बडी़ उम्मीद थी उनसे हमारा दर्द बांटेंगे

बडी़ उम्मीद थी उनसे हमारा दर्द बांटेंगे

Prakash prabhaw news

बडी़ उम्मीद थी उनसे हमारा दर्द बांटेंगे, नहीं मालूम था मिलने नमक लेकर वो आयेंगे


रिपोर्टर-कमलेन्द्र सिंह



फतेहपुर।

जी हां! भाजपा से आमजन की यही उम्मीद अब टूटती नजर आ रही है। भ्रष्ट व्यवस्था से निजात दिलाकर शुचिता और पारदर्शितापूर्ण भय, भ्रष्टाचार और भूख से मुक्त व्यवस्था देने के वादों के साथ सत्ता में आयी भाजपा भी कांग्रेस,सपा और बसपा से कतई भिन्न नहीं है! कम से कम फतेहपुर के लोग ऐसा ही मानने लगे हैं। 

माननीय लोग सरकारी, सुरक्षित और विवादित जमीनों को हड़पने के खेल में यूं मुब्तिला हैं गोया माफियाओं के साथ मिलकर खेले जा रहे इस खेल में उनकी भूमिका की जनता को खबर ही नहीं हो!अरे भैया! लोमड़ी की चोरी तो एक बार छिप भी सकती है , भला ऊंट की चोरी निहुरे- निहुरे भी छिप सकती है क्या?" और माननीयों की पल-पल की खबर रखने वाली मीडिया क्या झख मार रही है?

कल तक भू-माफिया के विरुद्ध लम्बे-चौडे़ ओज भरे भाषण देने वाले माननीय अब उनके धंधे के *साइलेंट पार्टनर* बन गये हैं ! ये सभी को पता चल गया है।

आतंक का कोई धर्म नहीं होता! यह तो सभी कहते हैं लेकिन *सियासत का कोई ईमान नहीं होता!* यह फतेहपुर के लोगों को समझ में आने लगा है!

शहर के कई तालाब, कस्टोडियन, श्मसान, कब्रिस्तान और मतरूब खाते सहित अनेकों सुरक्षित जमीनों को निगलने के बाद माफिया ने माननीय के सहयोग से आबूनगर डाॅक बंगले के सामने पुरातत्व की जमीन, ज्वालागंज के पास की जमीन सहित कई बेशकीमती जमीनों पर नजर गड़ा दी है। आबूनगर नई बस्ती में करीब तीन साल पहले एक जमीन पर बलात् कब्जा करने पहुंचे माफिया के गुर्गों द्वारा की गयी किसान की हत्या और हंगामें वाली घटना भूले तो नहीं हो? सूत्रों के अनुसार अब उस जमीन पर भी एक माननीय का दिल आ गया है।कब्जा और निर्माण का ब्लू प्रिंट तैयार हो चुका है! फिलहाल माहौल को परखने  के लिये थर्मामीटर के रूप में रास्ता बनाने के बाद जमीन में  निर्माण को अंजाम दिया जाना है। राजस्व कर्मियों से लेकर अधिकारियों तक को भरोसे में लेने और जरूरी दस्तावेजों को तैयार करने का होमवर्क लगभग पूरा हो चुका है।अरे हां! पूरे सूबे में बदनाम जिले के अवैध और अनियंत्रित मोरम खनन में माननीयों की सरपरस्ती को चैरिटेबिल समझने के मुगालते में कभी रहना भी नहीं ! याद है ना! मोरम खनन की शुरुआत में किस तरह उछल-कूद मचाकर प्रशासन की नाक में दम करने वाले माननीय किस तरह अचानक खामोश होकर बैठ गये! माननीयों की शिकायत पर आये दिन खनन-खण्डों में छापा मारने वाला प्रशासन भी कैसे मौन हो गया है? कैसे पूरे जिले में राजस्व की लूट के साथ बिना किसी हिसाब-किताब या परमीशन के डम्प की गयी करोड़ों घन फुट मोरम पर खनन विभाग चुप है? 

अंत में फिर सवाल वही कि  

ऊंट की चोरी निहुरे-निहुरे? ये जनता है , सब जानती है और जो नहीं जानती उसे जनाने के लिये कलम अभी जिन्दा है.....

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