धूमधाम से मनाया गया राधा रानी का जन्मोत्सव

प्रतापगढ़
26. 08. 2020
रिपोर्ट --मो. हसनैन हाशमी
धूमधाम से मनाया गया राधा रानी का जन्मोत्सव
प्रतापगढ़ सर्वोदय सद्भावना संस्थान द्वारा रामानुज आश्रम में रास राजेश्वरी श्रीराधा रानी सरकार का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया ।पूजन अर्चन के पश्चात धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास ने कहा कि आज से 5248 वर्ष पूर्व राधा रानी जी का अवतरण हुआ था। गर्ग संहिता ब्रह्मवैवर्त पुराण तथा श्रीमद्देवी भागवत के अनुसार एक बार भगवान श्रीकृष्ण ने गोलोक धाम में राधा जी से कहा कि आप मृत्युलोक चलिए।
मैं माता देवकी तथा वसुदेव जी के यहां अवतरित हूंगा। राधा जी ने कहा मैं मृत्युलोक में नहीं जाऊंगी क्योंकि वहां पर न तो बृंदावन है और न शुक हीं है क्योंकि शुकदेव जी राधा रानी की गोद में सदा खेला करते थे। भगवान के आदेशानुसार लक्ष्मी जी के अंसावतार से वृंदा मृत्युलोक को पधारी वही वृंदा तुलसी के वृक्षों का वन वृंदावन कहलाया ।शुकदेव जी ने भी मृत्युलोक में जाने के लिए अपनी स्वीकृति प्रदान कर दिया। रावल नामक ग्राम में राधा जी माता कीर्तिदा तथा महाराज वृषभानु के यहां अवतरित हुई। आप भगवान श्री कृष्ण से 11 माह 15 दिन की बड़ी हैं।
आप का स्वरूप बड़ा ही तेजोमय था लेकिन आप बोलती नहीं थी केवल नेत्र खुले रहते थे। भगवान श्री मन नारायण के अवतार के पश्चात एक दिन आपके माता पिता राधा जी को लेकर नंद बाबा के यहां बधाई देने के लिए गए ।भगवान श्री कृष्ण के पालने में राधा जी को भी लिटा दिया। उस सुंदर दृश्य को देखकर नारद जी ने बहुत ही सुंदर स्तुति किया ।नारद जी की स्तुति सुनकर भगवान श्री कृष्ण और राधा जी एक दूसरे को देखकर खिलखिलाते हुए हंसने लगे और एक दूसरे का हाथ पकड़ लिया। यह दृश्य देखकर समस्त लोग अचंभित हो गए।
भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं तीन बार कहा है मैं ही कृष्ण हूं और मैं ही राधा हूं। एक बार उद्धव जी गोपियों से मिलकर जब लौटकर मथुरा आए आए तो आपने बगल में बैठी राधा जी का दर्शन कराया था और कहा था अब मैं ही कृष्ण हूं मैं ही राधा हूं, दूसरी बार रुकमणी जी पुष्कर क्षेत्र में पटरानियों के साथ राधा जी का दर्शन करने गयी। उन्हें गर्म गर्म दूध पिला दिया था जिसके कारण भगवान श्री कृष्ण के पैरों में छाले पड़ गए थे।
तब भगवान ने रुक्मणी के पूछने पर कहा था राधा के हृदय में मैं वास करता हूं। राधा जी के द्वारा गर्म दूध पीने के कारण मेरे पैरों में छाले पड़ गए मैं ही कृष्ण हूं मैं ही राधा हूं। तीसरी बार नारद जी से कहा था जब राजा परीक्षित को शुकदेव जी ने श्रीमद्भागवत कथा श्रवण कराया तो भगवान के विमान पर बैठकर पार्षदों सहित परीक्षित गोलोकधाम को गए ।भगवान श्री कृष्ण ने नारदजी से कहा था मैं ही कृष्ण हूं मैं ही राधा हूं। इसलिए यदि कृष्ण को पाना है तो पहले वृंदावन की अधिष्ठात्री देवी राधा जी की सेवा करनी चाहिए। राधा जी जिन भक्तों के लिए भगवान से कहती हैं यह आपका परम भक्त है भगवान उसको सहर्ष स्वीकार कर लेते हैं।
भगवान श्रीमन नारायण जो चाहते हैं वह करते हैं। भगवान सत्य संकल्प हैं ,उनको युद्ध की इच्छा हुई तो उन्होंने जय विजय कोश्राप दिला दिया, तपस्या की इच्छा हुई तो नर नारायण बन गए, उपदेश देने की इच्छा हुई तो भगवान कपिल बन गए, उस सत्य संकल्प के मन में अनेक इच्छाएं उत्पन्न होती रहती हैं भगवान के मन में जब इच्छा हुई कि हम लीला करेंगे तो वृंदावन में राधा कृष्ण के रूप में अवतरित हो गए। इस अवसर पर लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए नारायणी रामानुज दासी डॉ अवंतिका पांडे और परिवारी जन उपस्थित रहे।
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