देश की चुनौतियोंपर बेधड़क कलम चलाएं रचनाकार ---अर्जुन सिंह

देश की चुनौतियोंपर बेधड़क कलम चलाएं रचनाकार ---अर्जुन सिंह

प्रतापगढ 



13.06.2021



रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी




देश की चुनौतियों पर बेधड़क कलम चलाएं रचनाकार--अर्जुन सिंह 




महाकवि "छविश्याम" द्वारा स्थापित सामाजिक एवं साहित्यिक संस्था स्वतंत्र कवि मंडल सांगीपुर, प्रतापगढ की मासिक गोष्ठी निर्मला बृजेंद्र शिक्षण संस्थान (N.B.S.S.) शुकुलपुर सांगीपुर में अर्जुन सिंह की अध्यक्षता में संपन्न हुई। गोष्ठी का संचालन कार्यक्रम के संयोजक योगेंद्र कुमार पांडेय ने किया।

विद्यालय के प्रबंधक अजय कुमार शुक्ला सहित मंडल के संरक्षक यज्ञ नारायण सिंह अज्ञेय, अध्यक्ष अर्जुन सिंह एवं महामंत्री डॉ अजित शुक्ल आदि के मां सरस्वती के चित्र पर पुष्पार्पण एवं पूजन अर्चन के पश्चात यज्ञ कुमार पांडे यज्ञ की वंदना के साथ शुरू हुई गोष्ठी में प्रबंधक अजय कुमार शुक्ला ने सभी का स्वागत किया। उपस्थित कवियों ने रिमझिम रिमझिम बरसात के सुहावने मौसम में विविध विधा की काव्य की रसधार बहाई।

जहां, गुरु बचन सिंह बाघ ने पढ़ा.......

"रुखसती के वक्त उसकी आंखें डबडबा आईं थीं 'बाघ',

मगर उसने पलट कर नहीं देखा"


वहीं, डॉक्टर केसरी नंदन शुक्ला ने

"मैंने खुद को भिगोकर लिखा है इन्हें,

गीत होते नहीं गीली बरसात में"

आज पंक्तियां पढ़कर माहौल को खुशनुमा बनाया।

युवा रचनाकार रघुनाथ यादव की पंक्तियां.....

"वतन के रहनुमाओं तुम न अब इंसान को बांटो।

हवस की आग में जलकर न अब ईमान को बांटो।"

श्रोताओं द्वारा सराही गई।

जहां,यज्ञ नारायण सिंह अज्ञेय ने पंक्तियां ......

"जाने क्या हुनर है उनके सफेद कुर्ते में,

 खून के छीटें भी नजर नहीं आते"

पढ़ा। वही, परशुराम उपाध्याय सुमन ने मानव तन की उपलब्धि को सौभाग्य मानते हुए

"मानव का तन मिला है खुशियां मनाइए ।

बस जो भी है उसी में गोतें लगाइए"

आदि पंक्तियों का गीत पढ़कर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।

यज्ञ नारायण सिंह अज्ञेय

ने पढ़ा

"जाने क्या हुनर है उनके सफेद कुर्ते में,

 खून के छींटे भी नजर नहीं आते"

इसी क्रम में जहां,अशोक विमल ने

"योगी भी भोगी बन बैठे पद लिप्सा में चूर सभी। कहीं मनुज मन तृप्त न देखा कामी इच्छा क्रूर सभी"

आदि पंक्तियां पढ़ी।

 वहीं, यज्ञ कुमार पांडेय यज्ञ ने ओज की रचना 

"मुझको भागीदार समझ चाहे बागी यार समझ,

 किंतु देश में लगी आग में तेल, तेल की धार समझ"

पढ़ कर माहौल को गर्माया।अध्यक्षता कर रहे अर्जुन सिंह ने कहा कि देश विषम परिस्थितियों से गुजर रहा है ।इसलिए सभी रचनाकारों से आग्रह है कि वह देश की चुनौतियों पर बेधड़क निडर होकर अपनी कलम चलाएं।गोष्ठी में उपस्थित अन्य रचनाकारों में महादेव प्रसाद मिश्र बमबम, डॉ अजित शुक्ल, डा. एस. पी. सिंह शैल,राम जी मौर्य आशमा, अरविंद सत्यार्थी,  योगेंद्र पांडेय देना, हरिवंश सिंह आदि ने भी विविध रचनाएं पढ़कर गोष्ठी को सार्थक बनाया।विद्यालय के प्रधानाचार्य अनुज शुक्ला ने सभी के प्रति कृतज्ञता एवं आभार प्रकट किया।अंत में राष्ट्रगान के साथ गोष्ठी का समापन हुआ।

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