शारदीय नवरात्र पर 58 साल बाद बन रहा है सिद्धि दायक योग--- ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री

शारदीय नवरात्र पर 58 साल बाद बन रहा है सिद्धि दायक योग--- ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री

प्रतापगढ


15.10.2020



रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी



शारदीय नवरात्र पर 58 साल बाद बन रहा है सिद्धिदायक योग---ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री।



नवरात्रि साल में चार बार आती है। जिसमें से पहली नवरात्रि चैत्र मास में आती है तो दूसरी नवरात्रि अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है। इसके अलावा दो गुप्त नवरात्रियां होती है। लेकिन शास्त्रों के अनुसार चैत्र मास और अश्विन मास की नवरात्रि को ही विशेष माना जाता है। शारदीय मास की नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस समय में किया गया जप, तप और हवन साधक को विशेष लाभ पहुंचाता है। फिलहाल शारदीय नवरात्र शनिवार 17 अक्तूबर को चित्रा नक्षत्र में प्रारंभ हो रहा है। इस वर्ष शारदीय नवरात्र की खासियत यह है कि इस बार नवरात्र पूरे नौ दिनों के हैं और किसी भी तिथि का लोप नहीं है। वहीं जिस दिन घट स्थापना हो रही है उसी दिन सुबह सूर्य लग्न में नीच का होगा। यह अत्यंत दुर्लभ संयोग है जो लगभग 20 वर्ष बाद बन रहा है। ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री कहते हैं, ''देवी आराधना का पर्व इस बार विशेष संयोगों के साथ आ रहा है जो साधकों के लिए विशेष फलदायी है। बुधादित्य और सर्वार्थ सिद्धि जैसे खास योग इस बार शक्ति साधना को और महत्वपूर्ण बनाएंगे। सिर्फ यही नहीं लगभग 20 वर्ष बाद बन रहे इस सिद्धिदायक योग के साथ इस बार पूरे 58 वर्षों के बाद ग्रहों की ऐसी स्थिति है कि शनि स्वराशि मकर में और गुरु स्वराशि धनु राशि में रहेंगे। इससे पहले यह योग वर्ष 1962 में बना था। इस बार नवरात्रि में दो शनिवार आएंगे यह अत्यंत शुभ संयोग है। शनिवार को दुर्गा पूजा का करोड़ गुना फल मिलता है।'' अपनी बात को आगे बढाते हुए ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री का यह भी कहना है, ''शारदीय नवरात्र 17 से 25 अक्तूबर को पूर्ण होंगे। इसके मध्य बुधादित्य योग, तीन बार रवियोग, एक सर्वार्थ सिद्धि योग विराजमान रहेंगे। घट स्थापना शनिवार को तुला राशि का चंद्रमा, चित्रा नक्षत्र, विषकुंभ योग के कारण किंस्तुन रहेगा। इस बार नवरात्र में ग्रहों की स्थिति ऐसी है कि इनमें की गई पूजा, अनुष्ठान, सिद्धियां सफल होंगी। तुला लग्न में सूर्य बुध विराजित हैं। सूर्य लाभेश होकर तुला लग्न में बुध के साथ विराजित हैं। इस स्थिति में पूजा-पाठ, अनुष्ठान, साधना की जाती है तो निश्चित ही पूर्ण सफलता, धन-धान्य सुख समृद्धि मिलने की मान्यता है। इस दौरान मकर राशि में शनि, सिंह राशि में शुक्र, वृश्चिक राशि में केतु, धनु राशि में गुरु, वृषभ राशि में राहु और मीन राशि में मंगल विराजित हैं। जो अपने आप में एक सिद्धि प्रदाता स्थिति है।'' शारदीय नवरात्रि के नवें दिन महानवमी का त्योहार मनाया जाएगा और माँ दुर्गा को विदा कर दिया जाएगा। इसके बाद महानवमी के अगले दिन विजयदशमी यानी दशहरे का त्योहार मनाया जाएगा। शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा की विधिवत पूजा - अर्चना और व्रत करने से न केवल जीवन की सभी समस्याएं समाप्त होती है। बल्कि जो लोग इन नवरात्रों में सिद्धियों के लिए मां दुर्गा की आराधना करते हैं उन्हें सिद्धियां भी प्राप्त होती है।

Comments

Leave A Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *