लहर में भी ठहर गयी बसपा की चाल, 2007 के बाद नहीं सुधरे हालात

लहर में भी ठहर गयी बसपा की चाल, 2007 के बाद नहीं सुधरे हालात

PPN NEWS

प्रतापगढ 

07.02.2022


रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी


लहर में भी ठहर गई बसपा की चाल, 2007 के बाद नही सुधरे हालात



प्रतापगढ जनपद के पट्टी विधान सभा क्षेत्र में बहुजन समाज पार्टी अपने शुरुआती समय से ही जहां प्रदेश में अपना दमखम दिखा दे रही है, वहीं प्रतापगढ़ के पट्टी विधानसभा में उसकी दाल नहीं गल पाई है। यही कारण है कि पट्टी विधानसभा में एक बार भी बसपा जीत का परचम लहराने में सफल नहीं हो पाई है ।


1987 के उपचुनाव में उसका सबसे अधिक बोलबाला था लेकिन हाथी विपक्षियों की जाल में ऐसी फंसी की उबर नहीं सकी। वहीं 2007 में उसने ठीक-ठाक टक्कर तो दी लेकिन पट्टी में विपक्षी के सामने बेदम हो गई तब से उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है।

 

पट्टी विधानसभा का चुनाव हमेशा रोमांच पर रहा है कहा जाता है कि यहां पर चुनाव के नतीजे बहुत ही करीबी रहते हैं और जीत और हार का अंतर बहुत मामूली होता है । 1987 में जब पट्टी में विधानसभा उपचुनाव हुआ था तो उस समय बसपा का बोलबाला था लेकिन कांग्रेस से उसे मुंह की खानी पड़ी उसके बाद फिर से हालत में कोई सुधार नहीं हुआ चौदहवीं विधानसभा 2002 में पट्टी विधानसभा से मृत्युंजय शुक्ला चुनाव में आए लेकिन लगभग 20 हजार से अधिक मतों से चुनाव हार गए 2007 में बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोशल इंजीनियरिंग के जरिए जातीय समीकरण साधा तो पूरे प्रदेश में लहर चली  लेकिन पट्टी विधानसभा में तीसरे स्थान पर रही 2012 में बहुजन समाज पार्टी से चुनाव लड़ने वाली अर्चना तीसरे स्थान पर खिसक गई वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में चुनाव लड़ रहे कुंवर शक्ति सिंह फिर से लगभग 30,000 के वोटों के अंतर से चुनाव हार गए मतलब यह कि विधानसभा पट्टी में बसपा का जनाधार बढ़ने ही नही पाया।


वहीं इस बार चुनाव लड़ रहे हैं कोई फूलचंद्र मिश्रा भले ही उत्साह से लबरेज दिखाई दे रहे हैं लेकिन सियासी जमीन पर कुछ भी नहीं है । समाजवादी पार्टी के राम सिंह पटेल जहां बसपा के परंपरागत वोट अपने पाले में मिलाने के लिए लगे हुए हैं वही कैबिनेट मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह मोती सिंह जी बसपा के मूल वोटों में सेंधमारी में जुटे हैं ऐसे में फिर से बसपा अपने पुराने हालत में आती हुई दिखाई दे रही है। लोगों का कहना है कि जब 1987 तथा 2007 के लहर में बसपा चुनाव नहीं निकाल पाई तो भला इस बार वह कँहा चुनाव निकाल पाएगी

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