेदार लोगों को मुर्दों के सदृश्य तटस्थ रहना कार्यवाही के नाम पर लीपा-पोती करना,सरकारी उद्देश्यों व योजनाओं की धज्जियाँ उड़ाना ही इन अधिकारियों का वर्षों से शौक रहा है।वंचित लाभार्थिंयों ने सड़े सरकारी सिस्टम से ऊबकर अब मीडिया के सहारे अपनी लड़ाई लड़ने का निर्णय लिया है जिससे उनकी दबी कुचली आवाज जिम्मेदार लोगों तक पहुँचे।इस वर्ष भी कच्चे जर्जर घरों का गिरना जारी है अधिकांश घर गिरने के कगार पर हैं।ऐसी स्थिति में यदि जान माल का नुकसान होता है तो इसकी जिम्मेदारी संबंधित लोगों की ही होगी।जिम्मेदार लोगों द्वारा अपने कर्तव्यों का निर्वहन न करना शिकायती पत्रों की उपेक्षा करना,भ्रष्टाचरण करना,सरकारी योजनाओं का बंदरबाट कर डकार जाना।आखिर इन सरकारी तंत्रों को संरक्षण कौन दे रहा है?क्या सरकार दोहरे माप दंड पर कार्य कर रही है?क्या हांथी के दाँत दिखाने के कुछ और खाने के कुछ और हैं।क्या गरीबों के प्रति सरकार संवेदनशील नहीं है? बहुत से ऐसे प्रश्न हैं जिनका उत्तर मिलना बाकी है कब मिलेगा कह पाना मुश्किल है?

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