बेमौसम आसमानी कहर से आम जन जीवन अस्त व्यस्त
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बेमौसम आसमानी कहर से आम जन जीवन अस्त व्यस्त
प्रकति की मार के आगे आवाम हुई बेबस लाचार
पी पी एन न्यूज
(कमलेन्द्र सिंह)
फतेहपुर।
जिले में मौसम ने ऐसी करवट ली कि आम जनजीवन अस्त व्यस्त व बेपटरी हो गया। प्राकतिक मार के आगे आम और खास लोगों के मंसूबों ऐसा पानी फिरा कि सभी सभी कराह रहे हैं। पौष का महीना हडकपाऊ ठंड और ऊपर से रह-रहकर हो रही बारिश ने सरकारी व गैर सरकारी व्यवस्थाओं की पोल खोल दी। सप्ताह भर से मौसम ने ऐसी करवट ली जिसके चलते जिला मुख्यालय समेत ग्रामीण क्षेत्र की बाजारों में भी सन्नाटा पसरा है। बारिश होने के चलते नगर निकायों सहित ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को गंदगी का सामना करना पड़ रहा है। मौसम से हुए नुकसान के चलते किसानों व पशुपालको के माथे पर सिलवटें पड़ी हुई है। तो वहीं दूसरी तरफ ईट उद्योग से लेकर मोरंग माइनिंग इंडस्ट्री तक को भारी नुकसान हुआ है। खराब मौसम के कारण कृषि विभाग, विद्युत विभाग, विकास भवन, स्वास्थ्य विभाग, कलेक्ट्रेट आदि सरकारी कार्यालयों में सन्नाटे का आलम देखने को मिल रहा है।
--- बेमौसम बरसात से तबाही की कगार पर पहुंचा अन्नदाता
बारिश आलू और सरसों की फसल के लिए कहर साबित हो रही है। आलू की फसल में नुकसान देखकर आलू किसानों के होश उड़े हुए हैं। लगातार कई दिन कि बारिश से किसानो की हलक सुखी है। खेतों में बोई गई फसल तो बर्बाद हो ही रही है, भविष्य का भी कुछ पता नहीं। बारिश से सरसों के फूल झड़ गए, और ठंड से सरसों की फली के भी पूरा रूप नहीं ले पाने की आशंका सता रही है। जबकि इस समय सरसों के लिए खुली धूप की जरूरत थी। फलियों और फूल को हवा व धूप न मिलने से बेकार हो जाएगी। हवा संग बारिश होने से शीतलहर के चलते लोग घरों में कैद होकर रह गए हैं। दलहनी और तिलहनी फसलें चौपट हो रहीं हैं। लगातार हुई बारिश से गेहूं को आंशिक नुकसान तो सरसों, चना, मटर, मसूर, अरहर को भारी नुकसान पहुंचा है। खेतों में पानी भरने से आलू के पौधों में सड़ने और रोग लगने की संभावना भी गहरा गई है।
--- गौशालाओं में ठंढ व बारिश से गौवंशो हुई मौतें, दलदल बना मौत का कारण
जनपद में लगातार हो रही कई दिनों से बारिश की वजह से जिले की सभी गौशाला कि कीचड़ और दलदल से पट गई हैं। बीमार गोवंश कीचड़ में फस कर कराह रहे हैं या तो मरे पड़े है। चारे-पानी की व्यवस्था की कमी दिखी रही है। बीमार मवेशियों को सरकारी अस्पताल तक लेकर पहुंच रहे लोग अस्पतालों में ताला लटकने के कारण वापस हो रहे हैं। हर तरफ बदहाली ही बदहाली दिख रही है।
लगातार हुई रिमझिम बारिश के बाद आम जनमानस के साथ पशु पक्षियों के हालात बदतर हो गई। जिले की गोशालाओं में बारिश के चलते गोवंशों का बुरा हाल हो गया। खुले आसमान के नीचे गोवंश बारिश में भीगकर ठिठुरते रहे।बारिश के चलते गोशाला में गोबर का उठान न होने से भी हर जगह कीचड़ व गंदगी का फैली है। जिससे स्वस्थ जानवर भी बीमार हो जाने की आशंका बढ़ती जा रही है।
-- बारिश से ईंट भट्ठों की चिमिनियाँ हुई ठंढी, करोड़ों की ईंट गलकर हुई बर्बाद
कोविड की मार से ईंट भट्ठा उद्योग भी अछूता नहीं है, एक तरफ जंहा ठंडे पड़े व्यवसाय रफ्तार पकड़ रहे हैं। वहींदूसरी तरफ बदलते मौसम के मिजाज से हुई अचानक बारिश ईंट भट्ठा संचालकों पर कहर कर बन टूट गया। बैंकों से ऋण ले अपने व्यवसाय को सुचारु व समुचित प्रबंधन कर पक्की ईंट के इंतजार में समय से ईंट पथाई के साथ कारोबार शुरू करते ही अचानक बारिश व दो हफ़्तों से अधिक खराब मौसम से बड़ा झटका लगना तय है।
अचानक आई बेमौसम बारिश ने ईंट भट्ठा उद्योग को भी कमोबेश तबाह कर दिया है।
जनपद में सैकड़ों संचालित ईंट भट्ठों पर कच्ची ईंट पथाई कर लाखों की संख्या में रखे गए ईंट बारिश में भीग कर पूरी तरह नष्ट हो गये।
जिससे पथाई कर रखी गई कच्ची ईंटे भीगने से प्रत्येक भट्ठों पर कई लाखों रुपये का भारी नुकसान भट्ठा संचालकों को हुआ है। बारिश से तबाह हो चुके संचालकों की उम्मीदें अब प्रशासन की तरफ है। जिससे उनका कारोबार प्रभावित न हो सके व पूँजी के संकट से उबर सके।
माइनिंग प्रभावित खदानों में खनन व लोडिंग कार्य ठप्प
कई दिनों तक लगातार बारिश से मोरंग खदानो के रास्ते दलदल में तब्दील हो गए हैं। जो वाहन जहां है वहीं थमे हैं।
जनपद की सभी खदानों के रास्ते परिवहन लायक नहीं बचे हैं। जिस कारण से लगातार कई दिनों से खदानों पर खनन व लोडिंग कार्य बंद है। जिससे खदान संचालकों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।
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