जैत ने दिखाया उत्तर प्रदेश के गांव कैसे बन सकते हैं वैश्विक पर्यटन का केंद्र- जयवीर सिंह

PPN NEWS
लखनऊ, 11 सितंबर 2025
मथुरा जिले का जैत गांव अब ग्रामीण पर्यटन के वैश्विक नक्शे पर अपनी अलग पहचान बना रहा है। एग्री-रूरल और गंगेय ग्राम ग्रामीण पर्यटन परियोजना के तहत बुधवार को श्रीलंका का प्रतिनिधिमंडल तीन दिवसीय फैम ट्रिप (फैमिलियराइजेशन ट्रिप) पर जैत पहुंचा। प्रतिनिधिमंडल ने गांव की पारंपरिक जीवनशैली, लोक कला और संस्कृति को नजदीक से देखा और स्थानीय लोगों के साथ संवाद किया। इस यात्रा के दौरान श्रीलंकाई दल ने जैत से मैनपुरी होते हुए ताजमहल का भी अवलोकन किया। यह फैम ट्रिप उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को विश्व पटल पर प्रस्तुत करने के साथ-साथ भारत-श्रीलंका के सांस्कृतिक रिश्तों को और मजबूती प्रदान करेगी।
जैत गांव में पहुंचे प्रतिनिधिमंडल का स्वागत ब्रज की रंगीन और पारंपरिक शैली में किया गया। अतिथियों को चंदन का तिलक लगाकर, फूलों की मालाएं पहनाकर और मधुर लोकगीतों के साथ अभिनंदन किया गया। पूरे आयोजन का माहौल ऐसा था मानो हर दृश्य और हर आवाज़ अपनी अलग कहानी कह रही हो। प्रतिनिधिमंडल ने कालिया नाग मंदिर का दौरा किया, जहां उन्हें भगवान कृष्ण और सर्प कालिया की कथा का रोमांचक एवं मंत्रमुग्ध कर देने वाला प्रसंग सुनाया गया।
स्वयं बनाए मिट्टी के दीये और तुलसी मालागांव में पहुंचे प्रतिनिधिमंडल ने स्थानीय कारीगरों के साथ मिलकर पारंपरिक मिट्टी के दीयों का निर्माण किया। यह केवल एक शिल्प अनुभव नहीं, बल्कि भारतीय ग्रामीण कला और परंपरा की जीवंत झलक थी। प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने स्वयं दीये बनाने की प्रक्रिया में भाग लिया। इसके अलावा प्रतिनिधिमंडल ने ऐतिहासिक जय कुंड का भी दौरा किया, जो ब्रज की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत से गहराई से जुड़ा हुआ है।
इसके अलावा, तुलसी माला बनाना, तुलसी की खेती देखना और लड्डू गोपाल के पारंपरिक वस्त्र (पोशाक) बनाने की प्रक्रिया का भी अनुभव किया। भाग्यश्री तुलसी आउटलेट में उन्होंने देखा कि कैसे स्वयं सहायता समूह स्थानीय शिल्प को स्थायी आजीविका में बदल रहे हैं। मेहमानों ने ब्रज व्यंजन का स्वाद भी लिया। मेजबान से बातचीत की और गांव वालों के साथ कृष्ण भजनों में शामिल होकर रात्रिभोज को सांस्कृतिक उत्सव में बदल दिया।
मैनपुरी और भावंत में देखी ग्रामीण उद्यमिता
श्रीलंकाई दल ने मथुरा के इस्कॉन मंदिर का भी भ्रमण किया। इसके बाद प्रतिनिधिमंडल ने ग्रामीण पर्यटन परियोजना के तहत पंजीकृत फार्म स्टे में रात बिताई। तत्पश्चात यह दल मैनपुरी की ओर रवाना हुआ। रास्ते में आगरा के ताजमहल का भी भ्रमण किया। भावंत गांव में अतिथियों ने जखदर महादेव मंदिर का दर्शन किया। पानी-सिंघाड़ा की खेती देखी। सहन गांव में उन्होंने बैल और घोड़ा गाड़ी की सवारी की और पारंपरिक शिल्प जैसे टकासी का अनुभव किया, जिससे ग्रामीण उद्यमिता की जीवनशैली को समझने का अवसर मिला। 12 सितंबर को प्रतिनिधिमंडल दिल्ली लौटेगा। यह तीन दिवसीय यात्रा ग्रामीण अनुभव को भारत के सबसे प्रमुख वैश्विक पर्यटन प्रतीक से जोड़ते हुए समाप्त होगी।
उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा, कि 'ग्रामीण पर्यटन सिर्फ़ यात्रा का साधन नहीं, बल्कि यह ग्रामीण अंचलों के लिए रोजगार सृजन, स्थानीय संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण तथा वैश्विक पर्यटकों को आकर्षित करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। उन्होंने बताया कि जैत गांव ने उदाहरण प्रस्तुत किया है कि उत्तर प्रदेश के गांव न केवल अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संजोए रख सकते हैं बल्कि वैश्विक पर्यटन आकर्षण के केंद्र भी बन सकते हैं। उन्होंने कहा, यह पहल साबित करती है कि सही योजना और स्थानीय सहभागिता से ग्रामीण पर्यटन गांवों के विकास में मददगार हो सकता है।'
यात्रा पर आए डॉ. निर्मला राणासिंघे, एसोसिएट प्रोफेसर ने कहा, 'जैत गांव ने साबित किया है कि गांव सिर्फ़ घर नहीं, बल्कि दुनिया के लिए एक जीवंत क्लासरूम है, जहां संस्कृति, समुदाय और स्थिरता साथ चलते हैं।'
उल्लेखनीय है कि जैत फैम ट्रिप उत्तर प्रदेश में हो रहे बड़े बदलाव का एक उदाहरण है। उत्तर प्रदेश ने 240 गांवों को पर्यटन हब के रूप में चिन्हित किया है। साथ ही 103 फार्म स्टे पंजीकृत किए गए हैं और 750 से अधिक होमस्टे को सुविधा प्रदान की जा रही है। ग्रामीण आतिथ्य को मजबूत बनाने के लिए एमकेआईटीएम में 285 से अधिक युवाओं को आतिथ्य सेवाओं में प्रशिक्षित किया गया है, जिससे स्थानीय कौशल को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाया जा सके। पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश में 65 करोड़ घरेलू पर्यटक पहुंचे। ग्रामीण पर्यटन और अनुभवात्मक यात्राओं में लगभग 10 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। विशेषज्ञों का मानना है कि इन पहलों से राज्य के ग्रामीण इलाकों की अर्थव्यवस्था में नई जान आएगी और स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे।
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