लखनऊ विकास प्राधिकरण आखिर अपने भ्रष्ट अधिकारियों पर क्यों है मेहरबान

लखनऊ विकास प्राधिकरण आखिर अपने भ्रष्ट अधिकारियों पर क्यों है मेहरबान

Prakash Prabhaw

लखनऊ।

नीरज उपाध्याय

लखनऊ विकास प्राधिकरण आखिर अपने भ्रष्ट अधिकारियों पर क्यों है मेहरबान

उत्तर प्रदेश सरकार लगातार भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने के लिए अलग-अलग तरह से प्रयास कर रही है।

समाज में फैले भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करना भी अच्छी बात है, क्योंकि भ्रष्टाचार की वजह से समाज में जो अराजकता फैली है उसकी कोई भी मिशाल नहीं दे सकता।

कुछ ऐसा ही भ्रष्टाचार का मामला अक्सर लखनऊ विकास प्राधिकरण का आता रहता है।जैसा कि यह सभी लोग जानते हैं कि राजधानी लखनऊ ही नहीं,बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में तमाम बनी हुई बहुमंजिला इमारतें और मकान मानक के विपरित बनी हुई हैं और बहुत से भवन, व्यवसायिक केंद्र व अपार्टमेंट बने हुए हैं, जो मानक के विपरित और बिना किसी नक्शे के ही बनकर खड़े हो गए।

लेकिन सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार के कड़े रवैये की वजह से अब इन इमारतों का निर्माण करने वाले बिल्डर या आम जनमानस अपने भवन को सुरक्षित करने के लिए प्राधिकरण के नियमानुसार अपने-अपने भवन,अपार्टमेंट को सुरक्षित करना चाहते हैं।

हालांकि कुछ समय पहले लखनऊ विकास प्राधिकरण के द्वारा 20-20 शमन शुल्क योजना लागू की गई थी।

 लेकिन बहुत ही जल्द उसमें कुछ लोगों ने रोड़ा अटका दिया और हाईकोर्ट के आदेश पर 2020 शमन शुल्क योजना को रोक दिया गया।

 जबकि इस योजना के आते ही जनता की आंखों में एक खुशी की लहर आ गई थी। हालांकि लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी ने हाल ही में पदभार ग्रहण किया है।एलडीए वीसी ने आते ही अवैध निर्माण और भूखंडों की फाइल खुलवा दी है।

खास बात यह है कि वह लगातार निगरानी भी कर रहे हैं।समीक्षा बैठक में सभी बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा करते हैं। 

 लेकिन जिन लोगों की आंखें 2020 शमन शुल्क योजना पर लगी हुई है,उन लोगों को राहत मिलती नहीं नजर आ रही।

 प्राप्त सूचना के अनुसार एलडीए वीसी सील की गई बिल्डिंगों से संबंधित लोगों के ऊपर एफ आई आर की बात कही है। जिससे लोगों के बीच में भय के माहौल के साथ ही प्राधिकरण के कुछ अधिकारियों के प्रति आक्रोश भी व्याप्त हो चुका है। 

 लोगों के इस आक्रोश के पीछे का कारण इतना है कि जब यह इमारतें जब बन रही थीं,तब प्राधिकरण के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की सह पर यह इमारतें बनकर तैयार हो गई। 

अब सवाल यह उठता है कि जब यह इमारतें बन रही थी तब इनके अधिकारी कहां थे और प्राधिकरण क्या कर रहा था।

 एक कड़वा सच यह भी है कि लखनऊ विकास प्राधिकरण जिस दिन पूरी ईमानदारी के साथ कार्यवाही करे तो राजधानी लखनऊ एक खंडहर के रूप में नजर आएगी।

क्योंकि यह कड़वा सच यह भी है कि केवल राजधानी लखनऊ में ही बने हुए लगभग 90%अपार्टमेंट और आवासीय, व्यवसायिक भवन प्राधिकरण के नियमानुसार नहीं बने हुए हैं। 

