रैबीज, मानव व पशुओं को होने वाली प्राणघातक, विषाणुजनित बीमारी है।

रैबीज, मानव व पशुओं को होने वाली प्राणघातक, विषाणुजनित बीमारी है।

प्रकाश प्रभाव न्यूज़ प्रयागराज 

रिपोर्टर - धनंजय पांडे

रैबीज, मानव व पशुओं को होने वाली प्राणघातक, विषाणुजनित बीमारी है

सोरांव/प्रयागराज टीकाकरण कराना ही बचाव का एकमात्र उपाय है। इस बात की जानकारी पशुचिकित्साधिकारी होलागढ डाॅ बलराम चौरसिया ने पुरुषोत्तमपुर मलकिया मे आयोजित पशुपालक गोष्ठी में दी। बताया कि रैबीज मुख्यतः संक्रमित कुत्ते के काटने से फैलती है। परन्तु नेवला, सियार, बंदर, चमगादड़ आदि के काटने पर भी बीमारी हो सकती है। इस रोग से ग्रसित पशु का तंत्रिका तंत्र क्षतिग्रस्त होने से पीड़ित को दिमागी लक्षण जैसे बिना कारण बोलना, आंख लाल, लहरा कर चलना, मुंह खुला रहना, अपने मालिक को न पहचानना, खाना पानी न निगल पाना, आदि लक्षण प्रदशिॅत होते हैं। बीमारी के लक्षण आने के बाद पीड़ित को उपचार करके बचा पाना असंभव हो जाता है। बचाव के लिए कोई भी संदिग्ध पशु किसी आदमी या पशु को काटे तो घाव को तुरन्त डिटर्जेंट पाउडर से धुलाई कर एण्टीसेप्टिक दवा का लेपन कर जितना जल्दी हो सके डाक्टर की सलाह से एन्टीरैबीज सुई जरूर लगवांए। पालतू कुत्ते को बीमारी से बचाव हेतु साल में एक बार टीकाकरण करांए। 

       इस अवसर पर सीमा देवी, मीरा, गीता, सीताराम, पप्पू सहित अन्य कई पशुपालक मौजूद रहे।

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