संत की कृपा से ही समाप्त हो सकती है वृत्तियों के असुरता --पं. सुभाष चंद्र त्रिपाठी
- Posted By: MOHD HASNAIN HASHMI
- राज्य
- Updated: 28 April, 2022 21:59
- 589

प्रतापगढ
28.04.2022
रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी
सन्त की कृपा से ही समाप्त हो सकती है बृत्तियों की असुरता--पं.सुभाषचंद्र त्रिपाठी
प्रतापगढ़।प्रतापगढ जनपद के ब्लॉक सांगीपुर स्थित ग्राम सभा रांकी (पूरे लम्मरदार) में सेवानिवृत्त शिक्षक लालजी सिंह मुख्य यजमान के निवास पर चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव के षष्टम दिवस पर कथा को विस्तार देते हुए श्रीधाम अयोध्या के परमपूज्य गुरुदेव पंडित शिवेश्वरपति त्रिपाठी के परमशिष्य लब्धप्रतिष्ठित भागवतभूषण आचार्य पंडित सुभाषचंद्र त्रिपाठी जी महाराज ने श्रीमद्भागवत पुराण के बृत्तासुर वध, प्रहलाद चरित्र, गजेंद्र मोक्ष, देवासुर संग्राम,समुद्र मंथन, वामन अवतार, सत्यव्रत मनु का चरित्र, अमरीश की भक्ति, राम कथा एवं श्री कृष्ण अवतार की कथाओं के प्रसंगों का विस्तृत वर्णन करते हुए बताया कि संत की कृपा से ही वृत्तियों में असुरता समाप्त हो सकती है। कलियुग में संतों की संगति और राम कथा, श्रीमद्भागवत कथा, महा शिवपुराण आदि कथाओं के श्रवण मात्र से मोक्ष प्राप्त हो सकता है।
कथा को रोचक बनाने में आर्गन पर विवेक त्रिपाठी, तबला पर नीरज पांडेय, एवं पैड पर दुर्गेश मिश्र संगीतकारों की सराहनीय भूमिका रही। उनकी भजनों की प्रस्तुति से कथा में चार चांद लगा।
इसके पूर्व यज्ञशाला में विराजमान समस्त देवी देवताओं का मुख्य यजमान लालजीत सिंह एवं उनकी धर्मपत्नी द्वारा यज्ञाचार्यो पंडित आमोद पांडेय, पंडित पुरुषोत्तम मिश्र, पंडित अभिषेक मिश्र द्वारा विधि विधान से पूजन कराया गया।
इस अवसर पर उपस्थित शिक्षाविद पंडित भवानी शंकर उपाध्याय, कैप्टन बद्री प्रसाद उपाध्याय,शिक्षक मनोविश्राम मिश्र, उप प्रधानाचार्य महावीर सिंह, ,ठेकेदार गजराज सिंह, रामकुमार सिंह, राम लौटन सिंह,रामभवन मिश्र, श्रवण कुमार सिंह, दान बहादुर सिंह, चंद्रिका सिंह, मटरू सिंह, रामचंद्र सोनी,राम अकबाल सिंह, राम नवल सिंहआदि प्रबुद्ध श्रोताओं ने कथा कथा श्रवण का आनंद लिया।प्रमुख रहे। कथा के दौरान मनोहारी प्रसंगों पर श्रोताओं ने जमकर तालियां बजाई।कथा को सुव्यवस्थित एवं संचालित करने में मुख्य यजमान लालजीत सिंह के भाई सेवानिवृत्त कैप्टन रणजीत सिंह, राहुल सिंह, इंजीनियर रोहित सिंह, रोमी सिंह, अंकित सिंह एवं अर्पित सिंह आदि परिवारीजनों का उल्लेखनीय योगदान है।
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