स्वाध्याय का अर्थ केवल पठन-पाठन नहीं, बल्कि स्वयं का मूल्यांकन है--भवानी शंकर उपाध्याय

स्वाध्याय का अर्थ केवल पठन-पाठन नहीं, बल्कि स्वयं का मूल्यांकन है--भवानी शंकर उपाध्याय

प्रतापगढ 


28.02.2021


रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी 



स्वाध्याय का अर्थ केवल पठन-पाठन नहीं, बल्कि स्वयं का मूल्यांकन है----- भवानी शंकर उपाध्याय




प्रतापगढ़ जनपद के ब्लॉक सांगीपुर सीमा अंतर्गत ग्राम बरुआ दर्रा में डॉक्टर हृदय पाल सिंह के निवास पर शिक्षाविद पंडित भवानी शंकर उपाध्याय के निर्देशन में संचालित मानस मंथन के कार्यक्रम में नीतिपूर्ण वचनों पर आधारित मानस मंथन की लघु पुस्तिका जगमंगल के प्रथम अंक का विमोचन हुआ।

सर्वप्रथम उपस्थित सदस्यों द्वारा पूर्व निर्धारित कार्यक्रम अनुसार आम के वृक्ष का वृक्षारोपण किया गया। निर्धारित विषय स्वाध्याय पर अपना विचार प्रस्तुत करते हुए पंडित भवानी शंकर उपाध्याय ने कहा कि स्वाध्याय केवल पठन-पाठन का  नहीं, बल्कि स्वयं का मूल्यांकन करने का विषय है। उन्होंने ग्राम रांकी में संकट मोचन धाम पर स्थापित *स्वाध्याय केंद्र में मौजूद विभिन्न पुस्तकों के अध्ययन के लिए जनमानस का आवाहन किया।जहां,शिक्षक मनो विश्राम मिश्र ने शास्त्रों में वर्णित तथ्यों के आधार पर स्वाध्याय की व्याख्या करते हुए विस्तृत प्रकाश डाला,वहीं अर्जुन सिंह ने कहा कि जीवन में जो कुछ  सीखकर आत्म चिंतन किया है, वह स्वाध्याय की परिधि में ही आता है।इस अवसर पर यज्ञ नारायण सिंह, डॉ शिवमंगल सिंह, आत्म प्रकाश उपाध्याय,महावीर सिंह, हिमांशु सिंह आदि भी उपस्थित रहे।

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