हेड सर्जरी कब जोखिम होती है - डाॅ राजकुमार

हेड सर्जरी कब जोखिम होती है - डाॅ राजकुमार
PPN NEWS

हेड सर्जरी कब जोखिम होती है - डाॅ राजकुमार 



एसजीपीजीआई में 24वें स्कलबेसकाॅऩ का आयोजन किया जा रहा है  जिसमे देश भर से 400 से अधिक डेलिगेट्स शामिल हो रहे है।  


लखनऊ (ppn)। राजधानी लखनऊ के प्रतिष्ठित एसजीपीजीआईएमएस में शुक्रवार 27 अक्टूबर से स्कलबेस सर्जरी सोसाइटी आफ़ इंडिया के तत्वावधान में 24वें स्कलबेसकाॅन का आयोजन किया जा रहा है। एक प्रेसवार्ता में इसकी जानकारी देते हुए एसजीपीजीआई के न्यूरोसर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ राजकुमार तथा डाॅ अरूण कुमार श्रीवास्तव ने संयुक्त रूप से दी। डाॅ राजकुमार ने बताया कि स्कलबेसकाॅन में देश भर से लगभग 400 से अधिक डेलिगेट्स हो रहे है। उन्होंने बताया आयोजन में विशेषतौर पर अमेरिका से विश्व के जाने माने न्यूरोसर्जन डाॅ सलीम अली राउत भी शामिल होंगे और स्कलबेस सर्जरी पर विशेष लेक्चर भी देंगे जिससे हमारे यहां युवा न्यूरो चिकित्सक लाभान्वित होंगे। कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन 28 अक्टूबर को होगा जिसमें जस्टिस राजीव सिंह विशेष सम्मानित अतिथि के तौर पर उपस्थित होंगे। 



न्यूरोसर्जरी का सजीव आपरेशन कर युवा चिकित्सकों को दी जाएगी जानकारी

डाॅ राजकुमार ने बताया कि 24वें स्कलबेसकाॅन में पहले दिन 27 अक्टूबर को हमारे युवा न्यूरोसर्जन के लिए एसजीपीजीआई में न्यूरोसर्जरी का सजीव प्रसारण कर दिखाया जाएगा कि किस प्रकार से होती है स्कलबेस सर्जरी। इस मौके पर युवा न्यूरो चिकित्सकों को यह भी बताया जाएगा कि स्कलबेस सर्जरी में किन-किन पहलूओं का विशेषतौर पर ध्यान रखा जाता है। उन्होंने बताया कि यह एक सुनहरा अवसर होगा जब हमारे युवा न्यूरो चिकित्सक पूरी प्रक्रिया को अपने वरिष्ठ न्यूरो सर्जन द्वारा सर्जरी करते हुए देख सकेंगे साथ ही इस दौरान सवाल भी कर सकेंगे। इसके अलावा 60 कैडवर द्वारा भी इसकी विस्तृत जानकारी दी जाएगी।

क्या होती है स्कलबेस सर्जरी? 

स्कल बेस सर्जरी को हिंदी में खोपड़ी आधार सर्जरी भी कहते है। डाॅ राजकुमार ने बताया कि स्कल यानी खोपड़ी को हम अपने पूरे शरीर का पाॅवर हाउस मान सकते हैं क्योंकि यहीं से पूरे शरीर की हर प्रक्रिया कुदरती तौर पर संचालित होती है। डाॅ राजकुमार ने बताया कि हमारे खाने से लेकर धमनियों में रक्त प्रवाह तथा मल मूत्र का हमारे शरीर से एक निर्धारित समय ये बाहर निकलना हमारे ब्रेन से ही संचालित होती है। हमारा बोलना, सुनना, देखना यह शारिरिक तौर पर हर क्रिया हमारे ब्रेन द्वारा संचालित होती है यही कारण है कि कुदरती तौर पर यह हमारे शरीर में सबसे सुरक्षित कवच जिसे हम स्कल यानी खोपड़ी कहते हैं में रखी गई है। 
 
डाॅ राजकुमार ने बताया कि खोपड़ी आधार सर्जरी दोनों के इलाज के लिए एक न्यूनतम इनवेसिव सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमे खोपड़ी और शीर्ष कशेरुक के आधार में मौजूद सौम्य और कैंसर ट्यूमर आदि शामिल है। इस उपचार की प्रक्रिया ओपन सर्जरी से बेहतर मानी जाती है। इस सर्जरी में उपकरण कपाल के माध्यम से बड़े चीरे के बजाय खोपड़ी के प्राकृतिक उद्घाटन के माध्यम से डाले जाते हैं। खोपड़ी को तीन तरीको से पहुंचाया जा सकता है जैसे ट्रांस-नसल, ट्रांस-ओरल और सुप्रा ऑर्बिटल आदि। खोपड़ी आधार सर्जरी की आवश्यकता तब पड़ी है जब व्यक्ति को खोपड़ी संबंधित विकार हो या किसी तरह का ट्यूमर हो। इसके अलावा सेरेब्रल एन्यूरिज्म, मेनिंगिओमास, क्रानियोफेरीन्जिओमास, कॉर्डोमा, पिट्यूटरी ट्यूमर इत्यादि में चिकिस्तक स्कल बेस सर्जरी करने की सलाह दे सकते हैं। शायद बहुत से लोग स्कलबेस सर्जरी यानी खोपड़ी आधार सर्जरी के बारे में जानते नहीं होंगे। यह कैसे होता है ? इसलिए एसजीपीजीआई द्वारा स्कलीबेसकाॅन का आयोजन किया जा रहा है। 


हेड सर्जरी और ब्रेन सर्जरी क्या है?

