आदेश माननीय उच्च न्यायालय का, मनमानी सत्ता धारियों की।

आदेश माननीय उच्च न्यायालय का, मनमानी सत्ता धारियों की।

1=पंचायती चुनाव में आरक्षण को लेकर माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी कुछ सीटों के आरक्षण में सत्ता धारियों का दिखा असर!!

 2=कमजोर विपक्ष के चलते मनमानी पर नहीं लग पा रही लगाम!!


पी पी एन न्यूज


(कमलेन्द्र सिंह)


फ़तेहपुर।

 आदेश माननीय उच्च न्यायालय का, मनमानी सत्ता धारियों की।

यह स्थिति पंचायती चुनाव के विभिन्न पदों में हुए आरक्षण को लेकर देखी गई। ग्राम प्रधान से लेकर क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्यो के आरक्षण को लेकर सत्ताधारियों के असर से इनकार नहीं किया जा सकता। कई आरक्षण ऐसे हुए जो माननीय उच्च न्यायालय की मंशा के विपरीत ही दिखे,कहीं ना कहीं कुछ सीटों पर सत्ता का असर नजर आया। विभागीय लोगों की मनमानी और दबाव के चलते ही कुछ लोगों के हौसलों पर पानी फिर गया और कुछ लोग फिर से उड़ान भरनी शुरू कर दी।

    जनपद में पंचायती चुनाव को लेकर जिला प्रशासन काफी दिनों से कसरत कर रहा है। आरक्षण को लेकर विभागीय लोगों की शुरू कसरत को उस समय झटका लगा,जब माननीय उच्च न्यायालय ने आरक्षण की पूरी नीति पलट कर रख दी और दिए गए आदेश में जो नीति निर्धारित की उसी के तहद आरक्षण किए जाने को कहा। लेकिन आरक्षण की जिम्मेदारी लेने वाला विभाग माननीय उच्च न्यायालय को भी दोबारा बनाई गई आरक्षण लिस्ट में झांसा देता नजर आया। तमाम ऐसी सीटों का आरक्षण कर दिया जो माननीय उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए गाइडलाइंस के अनुसार नहीं है। इस बात को लेकर तरह तरह की अफवाहों का बाजार गर्म है।यह कहा जा रहा है कि इस बार जो आरक्षण की लिस्ट बनाई गई है उसमें कहीं ना कहीं सत्ताधारी नेताओं की मर्जी डाली गई है।

     जिला पंचायत की 46 सीटों पर चुनाव होना है जबकि 834 ग्राम प्रधान चुने जाने हैं। 1148 क्षेत्र पंचायत चुने जाएंगे जो 13 ब्लॉक प्रमुख का चुनाव करेंगे। पंचायती चुनाव का मुख्य उद्देश्य गांव के विकास में आम लोगों की भागीदारी होना। लेकिन जब आरक्षण से लेकर चुनाव तक कई मामलों में गड़बड़ियां होनी शुरू हो जाए तो फिर केंद्र और प्रदेश सरकार की मंशा पूरी होती नजर नही आती। आरक्षण नीति को जिस तरह से ऊपर नीचे किया गया,उससे ऐसा ही साबित हो रहा है।

     कमजोर विपक्ष के होने के कारण ही आरक्षण में न केवल संबंधित विभाग की मनमानी चली बल्कि सकता धारियों का असर साफ-साफ देखने को मिला। सवाल तो प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी से पूछना चाहिए कि विकास हो या फिर राजनीति सभी की शुरुआत गांव से ही होती है लेकिन जब गांव में ही विपक्षियों का दबदबा कमजोर पड़ेगा तो फिर इसका असर प्रदेश में होगा ही।

Comments

Leave A Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *