दबंगों के लिए न्यायालय और उच्चाधिकारियों के आदेश हुए निरर्थक

दबंगों के लिए न्यायालय और उच्चाधिकारियों के आदेश हुए निरर्थक

प्रतापगढ 



13.08.2021



रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी



दबंगों के लिए न्यायालय और उच्चाधिकारियों के आदेश हुए निरर्थक




समाज में कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनको ईश्वर ने हर तरह से सम्पन्न कर रखा है; बड़े काश्तकार हैं, फिर भी वे अपने से कमजोर और गरीब की सहायता करने के बजाय उसको सताने तथा उसकी संपत्ति और जमीन पर झपट्टा मारने की हर कोशिश करते हैं।

     सरकार अपनी जन कल्याणकारी योजनाओं से यदि किसी गरीब और पिछड़े तपके के लोगों को लाभान्वित कर देती है तो उस पर भी झपट्टा मारने की कोशिश करते हैं।वे अधिकारियों और कर्मचारियों तथा रसूखदार नेताओं को पटाकर अपनी योजनाओं में सफल हो जाते हैं।ऐसे भी दबंग है जो कोर्ट में चल रहे विवाद के चलते स्थगन आदेश होने के बावजूद खुद ही फैसला करके पुलिस की मिली भगत से जमीन पर जबरन  कब्जा कर लेते हैं और निर्माण कार्य को अंजाम देते हैं। गरीब और लाचार इतना परेशान कर दिया जाता है कि वह यह सोचकर बैठ जाता है कि अब उसकी कोई सुनने वाला नही है।अंततः डिप्रेशन का शिकार होकर आत्म हत्या कर लेता है या या कोई मददगार बन जाता है तो ऊंची अदालत से ही उसे न्याय मिल पाता है।निचली अदालतें रसूखदार लोगों के प्रभाव के कारण मामले की सच्चाई तक नहीं पहुंच पाती हैं।लेकिन जब उच्चतम अदालत में मामला जाता है तब कमजोर और गरीब को राहत भरा न्याय मिल पाता है।इतना जद्दो जेहाद कहां सभी कर पाते है। 

   प्रतापगढ़ जनपद  के थाना आसपुर देवसरा के अतरौरा मीरपुर पट्टी निवासी मिठाई लाल सुत राम अभिलाष को 0.05 हेक्टेयर कृषि आवंटन पट्टा मिला था।उस पर एक व्यक्ति द्वारा किये गए कब्जे की बेदखली कराकर पुलिस की मैजूदगी में राजस्व कर्मियों व अधिकारियों द्वारा मिठाई लाल को 10 अगस्त 2003 को कब्जा दिला दिया गया।तब से मिठाई लाल उस पर काबिज होकर मेड़बंदी करके खेती बारी करते रहे।लेकिन मिठाई लाल के पट्टे की जमीन पर  अतरौरा, मीरपुर, पट्टी,थाना आसपुर देवसरा,प्रतापगढ़ निवासी जवाहिर सुत राम बली,कल्पनाथ सुत राम बली,बलवंता सुत बुधिराम,हरिश्चन्द्र सुत बलवंता, जिया लाल सुत राम अवध,प्रेम चंद्र सुत राम अवध तथा प्रतापपुर  थाना करौंदी,तहसील कादीपुर,जिला सुल्तानपुर निवासी विमल सुत राम सजीवन की नीयत खराब हो गई।ये उस जमीन पर कब्जा करने के लिए मिठाई लाल के साथ गाली गलौज और मौका पाकर मारने पीटने के साथ निर्माण कार्य शुरु कर दिए।इन लोगों से आजिज आकर मिठाई लाल ने अपर सिविल जज प्रतापगढ़ की अदालत में वाद दायर किया।(इसके पहले इसमें अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व प्रतापगढ़ की अदालत में पट्टा वैध  पाये जाने पर मिठाई लाल के पक्ष में फैसला हो चुका है।) उस जमीन पर विपक्षियों द्वारा कराए जा रहे अवैध कब्जे के प्रयास पर 24 फरवरी 2011 से  10 अगस्त 2021 तक के लिए स्थगन आदेश  है।इसके बावजूद विपक्षियों द्वारा उक्त जमीन पर जबरन  निर्माण कार्य कराया जा रहा है।सारा मामला पुलिस के संज्ञान में होने के बावजूद पुलिस द्वारा इन दबंगों के विरुद्ध कोई कार्यवाही न किये जाने से मिठाई लाल ने डीएम,एसपी,पुलिस महानिरीक्षक ,मुख्यमंत्री,प्रमुख सचिव आदि को प्रार्थना पत्र दिया है।लेकिन उच्च अधिकारियों द्वारा जब मामले को संज्ञान में लिया जाता है तब लेखपाल मानिक चंद्र मिश्र द्वारा झूठी रिपोर्ट देकर उच्च अधिकारियों को भ्रम में डाल दिया जाता है।पुलिस के उच्च अधिकारी जब मामले में स्थगन आदेश के होते हुए निर्माण कार्य को रोकने का आदेश देते हैं तब थानाध्यक्ष किसी सिपाही को भेज कर निर्माण कार्य रोकवाता तो है, लेकिन थोड़ी देर बाद विपक्षी गण द्वारा निर्माण कार्य पुनः प्रारंभ कर दिया जाता है।पुलिस रोकती है और विपक्षी गण रुक रुक कर रात दिन निर्माण कार्य करवाते  है। क्या अदालत और अधिकारियों  के अवमामना के विरुद्ध इतनी  ही कार्यवाही पर्याप्त है; या ऐसी कार्यवाही जरूरी होती  हैं जिससे निर्माण कार्य अदालत के फैसले तक विपक्षी न कर पाए।परंतु पुलिस तरह तरह की बहाने बाजी करके विपक्ष की मिली भगत से  अदालत की पूरी पूरी अवमानना के दोषी बनती है और लाभ विपक्षी गण उठाते हैं।जो पूरा मकान उस विवादित भूमि पर खड़ा करके कब्जा कर लेते है।लाचार और गरीब समझ जाता है कि अब हमारा कोई साथ देने वाला नहीं है।चुप होकर बैठ जाता है।डिप्रेशन का शिकार बनता है।लेकिन ऐसे मामलों में सक्षम अधिकारियों और अदालतों द्वारा ऐसी नजीर पेश करनी चाहिए जिससे कोई दबंग और संपन्न व्यक्ति लाचार और गरीब को सताने की हिम्मत न कर सके।

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