17 वर्ष की आयु में आंखों की रोशनी चली जाने पर भी नहीं रुका सफर
- Posted By: Admin
- उत्तर प्रदेश
- Updated: 16 March, 2021 22:50
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फतेहपुर जिले का एक होनहार बना अधिकारी
17 वर्ष की आयु में आंखों की रोशनी चली जाने पर भी नहीं रुका सफर
बेरोजगारी का रोना रोने वालों के लिए सीख देते विनय
पी पी एन न्यूज
(कमलेन्द्र सिंह)
फतेहपुर।
अगर आपको कोई ऐसा शख्स दिखाई दे जिसकी आंखों की रोशनी चली गई हो और फिर भी वह कंप्यूटर पर ऐसे वर्क कर रहा हो जैसे उसे कुछ हुआ ही नहीं तो आपको कैसा प्रतीत होगा ऐसा ही करिश्मा फतेहपुर जिले के एक युवक द्वारा आज देखने को मिला आपको बता दें की भगवान जो भी करता है वह अच्छे के लिए होता है भगवान ने भले ही आपसे आपके शरीर का कोई अंग छीन लिया हो लेकिन उसके बदले में भगवान आपको कोई एक ऐसी खूबी देता है जिसकी वजह से आप कामयाबी का रास्ता पाने में आसानी पा सकते हैं ।
कंप्यूटर का ज्ञान आजकल के युवाओं के लिए साधारण सा बन गया है लेकिन यही कंप्यूटर का ज्ञान अगर किसी दृष्टिबाधित व्यक्ति को हो जाए तो वह है इसको असाधारण रूप से इस्तेमाल कर लोगों को आश्चर्य में भी डाल सकता है ।
ऐसा ही देखने को मिला फतेहपुर जनपद के रहने वाले युवक विनय कुमार पटेल के साथ जब वह 17 साल की उम्र के थे तब उनको ब्रेन ट्यूमर हो जाने की वजह से आंखों की रोशनी चली गई लेकिन भगवान के इस बंदे ने हार नहीं मानी और दृष्टि बाधित लोगों के संपर्क में आकर ब्रेल लिपि सीखें और मात्र 2 वर्षों में ही ब्रेल लिपि और कंप्यूटर का अच्छा खासा ज्ञान प्राप्त कर लिया तत्पश्चात कंपटीशन की तैयारी हुई और पहली बार में ही वह बीमा कंपनी में क्लर्क के तौर पर नौकरी पा गए, लेकिन नौकरी पाने के बाद भी उसने अपने संघर्ष को कम नहीं होने दिया और लगातार 6 वर्ष कि कठिन परिश्रम के बाद नौकरी के चलते हुए विनय कुमार ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और आज वह दिन आ गया जब विनय कुमार अधिकारी रैंक पर पहुंच गए हैं, जब इस बारे में विनय कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जब उनकी आंखों की रोशनी गई थी तो उनका जीवन अंधकार में हो गया था लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार परिश्रम करते रहें घरवालों और सहयोगियों ने लगातार उनकी मदद की और जीवन में आने वाली परेशानियों से लड़ने की सीख दी जिसकी वजह से आज वह इस मुकाम पर पहुंच पाए हैं विनय कुमार का कहना है कि मैं जो की आंखों से कमजोर हूं इसके बावजूद अगर मैं इस जगह तक पहुंच सकता हूं तो वह युवा जो लगातार सरकार और किस्मत को दोष देते हैं वह तो मुझसे आगे निकल सकते हैं भगवान ने तो उनको सब कुछ सुरक्षित दे रखा है तो वह किस तरह से हार मान जाते हैं विनय कुमार ने अपने ऑफिस स्टाफ और ऑफिस के अधिकारी की तारीफ करते हुए बताया कि सभी लोग लगातार उनकी मदद भी करते हैं जिससे उनको किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होती और वह लगातार प्रगति की ओर अग्रसर हो पाते हैं ।
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