पंचायत चुनाव को लेकर बदलने लगा गाँवों का मिजाज, चढने लगा चुनावी बुखार

पंचायत चुनाव को लेकर बदलने लगा गाँवों का मिजाज, चढने लगा चुनावी बुखार

प्रतापगढ


04.10.2020


रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी



पंचायत चुनाव को लेकर बदलने लगा गांवों का मिजाज, चढ़ने लगा चुनावी बुखार।


प्रतापगढ जनपद में पंचायत चुनाव को लेकर इन दिनों गांवों का मिजाज बदलने लगा है। खेत-खलिहान से लेकर गांव की चौपाल तक चुनाव की चर्चा आम हो चली है। पांच वर्ष के कार्यकाल की समीक्षा के साथ वर्तमान प्रधान की कमियां व अच्छाइयां गिनाई जा रही हैं। हर ओर लोग चुनाव के रंग में रंगे नजर आने लगे हैं।त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर अभी पंचायतों का आरक्षण होना बाकी है। आयोग की तिथियां भी नहीं आई हैं। लेकिन गांव-गांव में इसके लिए भूमिका बनने लगी है। संभावित प्रत्याशी अपने समीकरण तैयार करने लगे हैं। आम लोगों के बीच चर्चा के केंद्र में भी पंचायत चुनाव ही है। वहीं चुनावी प्रक्रिया में संशोधन को लेकर भी कयासों का दौर जारी है। मसलन दो बच्चे से अधिक होने पर संबंधित व्यक्ति चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य होगा, जिला पंचायत अध्यक्ष व ब्लॉक प्रमुख का चुनाव भी जनता द्वारा सीधे किया जाएगा। इन विषयों पर भी परिणाम जानने को हर कोई उत्सुक है। दो से अधिक बच्चों के माता-पिता अपने राजनैतिक भविष्य पर संकट का बादल मंडराते देख चुनाव लड़ाने के लिए परिवार में अन्य विकल्प तलाश रहे हैं।चुनाव की आहट से गांवों में बढ़े विवाद--गांवों में इन दिनों मारपीट, विवाद और शिकायतें बढ़ गई हैं। पिछले कुछ महीनों में पारिवारिक विवाद के बजाय सार्वजनिक स्थलों, कोटेदारों, प्रधानों की शिकायतें अधिक आ रही हैं। जहां पुराने ग्रामप्रधान अपने कराए गये कामों व एहसानों की फेहरिस्त लेकर लोगों को समझा रहे हैं। वही संभावित प्रत्याशियों द्वारा उन्हें भड़का दिया जा रहा है। वर्तमान प्रधान के खिलाफ माहौल बनाने के लिए लोगों के विधवा पेंशन, वृद्धा पेंशन, विकलांग पेंशन, किसान सम्मान निधि आदि सरकारी योजनाओं की जांच पड़ताल कर लोगों को उकसाया और लड़ाया जा रहा है।"स्मार्ट वोटिंग"से रोज चुने जा रहे प्रधान-- मतदाताओं और संभावित प्रत्याशियों के बीच इन दिनों मॉक पोल (छद्म मतदान) के नाम पर गांवों में मोबाइल पर ‘स्मार्ट पोलिंग’ खूब लोकप्रिय हो रही है। ग्राम पंचायतों में एक मोबाइल एप के लिंक के जरिए प्रत्याशियों के बीच कड़ी जोर आजमाइश जारी है, वहीं गांव के मतदाता उन्हें एक क्लिक के जरिए अपना वोट भी दे रहे हैं। रोजाना एक दूसरे की जुबानी यह बुलेटिन भी पहुंचाया जाता है कि कौन प्रत्याशी कितने पानी में है। आज वह कितने वोटों तक पहुंच गया है, कौन आगे है और कौन पीछे है। ऐसे में कहा जा सकता है कि गांवों में माहौल पूरी तरह से चुनावी हो गया है। स्ट्रॉ पोल नाम के पोल मेकर लिंक ने संभावित प्रत्याशियों को चुनाव से पहले अपनी ग्रामसभा में मशहूर होने तथा मतदाताओं के बीच पकड़ का अहसास जरूर करा दिया है।

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