आजादी की लडाई में प्रतापगढ़ से उठा किसान आन्दोलन एक अहम स्थान रखता है --हेमंत नन्दन ओझा

आजादी की लडाई में प्रतापगढ़ से उठा किसान आन्दोलन एक अहम स्थान रखता है --हेमंत नन्दन ओझा

प्रतापगढ़

23. 08. 2020

रिपोर्ट --मो. हसनैन हाशमी

आजादी की लडा़ई में प्रतापगढ़ से उठा किसान आन्दोलन एक अहम स्थान रखता है----हेमंत नन्दन ओझा

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अवध किसान आंदोलन शताब्दी वर्ष एवं अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय आह्वान पर लद दिनांक 22-8-2020 को जनपद मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर ग्राम काशीपुर डुबकी विकासखंड बिहार तहसील कुंडा जनपद प्रतापगढ़ में कोविड-19 के अंतर्गत विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देशानुसार सेनीटाइज कराते हुए शारीरिक दूरी बनाए रखते हुए किसान सभा का आयोजन प्रतापगढ़ इकाई किसान सभा के उपाध्यक्ष श्रीमती सुशीला मिश्रा की अध्यक्षता में किया गया।जागरूकता गोष्ठी का उद्घाटन करते हुए समाजसेवी हेमंत नंदन ओझा ने कहा कि 1920 में गुलामी के समय जब अंग्रेजी हुकूमत थी जनता का भारी शोषण था अवध टेनेंसी एक्ट अंग्रेजों ने लागू किया जिससे किसान त्राहि त्राहि कर रहा था ऐसे समय में जनपद प्रतापगढ़ के तहसील पट्टी के रूरे गांव में किसान सभा की स्थापना हुई थी जिसकी अध्यक्षता सहदेव सिंह ने किया था।इस आंदोलन के प्रमुख नेता बाबा रामचंद्र स्थानीय जमीदार ठाकुर जी पंडित माता बदल पांडे आदि थे जिनके नेतृत्व में किसानों ने जो आंदोलन किया वह देश की आजादी की लड़ाई में स्वर्णिम अध्याय के रूप में पढ़ा जाता है। साम्राज्यवादी ब्रितानिया हुकूमत भारत की कृषि व्यवस्था को तहस-नहस करने पर जुटी थी जिसके खिलाफ प्रतापगढ़ से उठा किसान आंदोलन एक अहम स्थान रखता है। भारत एक कृषि प्रधान देश है आज भी भारत में किसानों की दुर्दशा में कोई खास परिवर्तन नहीं हुआ उल्टे ऐसे ऐसे नए अध्यादेश लाई जा रहे। किसानों को खेती बचाने और देश बचाने के लिए जागरूक हो और संगठित होना पड़ेगा।इस अवसर पर सभा को राजमणि पांडे कामरेड मैं अपने विचार रखते हुए कहा कि शिक्षा इतनी महंगी कर दी गई है कि साधारण किसान और आम अपने बच्चों की शिक्षा का खर्च नहीं उठा पा रहा है खेती अत्यंत घाटे का सौदा हो गया है खेती में सरकार की ओर से सुनियोजित सहयोग एवं समर्थन की आवश्यकता थी लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो रहा है।, खेत मजदूर यूनियन के जिला संयोजक अमरनाथ त्यागी ने खेती पर आधारित खेतिहर मजदूरों के संबंध में कहा कि जब किसान को उसकी फसल का दाम नहीं मिल रहा है और छोटे किसान जो अपनी खेती से खुद की मजदूरी नहीं निकाल पा रहा है फसल चौपट होने पर किसान ही चौपट हो जा रहा है और देश भर में बड़ी संख्या में आत्महत्या कर रहा है इस दशा और दिशा को हर हाल में बदलना होगा , सभा में किसान सभा के जिला कोषाध्यक्ष विनोद सुमन आदि ने अपने विचार प्रकट किए। सभा को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए किसान सभा के पूर्व जिला अध्यक्ष एवं भाकपा के जिला मंत्री रामबरन सिंह ने कहा कि जब तक किसान संगठित नहीं होगा और जागरूक नहीं रहेगा किसान का भला होने वाला नहीं है और अगर खेती और किसान का भला नहीं हुआ तो देश का भला भी नहीं होगा जब देश का किसान और खेती पर आश्रित मजदूर व अन्य खुशहाल होंगे तभी देश को साल होगा उन्होंने इस अवसर पर केंद्र सरकार द्वारा कृषि उपज व्यापार वाणिज्य अध्यादेश ,मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर किसान समझौता अध्यादेश , आवश्यक वस्तु संशोधन अध्यादेश 2020 के दुष्प्रभावों की चर्चा करते हुए कहा कि इससे देश का किसान तबाह हो जाएगा और खेती पर आधारित मजदूरों की हालत उससे भी ज्यादा खराब होगी इसीलिए खेतिहर मजदूरों को और किसानों को एक साथ मिलकर के एकजुट होने की आवश्यकता है। अखिल भारतीय किसान सभा के जिला महामंत्री निर्भय प्रताप सिंह ने कृषि मंडी समिति की व्यवस्था समाप्त किए जाने, न्यूनतम समर्थन मूल्य बिजली कानून संशोधन विधेयक 2020 आज की चर्चा करते हुए कहा कि ठेका खेती कारपोरेट खेती होगी इसमें होने वाले विवादों के लिए किसान के लिए अदालत का दरवाजा बंद होगा राज्य सरकार ने इस मामले में दखल नहीं कर पाएंगे सरकार दुख जो कानून कोविड-19 का फायदा उठाते हुए अध्यादेश के रूप में लागू की है इसे वापस कराने के लिए किसानों को एकजुट होना होगा। सभा अपने अध्यक्षीय संबोधन में श्रीमती सुशीला मिश्रा ने कहा कि कोविड-19 के चलते भारी कठिनाई की समस्या पूरे देश में सभी को उठानी पड़ रही है । छोटे-छोटे किसानों के बच्चे जो बाहर प्राइवेट मजदूरी और नौकरियां कर रहे थे वह खत्म हो गई खेती और किसानी पर बोझ और बढ़ गया है ऐसे में बड़ी राहत की उम्मीद थी किंतु अभी तक वह उम्मीद पूरी नहीं हुई। सरकार कोई भी कानून लाए उसे लोकतांत्रिक तरीके से चर्चा करके किसान संगठनों के साथ चर्चा करके लोकसभा व राज्यसभा में बहस करके और पारित कराकर के तभी लागू होना चाहिए अलोकतांत्रिक तरीके से किसी भी तरह का कानून चाहे वह किसानों से संबंधित हो शिक्षा से संबंधित हो मजदूर अधिकारों की कटौती हो नहीं की जानी चाहिए। इस अवसर पर गोष्ठी में देवेंद्र शुक्ला एडवोकेट संतलाल बेधन गोपालपुर, रामफल भाव, अतुल कुमार प्रदीप कुमार करुणेश कुमार दीपक शुक्ला बरसाती लाल बरौना आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे ।

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