भक्तों का भगवान पर सदैव निश्छल विश्वास ही प्रभु मिलन का मार्ग --अनूप देव जी महाराज
प्रतापगढ
06.03.2022
रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी
भक्त का भगवान पर सदैव निश्छल विश्वास ही प्रभु मिलन का मार्ग-अनूप देव जी महाराज
प्रतापगढ़ जनपद के महेशगंज क्षेत्र के महेवामलकिया में हो रही श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ में रविवार को बांके बिहारी के लोकावतार की मीमांसा सुन श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो उठे। कथा व्यास अनूप देव जी महराज ने कहा कि प्रभू पर भक्त को सदैव निश्छल विश्वास रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि आस्था निश्छल और प्रगाढ़ हुआ करती है तो भक्त को भगवान के मिलने की अंर्तमन में स्वतः आभास होने लगता है। अनूप देव जी महराज ने श्रद्धालुओं को बताया कि धर्म रक्षति कर्म का आचरण करने वाले का भगवान सदैव सब अच्छा किया करते हैं। उन्होंने कहा कि धर्मानुरागी पथ सदैव भगवान की कृपानुभूति के पथ का संबल व संरक्षण प्रदान किया करता है। कथा व्यास जी ने कहा कि भक्ति के अमृत को सदैव हृदय सागर में भरते हुए अपने कर्मफलों की सुचिता से मनुष्य अंत में परममुक्ति का फलदायी हुआ करता है। अनूप देव जी महराज ने कहा कि प्रभू के प्रति लीन होने वाले प्राणी को जीवन के भंवर में क्रोध, अज्ञान तथा मोह से छुटकारा मिलते हुए समस्त संकटों और पीड़ाओं के हरण के साथ भगवान मृत्युचक्र से भी मुक्ति प्रदान किया करते हैं। उन्होंने कहा कि भागवत महात्म में प्रभु की आराधना की कृपा का सबसे सुगम मोक्ष मार्ग भी मन की प्रवृत्तियों को नियंत्रित करते हुए गुरूस्वरूपिणी ज्ञान का बोध है। कथा श्रवण में पहुंचे बाबागंज विधायक विनोद सरोज तथा जिला पंचायत अध्यक्ष के प्रतिनिधि कुलदीप पटेल, पूर्व प्रमुख हितेश सिंह पंकज तथा रूरल बार के राष्ट्रीय अध्यक्ष ज्ञानप्रकाश शुक्ल ने भी कथा व्यास का सारस्वत सम्मान किया। वहीं संयोजक बाबागंज प्रधान संघ के पूर्व अध्यक्ष पं. जर्नादन प्रसाद त्रिपाठी व समाजसेविका शकुन्तला ने कथा व्यास को राधे-कृष्ण पट्टिका प्रदान कर मंगलाभिषेक किया। इस मौके पर अधिवक्ता अर्चना त्रिपाठी, शोभनाथ मिश्र, उमाकान्त विश्वकर्मा, रावेन्द्र मिश्र, प्रवीण पाण्डेय, मोनू तिवारी, महेश शुक्ला, अमन पाण्डेय, तपन पाण्डेय, आदित्य त्रिपाठी आदि रहे। सहसंयोजक आलोक त्रिपाठी गुड्डू एवं अधिवक्ता अरविन्द त्रिपाठी पंकज व आनन्द त्रिपाठी ने श्रद्धालुओं को महाप्रसाद वितरित किया। कथा विश्राम की सांध्य बेला में बांकेबिहारी की संगीतमयी भव्य आरती के प्रबंधन में विद्योत्मा, पूजा, कुसुम, सुषमा, किरन, गीता, अनीता, श्रुति, समृद्धि, आर्या, पीयूष, आयूष, ऋषभ भी मगन दिखे।

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