देश में धार्मिक ध्रुवीकरण को फैलाया जा रहा है - काब राशिदी

PPN NEWS
लखनऊ
रिपोर्ट - आसिम नूरी
भारत में वर्तमान स्थिति 'संयोग' नहीं बल्कि एक 'प्रयोग' है- काब राशिदी
अल्पसंख्यक समुदाय के लिए गंभीर संवैधानिक- काब रशीदी
लखनऊ। पहले बाबरी मस्जिद और अब ज्ञानवापी मस्जिद के कारण भारत में अल्पसंख्यक समुदाय विशेषकर मुसलमानों के लिये एक प्रकार से गंभीर संवैधानिक संकट की स्थिति पैदा हो गई है। भारत जो हमेशा से अपनी विविधताओं के लिये जाना जाता रहा है आज यहां धर्म की राजनीति को सर्वोपरि कर दिया गया है। ऐसे हालात पैदा कर दिए गए हैं जिसे देख कर कहा जा सकता है कि धर्म को लेकर भारत में वर्तमान समय में जो हो रहा है वह संयोग नहीं बल्कि प्रयोग है। ये बातें इस्लामिक स्कॉलर मौलाना काब रशीदी ने एक पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहीं।
उन्होंने कहा कि देश में मौजूदा दौर में उत्पन्न वास्तविक मुद्दों से देश की आवाम विशेषकर नौजवानों को वास्तविक मुद्दों से दूर कर उनके ज़हन को भटकाने का काम बखूबी किया जा रहा है। देश में धार्मिक ध्रुवीकरण को फैलाया जा रहा है ताकि इस ध्रुवीकरण का इस्तेमाल वोटों की राजनीति के लिये किया जा सके। मौलाना काब रशीदी ने मध्यप्रदेश में 90 से अधिक एक ही समुदाय के घरों को बुल्डोज किये जाने का उदाहरण देते हुए कहा कि मुस्लिम समुदाय को आर्थिक और सामाजिक तौर पर तोड़ने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के जहांगीरपूरी की घटना भी इसी का उदाहरण है।
इस मौके पर उच्च न्यायलय तथा सर्वोच्च न्यायलय के अधिवक्ताओं का एक पैनल भी गठित किया गया। पैनल के सक्रिय सदस्य मुहम्मद साद सिद्दीक़ी ने बताया कि मुसलमानों की हर समस्याओं को न्याय प्रक्रिया के तहत उन्हें न्याय दिलाने के लिये इस पैनल का गठन किया गया है। साद सिद्दीक़ी ने सरकार की निरंकुश नीतियों से श्रीलंका में मौजूदा आर्थिक संकट का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत में भी श्रीलंका जैसी स्थिति उत्पन्न होती जा रही है जिससे ध्यान भटकाने के लिये धर्म की राजनीति को बढ़ावा दिया जा रहा है। दिया।
उन्होंने बताया कि किस प्रकार से यूपी सरकार ने अवैध रूप से वसूली नोटिस जारी किए और पूरे राज्य में सीएए/एनआरसी प्रदर्शन के दौरान निर्दोष नागरिकों की संपत्ति को जब्त कर लिया गया। उन्होंने यूपी सरकार की इस मनमानी कार्रवाई और वसूली नोटिस को लखनऊ हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। एडवोकेट साद ने कहा कि हमने न्ययालय में साबित किया कि यूपी सरकार द्वारा किसी भी क़ानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था और इस सारे नोटिस अवैध थे, जिस पर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने पहली सुनवाई में आदेशों पर रोक लगा दी। ये एक बड़ी उपलब्धि थी।
इस मौके पर मौलाना काब रशीदी(इस्लामिक स्कॉलर एवं अधिवक्ता) तथा मुहम्मद साद सिद्दीक़ी(अधिवक्ता उच्च न्यायलय) के अलावा उच्च न्यायालय के अधिवक्ता रेहान अहमद, यूसुफ खान तथा फैसल खान भी मौजूद रहे।
साद सिद्दीकी ने कहा कि अगर देश को विकास की दिशा में जाना है तो सभी को सांप्रदायिक राजनीति से बाहर आकर देश के लिए काम करने के लिए सामाजिक रूप से एकजुट होना होगा। उन्होंने कहा कि आर्थिक संकट है क्योंकि कुछ 200 लोगों ने देश के हजारों करोड़ रुपये ले लिए और उड़ गए और कोई इसके बारे में बात नहीं कर रहा है। 2014 की शांताकुमार रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल 6% भारतीय किसान अपने उत्पादों को एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर बेच रहे हैं, जो सरकार की पूर्ण विफलता है।
पत्रकार वार्ता के दौरान उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ में आयोजित धर्म संसद का मुद्दा भी उठाया गया जिसमें मुसलमानों के नरसंहार की सार्वजनिक रूप से घोषणा की गई और महात्मा गांधी को गाली दी गई। उन्होंने कहा कि धर्म संसद ऐसी होनी चाहिए जो 1893 में शिकागो में हुई थी जिसमें स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि अगर दुनिया में किसी इंसान को सताया जाता है, तो वह भारत में आकर शरण ले सकता है।
पैनल एडवोकेट यूसुफ खान ने बताया कि कैसे यूपी सरकार ने लखनऊ में सीएए के विरोध प्रदर्शनों के दौरान निर्दोष नागरिकों पर अत्याचार किया और मनमाने ढंग से दंडित किया और वकीलों ने निर्दोष लोगों को कानूनी सहायता प्रदान की, जिनमें ज्यादातर अल्पसंख्यक थे। पैनल में उपस्थित अधिवक्ताओं ने संविधान के जनादेश और नागरिकों के अधिकारों को बहाल करने पर ज़ोर दिया साथ ही राज्यों द्वारा क़ानून का पालन करने की बात कही।
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