करोड़ों खर्च होने पर भी नतीजा शून्य तबाही से नहीं छूट रहा पीछा
प्रकाश प्रभाव न्यूज़
रिपोर्ट -- नीलेश चतुर्वेदी
अस्थायी कामों पर 15 करोड़ खर्च फिर भी तबाही से नहीं छूट रहा पीछा
पीलीभीत /
पूरनपुर में शारदा और शहर, अमरिया और बीसलपुर क्षेत्र में देवहा नदी हर साल की बाढ़ से भीषण तबाही मचाती हैं। बाढ़ रोकने के नाम पर बाढ़ खंड करोड़ों रुपये खर्च कर रेत भरे बोरे लगवा देता है। बजट का अधिकांश हिस्सा नीचे से ऊपर तक बंदरबांट हो जाता है। अस्थायी कामों पर तबाही रोकने की वर्षों से औपचारिकता पूरी होती चली आ रही है। बरसात से पहले जो भी बचाव कार्य होते हैं, अगले साल उनका अस्तित्व नहीं रहता। शासन से इसकी ठीक से मॉनिटरिंग की जाए तो ही पांच दशकों से बाढ़ की विभीषिका का दंश झेल रही बड़ी आबादी को इस समस्या से निजात मिल सकती है।
तराई का इलाका पिछले पांच दशकों से बाढ़ की तबाही झेलता आ रहा है। सरकारों ने बड़े वादे किए, मगर, इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया। सरकारी आंकड़ों पिछले साल मात्र 1.86 हेक्टेयर जमीन ही नदी ने काटी। मगर, यह जमीनी हकीकत इसके विपरीत है। पिछले साल कम बारिश हुई थी, फिर भी शारदा नदी ने तमाम परिवारों को बेघर कर दिया था। सैकड़ों एकड़ फसल बाढ़ की भेंट चढ़ गई थी।
*करोड़ों खर्च होने पर भी नतीजा शून्य*
पिछले वर्ष बारिश कम होने से बाढ़ की आशंका भी कम ही थी।
मगर पहाड़ों पर हुुई बारिश से नदियों का जलस्तर बढ़ा तो जमीन कटान होने लगा।
पूरनपुर के रमनगरा क्षेत्र में शारदा नदी से मार्जिनल बांध को सुरक्षित रखने के लिए बने स्पर बाढ़ में क्षतिग्रस्त हो गए।
इन्हें बचाने के नाम पर रमनगरा क्षेत्र में एक से डेढ़ किलोमीटर तक एसी और जिओ बैग लगवाकर पांच करोड़ का बजट ठिकाने लग गया।
वहीं ट्रांस शारदा क्षेत्र में राणाप्रताप नगर में अस्थायी बाढ़ नियंत्रण कामों के नाम पर 10 करोड़ का बजट ठिकाने लगाया गया।
फिर भी इन इलाकों में बाढ़ ने भीषण तबाही मचाई।
शारदा नदी में आठ घर बह गए। कई एकड़ जमीन जमीन कटान में चली गई।
तत्कालीन एसडीएम चंद्रभानु सिंह ने आठ दिन तक कैंप कर बचाव कार्य कराए।
इसमें भी मोटा बजट खर्च किया गया।
*मात्र पांच करोड़ के प्रोजेक्ट को मिली अनुमति*
बाढ़ से बचाव को लेकर शासन ने इस बार मात्र करीब पांच करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट मंजूरी दी है।
इस धनराशि से शारदा नदी के सामने रमनगरा क्षेत्र में अस्थाई बाढ़ नियंत्रण कार्य कराए जा रहे हैं। हालांकि यह कार्य पहले ही शुरू हो जाने चाहिए थे, लेकिन इंजीनियरों की हीलाहवाली से जानबूझकर काम देरी से शुरू किए गए।
ताकि जल्दबाजी में कम काम कराकर कागजों में ज्यादा दर्शाकर ठेकेदारों को उसका जल्द भुगतान किया जा सके।
*70 के दशक से शुरू हुई तबाही*
जनपद सहित पूर्वी इलाकों नदियों से हो रही तबाही का मामला किसी से छिपा नहीं है।
वर्ष 1970 से बाढ़ से तबाही का सिलसिला शुरू हुआ था। पहला निशाना ट्रांस शारदा क्षेत्र को बनाया गया था।
जिसमें मुख्य रूप से आजादनगर, लालबहादुर शास्त्री इंटर कॉलेज, शास्त्रीनगर, भरतपुर स्वास्थ्य केंद्र सहित दर्जनों गांवों को निशाना बने थे।
*क्या कहते हैं अधिकारी*
पिछले वर्ष राहुलनगर और रमगरा बुझिया में कटान हुआ था।
जहां प्रशासनिक अधिकारियों की देखरेख में अस्थाई बाढ़ नियंत्रण कार्य कराए गए थे।
अब मार्जिनल बांध की ओर अभियंताओं की देखरेख में बाढ़ नियंत्रण कार्य तेजी से कराए जा रहे हैं। - शैलेष कुमार सिंह, अधिशासी अभियंता बाढ़ खंड
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