करोड़ों की सरकारी भूमि का कर दिया कौड़ियों के दाम में बैनामा

करोड़ों की सरकारी भूमि का कर दिया कौड़ियों के दाम में बैनामा

प्रतापगढ 


02.03.2021


 रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी 



करोड़ों की सरकारी भूमि का कर दिया कौड़ियो के दाम में बैनामा ।



प्रतापगढ़ जनपद के  रानीगंज तहसील स्थित ग्राम बैरमपुर परगना पट्टी तहसील रानीगंज की गाटा संख्या 122 राजस्व अभिलेखों में राज्य सरकार के खाते में दर्ज है जिसका समस्त मालिकाना हक राज्य सरकार का है यहभूमि राष्ट्रीय राजमार्ग लखनऊ से बनारस के किनारे स्थित है जो कि बेहद ही कीमती है इसी भूमि पर क्षेत्र के भू माफियाओं के द्वारा तहसील प्रशासन की मिलीभगत से वर्ष 2019में मात्र दो माह के भीतर सम्पूर्ण सरकारी भूमि का लगभग 7 बैनामा भिन्न भिन्न क्रेताओं एवम विक्रेताओं के द्वारा खरीदा बेचा गया बड़ा सवाल यह है कि जब निबंधक कार्यालय रानीगंज में बैनामा प्रस्तुत होता है तो क्या वहां पर उपस्थित उपनिबंधक या बाबुओं की यह जिम्मेदारी नहीं होती की जिस भूमि का विक्रय विक्रेता द्वारा किया जा रहा है क्या विक्रय पत्र में वह खतौनी संलग्न है या कोई ऐसा नियम भी है कि बिना खतौनी संलग्न किए भूमि का विक्रय हो सकता है प्रश्न तो यह भी उठता है कि उपरोक्त सरकारी भूमि के विक्रय के संबंध मेंनामांतरण का आवाज श्रीमान तहसीलदार महोदय के न्यायालय में विचाराधीन है यह साबित होता है कि उक्त खरीद-फरोख्त में तहसील प्रशासन भी पूर्ण रूप से संलिप्त है अगर बिना खतौनी के दाखिल किए सरकारी भूमि का विक्रय भूमाफिया द्वारा किया गया तो उसके जिम्मेदार कौन-कौन होंगे जब तहसील में 10 वर्ष से अधिक समय से शासनादेश के विरुद्ध बैठे रजिस्ट्रार कानूनगो लेखपाल एवं राजस्व निरीक्षक रहेंगे और उन्हें कंप्यूटर का हेड बनाया जाएगा तो इस प्रकार से ही सरकारी भूमि का विक्रय होता रहेगा इस प्रकरण पर आज तीसरी बार तहसील दिवस में तहसील युवा अधिवक्ता परिषद के अध्यक्ष उमाकांत पांडेएडवोकेट,मनमोहनसिंह एडवोकेट,वसीम अहमद एडवोकेट,कोमल दत्त मिश्रा एडवोकेट,ज्ञान सिंह यादव  आदि के द्वारा ज्ञापन के माध्यम से यह जानकारी तहसील दिवस में आए अपर जिलाधिकारी महोदय को दी गई बड़ा सवाल यह है कि उक्त भूमि के बाबत रानीगंज विधानसभा के क्षेत्रीय विधायक मा.अभय कुमार उर्फ धीरज ओझा के द्वारा भी उच्चाधिकारियों को जमीन को फर्जी तरीके से बेचने की शिकायत की गई थी जिस के संबंध में तहसील प्रशासन द्वारा समुचितआख्या न प्रेषित करते हुए भू माफियाओं को बचाने के लिए भ्रामक रिपोर्ट शासन को भेज दी गई बड़ा सवाल यह है कि भू माफियाओं की पहुंचआखिर इतनी बढ़ गई है कि उनके खिलाफ क्षेत्रीय विधायक की भी शिकायत का असर तहसील प्रशासन पर नहीं हो पा रहा है जब किसी समस्या को जनप्रतिनिधि उठाता है और उसके भी शिकायत पर अधिकारियों के ऊपर कार्यवाही ना हो तो इससे यह साफ है कि भू माफियाओं एवं दबंगों का स्तर किस कदर तक अधिकारियों तक पहुंचा है बड़ा सवाल यह है कि उत्तर प्रदेश शासन भी सरकारी जमीनों से अवैध कब्जे के लिए युद्ध स्तर पर अभियान चला रही है लेकिन स्थानीय स्तर के भूमाफिया एवं तहसील अधिकारियों की मिलीभगत से सरकार की मंशा पर भी पानी फेरा जा रहा है देखना है कि उक्त प्रकरण में ज्ञापन एवम् क्षेत्रीय विधायक के पत्र पर अधिकारियों द्वारा किस प्रकार की कार्यवाही की जाती है।

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