सात दिवसीय राष्ट्रीय सेवा योजना का विशेष शिविर का हुआ उद्घाटन
- Posted By: Dinesh Kumar
- उत्तर प्रदेश
- Updated: 27 February, 2021 22:30
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प्रकाश प्रभाव न्यूज़
कौशाम्बी। 25-02-2021
रिपोर्ट मिथलेश कुमार (मोनू साहू)
सात दिवसीय राष्ट्रीय सेवा योजना का विशेष शिविर का हुआ उद्घाटन
प्राचार्या डॉ. रूबी चौधरी ने राष्ट्रीय सेवा योजना शिविर का दीप जलाकर किया उद्धघाटन
कौशाम्बी। राष्ट्रीय सेवा योजना भवन्स मेहता महाविद्यालय कालेज के द्वारा सात दिनों तक चलने वाले विशेष साप्ताहिक शिविर का उद्घाटन सोमवार को संम्पन्न हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्राचार्या डॉ. रूबी चौधरी ने कहा कि कोस कोस पर बदले पानी, चार कोस पर बानी... ये कहावत मातृभाषा की महत्ता समझाने के लिए पर्याप्त है। विश्व में भाषाई व सांस्कृतिक विविधता व बहुभाषिता को बढ़ावा देने और विभिन्न मातृभाषाओं के प्रति जागरुकता लाने के उद्देश्य से मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। विशिष्ट अतिथि डॉ विवेक निराला त्रिपाठी ने कहा कि एनएसएस की विशेष साप्ताहिक शिविर से बच्चों में देश भक्ति की ज्वाला उत्पन्न होती है जिससे प्रेरित होकर वालंटियर देश की सेवा करने के लिए कृत संकल्पित होकर कार्य करते है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के विमलेश सिंह यादव ने कहा कि सात दिवसीय विशेष शिविर सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ। जिसके लिए सभी कार्यक्रम अधिकारी बधाई के पात्र है, इन सात दिनों में सभी वालंटियर जो कुछ भी सीखेंगे उसे अमल में लाने का प्रयास करें। वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी सी.पी श्रीवास्तव ने कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना जीने की कला सिखाती है। कार्यक्रम अधिकारी डॉ. धर्मेन्द्र अग्रहरी ने कहा कि इस शिविर के दौरान आप लोग जो कुछ भी सीखेगे उसे आत्मसात करें, इस दौरान गौरव शुक्ला ने विशेष शिविर के दौरान शिविरार्थियों के द्वारा किये जाने वाले कार्यो का जिक्र करते हुए स्वयंसेवक और सेविकाओं को उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी। डॉ.सतीश चंद्र तिवारी ने कहा लक्ष्यहीन व्यक्ति सूखे पत्तों के समान होते हैं। इस मौके पर प्रतिभाग करने वाले बच्चे संस्कृति त्रिपाठी, सालवी शुक्ला, अभिनव त्रिपाठी, राजीव त्रिपाठी, आकाश मिश्रा, इक्रा नाज़, पल्लवी केसरवानी, दिव्या पांडेय और रिकॉर्ड मैन के नाम से मसहूर अभिषेक द्विवेदी ने कहा कि जितनी भी बाते हमे एनएसएस कैम्प के दौरान सीखने को मिलेगी उसको हम अपने जीवन चरित्र पर अमल करेंगे।
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