25 से अधिक घर नदी में कटे। हजारो बीघा फसल बर्बाद।

25 से अधिक घर नदी में कटे। हजारो बीघा फसल बर्बाद।

घाघरा का कहर, दूधनाथपुरवा गांव का अस्तित्व समाप्ति की ओर।



विशाल अवस्थी बहराइच 



25 से अधिक घर नदी में कटे। हजारो बीघा फसल बर्बाद। 


पूर्वमाध्यमिक विधालय दूधनाथपुरवा के दो अतिरिक्त कक्ष घाघरा में समाहित।


ग्रामीणो‌ ने लगाया‌ प्रशासन की उपेक्षा का आरोप। लेखपाल, स्वास्थ्यकर्मी व पशुचिकित्सक अबतक नही पहुंचे दूधनाथपुरवा।

मिहींपुरवा/बहराइच- नेपाल के पहाड़ी क्षेत्रों से लगातार बहकर आ रहे पानी से भारतीय क्षेत्र की नदियों का जलस्तर बढ़ने से घाघरा नदी विकराल रुप धारण कर चुकी है। जिसके चलते तहसील के कई गांव कटान के प्रकोप   में आ चुके है। घाघरा के रौद्र रुप के चलते थाना सुजौली अंर्तगत चहलवा गांव के मजरे दूधनाथपुरवा का अस्तित्व समाप्ति की ओर है। दूधनाथपुरवा के करीब 25 से अधिक घर नदी में कट चुके है तथा हजारो बीघा कृषि योग्य भूमि भी नदी में समाहित हो चुकी है। दूधनाथपुरव‌ा के ग्रामीण अपने बचे हुये घर को स्वयं तोड़ कर घर के छप्पर व समान को‌ लेकर सुरक्षित स्थान पर पहुंच रहे हैं। 

यहां बने प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विधालय दूधनाथपुरवा में कायाकल्प के तहत विधालय का सौंदरीकरण हुआ था जिसके तहत विधालय में टायल्सीकरण व रनिंग वाटर का कार्य कराया गया था‌। रविवार को नदी के तेज बहाव के चलते विधालय के दो अतिरिक्त कक्ष व हैंडवाश पियाऊ नदी में सामहित हो गये है तथा पूरा विधालय नदी में समाहित होने के कगार पर है।

ग्रामीणो ने गांव पर आयी इस प्राकृतिक आपदा पर प्रशासन को आड़े हाथ लेते हुये अपनी उपेक्षा का आरोप लगाया है। ग्रामीणो का कहना है कि राहत कार्य के नाम पर प्रशासन ने सिर्फ औपचारिकता ही निभायी है। 

ग्रामीणो काम कहना है कि हमारे गांव में अभी तक क्षेत्रीय लेखपाल व कानूनगो तक नही पहुंचे है न ही स्वास्थ्य विभाग से कोई चिकित्सक ही  यहां पहुंचा है। इसके अलावा हमारे मवेशियों की देखभाल हेतु कोई पशु चिकित्सक भी नही भेजा गया है।

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