प्रेसवार्ता में 24वें स्कलबेसकाॅन के मुख्य आयोजक डाॅ अरूण कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि ब्रेन सर्जरी एक छाता शब्द के रूप में विभिन्न प्रकार की चिकित्सा प्रक्रियाओं को संदर्भित करने के उपयोग के लिए किया जाता है जिसमें मस्तिष्क के कुछ संरचनात्मक दोषों की मरम्मत शामिल होती है। हेड एंड ब्रेन सर्जरी एक बेहद जटिल प्रक्रिया है और यह प्रक्रिया उपचार किए जाने की स्थिति पर निर्भर करती है।


सिर की सर्जरी क्यों की जाती है?

डाॅ अरूण ने बताया कि ओपन ब्रेन सर्जरी करना है या नहीं यह इस बात पर निर्भर करता है कि मरीज़ की हालत कितनी गंभीर है। अक्सर, कम गंभीर बीमारियां या असामान्यताएं इसके दुष्प्रभावों के कारण जीवन के लिए ख़तरा पैदा कर सकती हैं। ऐसे मामलों में, मस्तिष्क और आसपास की संरचनाओं की शारीरिक विकृति को ठीक करने के लिए सिर के ऑपरेशन की आवश्यकता होती है।
सिर की सर्जरी के प्रकार-

डाॅ राजकुमार ने बताया कि मस्तिष्क के भाग और इलाज की जा रही स्थिति के आधार पर, कई प्रकार की सिर की सर्जरी हो सकती है। जैसे क्रानियोटॉमी जो मस्तिष्क सर्जरी की सबसे आम प्रक्रियाओं में से एक है। ऐसे मरीज़ों का इलाज करने के लिए डॉक्टर मस्तिष्क के प्रभावित क्षेत्र के पास खोपड़ी पर चीरा लगाकर खोपड़ी की सर्जरी करते हैं। इसमें खोपड़ी में एक छेद किया जाता है जिसे बोन फ्लैप कहा जाता है। क्रैनियोटॉमी का प्रयोग इन मरीज़ों में किया जाता है-
ब्रेन ट्यूमर निकालने के लिए, मस्तिष्क के संक्रमण से जमा हुआ रक्त और तरल पदार्थ निकालने के लिए, दोषपूर्ण मस्तिष्क के ऊतकों को हटाने के लिए।


बायोप्सी
मस्तिष्क के ऊतकों को हटाने के लिए खोपड़ी में एक छोटा चीरा या छेद मस्तिष्क क्षेत्र में थोड़ी मात्रा में बनाया जाता है ताकि उन उत्तकों को माइक्रोस्कोप के नीचे बेहतर अध्ययन किया जा सके।


एंडोनासल एंडोस्कोपिक सर्जरी
सिर की सर्जरी के न्यूनतम इनवेसिव प्रकारों में से एक एंडोस्कोप शामिल है। इसमें एक दूरबीन उपकरण में रोशनी और कैमरा फिट करके नाक और साइनस के माध्यम से अंदर भेजा जाता है। इस प्रक्रिया के लिए कोई चीरा लगाने की आवश्यकता नहीं होती है। 


निम्न हालात में सिर की सर्जरी की जा सकती है-
जब सर में ब्रेन ट्यूमर हो, जब मस्तिष्क में रक्तस्राव हो रहा हो, जब मस्तिष्क में रक्त के थक्के बने हों, जब रक्त वाहिकाओं में कमजोरी हों, जब असामान्य रक्त वाहिकाएं हों, जब मस्तिष्क में संक्रमण हो, जब मस्तिष्क में सूजन हो, जब मस्तिष्क को ढकने वाले सुरक्षात्मक ऊतक को नुकसान हो, मस्तिष्क की बीमारियां जिन्हें इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के आरोपण की आवश्यकता होती है, मस्तिष्क में चोट या स्ट्रोक के दबाव के बाद, जब तंत्रिका में क्षति या जलन हो, जब खोपड़ी में फ्रैक्चर हो, मिरगी में शामिल जोखिम।


डाॅ राजकुमार ने बताया कि हेड सर्जरी सबसे महत्वपूर्ण चिकित्सा प्रक्रियाओं में से एक है इसलिए इसमें  कई जोखिम होते हैं, कुछ छोटे तो कुछ जानलेवा भी। उनमें से कुछ निम्न हैं-

ख़ून का बहना, बोलने में, देखने में समस्या और संतुलन की दिक्कत, घाव के स्थान पर और उसके आसपास संक्रमण, मस्तिष्क में सूजन, याददाश्त कम होना, बेहोशी/अकड़ना, ब्रेन स्ट्रोक, अचेतन अवस्था।


डाॅ राजकुमार ने बताया कि 95 प्रतिशत मामलों में स्कलबेस सर्जरी सफ़ल रहती है। इसके अलावा सिर के ऑपरेशन के बाद मरीज़ की हालत कैसी रहती है यह इस बात पर निर्भर करता है कि सिर की सर्जरी किस प्रकार की गई है और रोगी का सामान्य स्वास्थ्य कैसा है। आजकल जिन मरीजों की खोपड़ी की सर्जरी हुई है, उनमें से अधिकांश 10-12 दिनों के भीतर अपने काम पर लौट आते हैं, उसी तरह बड़ी सर्जरी से गुजरने वाले रोगियों को ठीक होने में 2-4 सप्ताह लग सकते हैं और रोगी सिरदर्द से पीड़ित हो सकते हैं या उन्हें ध्यान केंद्रित करने में समस्या हो सकती है। उनमें से कुछ को भौतिक चिकित्सा या पुनर्वास की भी आवश्यकता हो सकती है।
Comments

Leave A Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *