प्रतापगढ जिला जेल में चौरी चौरा कांड के वर्ष गाँठ पर कार्य क्रम आयोजित कर रुदली केवट को याद करना चाहिए--भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
- Posted By: MOHD HASNAIN HASHMI
- राज्य
- Updated: 5 February, 2021 18:27
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प्रतापगढ़
05.02. 2021
रिपोर्ट--मो.हसनैनहाशमी
प्रतापगढ जिला जेल में चौरी चौरा कांड के वर्षगाँठ पर कार्यक्रम आयोजित कर रुदली केवट को याद करना चाहिए --भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
4 फरवरी 1922 को चौरी चौरा कांड जिसमें असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाले प्रदर्शनकारियों ने थाने में आग लगा दी थी जिसमें 23 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी और तीन नागरिकों की भी मृत्यु हुई थी इस घटना ने जलियांवाला बाग की तरह ही देश को झकझोर दिया था। इस कांड में 19 व्यक्तियों को फांसी हुई थी जिनमें से एक व्यक्ति को जनपद प्रतापगढ़ की जिला जेल में फांसी दी गई थी जिनका नाम रुदली केवट है।
इस घटना के शताब्दी वर्ष पर कार्यक्रमों का शासन प्रशासन की ओर से आयोजन सराहनीय है किंतु इस घटना मे शामिल क्रांतिकारियों को जिन्हें उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में फांसी दी गई उन्हें उन उन जेलों पर कार्यक्रम आयोजित कर उनकी शहादत को याद करना चाहिए था। जनपद प्रतापगढ़ में उपरोक्त विचार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी जिला कमेटी प्रतापगढ़ द्वारा चौरी चौरा के शताब्दी वर्ष पर दिनांक 4 फरवरी 2021 को शाम7:00 बजे आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने दिए। वक्ताओं ने इस बात पर क्षोभ व्यक्त किया कि प्रतापगढ़ जिले में भी शासन व प्रशासन ने रुदली केवट को भुला दिया और उनके स्मृति नहीं की गई न ही जिला जेल पर किसी तरह का कोई कार्यक्रम भी आयोजित किया गया। भाजपा की केंद्र व राज्य सरकार अपनी सुविधा फायदे के लिए स्वतंत्रता आंदोलन व उससे जुड़ी हुई विरासत का चुनावी फायदे के लिए उपयोग कर रही है। प्रतापगढ़ से उठा किसान आंदोलन जो पूरे अवध के क्षेत्र में फैला उसे लेकर किसी तरह के समारोह व कार्यक्रम का आयोजन सरकार की ओर से नहीं किया गया। इसका मुख्य कारण वर्तमान केंद्र राज्य की भाजपा सरकार एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जिसका स्वतंत्रता संग्राम में कोई योगदान नहीं रहा है। स्वतंत्रता की विरासत को भुनाने के लिए आयोजन किए जाते हैं। वक्ताओं ने इस अवसर पर यह भी कहा कि अंग्रेजी राज में जनता मनमाने टैक्स और मनमाने कानूनों से त्रस्त थी जिसके विरुद्ध असंतोष था चौरी चौरा कांड भी इसी असंतोष के प्रतिफल में पैदा हुआ विद्रोह था जब भी कोई राज सत्ता जनविरोधी कानून व अत्याचार व उत्पीड़न का रास्ता अख्तियार करेगी तो जन विद्रोह हुआ जन आंदोलन उसकी स्वाभाविक परिणीति होंगी।गोष्ठी में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला मंत्री रामबरन सिंह मजदूर नेता हेमंत नंदन ओझा , राजमणि पांडे निर्भय प्रसाद सिंह आदि ने अपने विचार रखे।
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