 ऐसी स्थिति में अगर लखनऊ विकास प्राधिकरण इन भवनों पर पूरी इमानदारी के साथ कोई सख्त कार्रवाई करता है,तो राजधानी लखनऊ खंडहर में तब्दील होती जाएगी।

वैसे इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि बहुत से बिल्डरों ने प्राधिकरण के नियमानुसार कार्य नहीं किया है लेकिन इसमें बहुत से ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने बाकायदा जमीन रजिस्ट्री करवा करके और अपने खून पसीने की कमाई से निर्माण किया है।

ऐसे लोगों की गलती केवल इतनी है कि ऐसे लोगों ने लखनऊ विकास प्राधिकरण के कुछ भ्रष्ट घूसखोर अधिकारियों के झांसे में आकर बिना मानचित्र के ही भवन का निर्माण कर दिया। 

एलडीए के कुछ भ्रष्ट अधिकारी ऐसे लोगों से पैसा खाते रहे और आश्वासन देते रहे कि आप निर्माण करते रहिए कुछ नहीं होगा और इसी प्रकार कुछ लोग ऐसे भ्रष्ट अफसरों का शिकार हो गए।

 लेकिन जनता के बीच में अभी भी लखनऊ विकास प्राधिकरण के द्वारा पूर्व में चलाई गई 2020 शमन शुल्क योजना पर निगाहें टिकी हुई है।

 क्योंकि लोग प्राधिकरण की द्वारा लगाए हुए शमन शुल्क को जमा कर अपने भवन को सुरक्षित करना चाहते हैं।

 ऐसे में प्राधिकरण की भी जिम्मेदारी बनती है कि अपने अधिकारियों के द्वारा किए गए भ्रष्टाचार को देखते हुए जनता को शमन शुल्क जमा करने के लिए एक मौका जनता को जरूर देना चाहिए।

    अब देखने वाली बात यह होगी कि लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अपने विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के किए गए भ्रष्टाचार पर क्या कार्यवाही करते हैं।

 क्योंकि अगर यह भवन मानक के अनुरूप बने हैं और भवन बनाने वाले लोग अगर दोषी हैं,तो ऐसे भवन के निर्माण में सहयोग करने वाले अधिकारी और कर्मचारी निर्माण करने वाले व्यक्ति से ज्यादा दोषी हैं।

 इसलिए प्राधिकरण को पहले अपने अधिकारियों से जवाब लेना चाहिए कि आखिर उनके क्षेत्र में इतना बड़ा अवैध निर्माण कैसे हो गया। 

 अगर प्राधिकरण अपने विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों से इस बात का जवाब नहीं मांग सकती है तो फिर इस तरह से बने हुए भवनों को बनाने वाले लोगों के ऊपर भी कोई कानूनी कार्रवाई उचित नहीं है।

 क्योंकि दोषी अगर भवन बनाने वाला व्यक्ति दोषी है तो उतना ही लखनऊ विकास प्राधिकरण के उस क्षेत्र का अधिकारी भी उतना ही दोषी है। जिसके क्षेत्र में अवैध निर्माण हुआ।

 2020 शमन शुल्क योजना से जहां जनता को राहत मिल सकती है तो वहीं दूसरी तरफ लखनऊ विकास प्राधिकरण का खजाना भी भर सकता है।

लखनऊ विकास प्राधिकरण अगर 2020 शमन शुल्क योजना के लागू करती है तो इस योजना के लागू होने से जहां इस तरह के भवन निर्माण करने वाले लोगों को एक राहत की सांस मिलेगी और लोगों को अपनी गलती का जुर्माना भरने का मौका मिलेगा।

 अब देखने वाली बात यह होगी कि लखनऊ विकास प्राधिकरण अपने अधिकारों के द्वारा किए गए भ्रष्टाचार को नजरंदाज करते हुए केवल आम जनमानस के ऊपर लखनऊ विकास प्राधिकरण का हंटर चलाती है या 20-20 शमन शुल्क योजना लागू करके लोगों को अपनी गलती को सुधारने का मौका देती है।

Comments

Leave A Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *