लुटेरों में पुलिसिया खौफ हुआ पूरी तरह से खत्म,लुटेरों ने दिया लूट की बड़ी घटना का अंजाम

लुटेरों में पुलिसिया खौफ हुआ पूरी तरह से खत्म,लुटेरों ने दिया लूट की बड़ी घटना का अंजाम

प्रतापगढ 




26.05.2022




रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी




लुटेरों में पुलिसिया खौफ हुआ पूरी तरह से खत्म,लुटेरों ने दिया लूट की बड़ी घटना को अंजाम



प्रतापगढ़।एक बार फिर लुटेरों ने दिखाया अपनी निडरता की पहचान।लुटेरों के आगे एक बार फिर पूरी तरह से फिसड्डी साबित हुई भुपियामऊ चौकी पुलिस।पूरा मामला नगर कोतवाली क्षेत्र भुपियामऊ चौकी अंतर्गत गुरुवार की रात डिहवा गांव का है।जहां बीती रात बेखौफ लुटेरों ने शिक्षक जिष्णेन्द्र प्रताप सिंह सुत स्वः शिव शंकर सिंह के घर के छत से जीने की खिड़की का जाली काटकर 5 से 6 लुटेरे घुस गए।आसपास के कुत्ते भौंकने लगे तो शिक्षक की नींद खुल गई उसी बीच एक लूटेरे ने शिक्षक व पालतू कुत्ते पर नशीली स्प्रे छिड़क दिए उसी दरमियान शिक्षक जिष्णेन्द्र प्रताप सिंह बेहोश हो गए।फिर लुटेरों ने दरवाजा बाहर से बंद कर दिया और घर में रखी अलमारी का लॉकर तोड़कर उसमें रखे कीमती जेवरात तथा 75 हजार नगद लूट ले गए।शिक्षक के माता और पत्नी व बच्चे के जेवरात थे जिसकी कुल कीमत 16 लाख रुपए बताई गई।लुटेरे बेखौफ होकर आराम से लूट कर निकल गए।जब सुबह हुई तो शिक्षक को होश आया तो घर में उतर पुथल देख उड़ गए होश।यह देखते हुए आसपास के ग्रामीण इकट्ठा हो गए और पुलिस को सूचना दी।मौके पर एडिशनल एसपी व एसओजी टीम और सीओ सिटी अपने भारी पुलिस बल के साथ पहुंचकर मामले की जांच में जुटे है।पुलिस ने गांव के ही कुछ संदिग्धों को उठा कर कर रही है पूछताछ।पीड़ित शिक्षक ने अज्ञात लुटेरों के खिलाफ नगर कोतवाली में तहरीर दी।भुपियामऊ चौकी पुलिस गश्त के नाम पर करती है खानापूर्ति और शाम होते ही नशे में टल्ली होकर चैन की खर्राटे मारती है।वर्षों से जमे सिपाहियों की बैठना ही पूछताछ और अपराधियों के बीच ही है तो अपराधियों का मनोबल बढ़ेगा ही और लूट की वारदात क्षेत्र में होती रहेगी।आखिर जिले के कप्तान सतपाल अंतिल ऐसे भ्रष्टों पर क्यों नहीं कर रहे हैं कार्यवाही।आए दिन क्षेत्र में बड़े से बड़े कारनामे देखने को मिल रहा है। चोरी व लूट की घटनाएं रुकने के बजाय बढ़ती ही जा रही है। लुटेरों का गैंग पूरी तरह से सक्रिय हो चुका है और पुलिस चोरों के आगे बौना साबित हो रही है।क्षेत्र की जनता भय के साए में जीने को मजबूर हैं।

Comments

Leave A Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *