रेल ट्रैक दोहरीकरण ने छीना ढाई सौ परिवारों का चैन।

प्रकाश प्रभाव न्यूज़ रि
पोर्टर :ज़मन अब्बास
दिनांक :08/11/2020
रेल ट्रैक दोहरीकरण ने छीना ढाई सौ परिवारों का चैन।
प्रयागराज : रामबाग रेलवे स्टेशन से प्रयागराज जंक्शन तक ट्रैक दोहरीकरण के लिए 250 मकान तोड़े जाएंगे। पैमाइश के बाद आजाद नगर और साउथ मलाका मोहल्ले में कई मकानों में लाल निशान लगा दिया गया है। वहा रहने वालों का चैन इस लाल निशान ने छीन लिया है। उनका कहना है कि वह पीढ़ी दर पीढ़ी यहा रह रहे हैं। कुछ लोग नोटिस मिलने की दशा में कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं।
दरअसल, पूर्वोत्तर रेलवे की ओर से रामबाग से प्रयागराज जंक्शन के बीच करीब सात सौ मीटर तक दोहरीकरण किया जाना है। इसके लिए रेलवे के अधिकारियों ने जिले की राजस्व टीम से सामजंस्य कर शुक्रवार को पैमाइश कराई थी। सीनियर सेक्शन इंजीनियर वर्क के मुताबिक, विभाग अपनी जमीन खाली कराने के बाद 15 करोड़ से टै्रक दोहरीकरण के प्रोजेक्ट पर काम शुरू कराएगा। इसके लिए राजस्व विभाग से संपर्क कर पैमाइश कराई गई है। राजस्व टीम ने रेलवे की जमीन की मार्किंग की है। एक बार रेलवे की ओर से मूल्यांकन कर पक्का निर्माण कराने वालों को नोटिस दिया जाएगा। आज डीएम को सौंपेंगे ज्ञापन।
आजाद नगर की पूर्व सभासद शैला बेगम के आवास पर बैठक हुई। अध्यक्षता कर रहे अजमल कमाल ने कहा कि मनमाने ढंग से पैमाइश की गई है। कहीं 52 फीट तो कहीं 82 पर लाल निशान लगाए हैं। जिनके मकान की रजिस्ट्री है, उन्हें रेलवे कैसे ढहा सकता है? सोमवार को डीएम को ज्ञापन सौंपा जाएगा। मौके पर राजबहादुर यादव, अफ्सार कमाल, आरपी पांडेय, जुल्फकार अंसारी, नाजिम अली, रमेश सिंह, पप्पू सिंह व मयंक श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे। बाउंड्रीवाल बनाने के बाद सरहद बढ़ाने का आरोप
लोगों का कहना है कि अपनी सरहद निर्धारित करने के बाद रेलवे जुलाई में बाउंड्रीवाल बना रहा था। बरसात शुरू होने से काम बंद कर दिया गया। अब 52 से 80 फीट अंदर लाल निशान लगाया गया है। वहीं, अधिकारियों का कहना है कि रेलवे ट्रैक के सपोर्टिग के लिए वालबाउंड्री निर्माण का काम शुरू कराया गया था। लोगों की प्रतिक्रिया
30 साल से मोहल्ले में रह रहे हैं। जीवनयापन के लिए फल का ठेला लगाकर लेकिन, कभी रेलवे या अन्य विभाग ने अवैध बताकर पैमाइश नहीं की। अचानक अवैध बताकर कार्रवाई करने से हम लोग बेघर हो जाएंगे।
- हिमांशु गुप्ता तीन पीढ़ी से रह रहे हैं। लेकिन, कभी ऐसा नहीं सुना की रेलवे की जमीन पर मकान है। व्यवसाय के रूप में डेयरी का काम करता हूं। इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है। यदि कार्रवाई होगी तो हम लोग कहां जाएंगे?
- दिलीप यादव सीजन के अनुसार व्यवसाय कर किसी तरह जीवनयापन कर रहे हैं। बचपन यहीं गुजरा है। लेकिन, रेलवे के चिह्निकरण की कार्रवाई के बाद से मन विचलित है। नोटिस मिलने पर अधिकारियों से गुहार लगाई जाएगी।
- गौरव मालवीय जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपेंगे। कुछ मकान सैकड़ों साल पुराने हैं। अगर गलत है तो पहले कभी अवगत क्यों नहीं कराया? अचानक कार्रवाइ से लोग बेघर हो जाएंगे। निस्तारण कर सहूलियत देनी चाहिए।
Comments